CM से डिप्टी CM बन्ने वाले पहले नेता नहीं फडणवीस, जानिए वह 5 नेता जिन्होंने एक पद नीचे संभाली कुर्सी

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द लीडर | महाराष्ट्र में सियासी उलट फेर के बाद कल एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया. शिवसेना से उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद सब जगह यह चर्चा थी की शाम तक राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवेन्द्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे लेकिन शाम होते होते सियासत की पूरी शक्ल ही बदल गई. बागी नेताओं के मुखिया एकनाथ शिंदे बतौर मुख्यमंत्री सीएम की कुर्सी पर विराजमान हो गए और फडणवीस को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी मिल गई. एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला खुद फडणवीस ने लिया था और प्रेस कांफ्रेंस कर यह एलान किया था.

गौर करने वाली बात यह है कि सियासत में राजनेता कभी भी एक पद नीचे नहीं आना चाहते. विधायक से सांसद और फिर मंत्री या मुख्यमंत्री तक का सफ़र हर नेता देखता है लेकिन फडणवीस ने अपनी लिखी हुई कुर्सी एकनाथ शिंदे को दे कर सभी को हैरान कर दिया. यह पहले नेता नहीं है जिसने एक पद नीचे आके राजनीति में सफ़र जारी रखा है. इस लिस्ट में कई और नाम जुड़े हैं.

अगर बात करें ऐसे मुख्यमंत्रियों की जो उपमुख्यमंत्री और राज्य सरकार में मंत्री रहे हैं तो इस लिस्ट में कई नाम हैं. इस लिस्ट में ताजा नाम देवेंद्र फडणवीस का ही जुड़ा है. वहीं अन्य की बात करें तो ओ पनीरसेल्वम, बाबू लाल गौर, अशोक चव्हाण आदि कुछ ऐसे नाम हैं जो बीते कुछ सालों में इस लिस्ट में शामिल हुए. एक एक कर के जानते हैं उनके बारे में जो सीएम पद से हटने के बाद डिप्टी सीएम और मंत्री बने.

  1. ओ पनीरसेल्वम – तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री
  2. अशोक चव्हाण – महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री
  3. बाबूलाल गौर – मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री
  4. शंकरराव चव्हाण – महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री
  5. निलांगकर – महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री

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तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम 

ओ पनीरसेल्वम तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के वरिष्ठ नेता हैं. वे तीन बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे हैं. एक बार 2001-02 में जब जयललिता को सुप्रीम कोर्ट ने पद धारण करने से रोक दिया था, दूसरी बार 2014-15 में जब जयललिता को उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराया गया था और तीसरी बार 2016-17 में जयललिता की मृत्यु के बाद ओ पनीरसेल्वम ने सीएम का पदभार संभाला था. दो महीने बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था. पनीरसेल्वम और टीम द्वारा एडीएमके पर कब्जा करने के बाद, वह तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री बने.

शंकरराव चव्हाण, पवार सरकार में बनना पड़ा वित्त मंत्री

कांग्रेस नेता शंकरराव चव्हाण 1975 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. 1977 में वसंतदादा पाटिल ने उन्हें सीएम पद से हटा दिया. इस घटना के एक साल बाद, शरद पवार जो पाटिल कैबिनेट में मंत्री थे, ने सरकार गिरा दी और वह खुद मुख्यमंत्री बने. पवार के नेतृत्व वाली प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार में चव्हाण वित्त मंत्री बने.

निलांगकर, सुशील शिंदे सरकार में बने राजस्व मंत्री

1985 में शिवाजीराव पाटिल निलांगकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. वह जून 1985 से लेकर मार्च 1986 तक सीएम की कुर्सी पर बैठे. कई साल बाद जब सुशील कुमार शिंदे की सरकार बनी तो शिवाजीराव पाटिल को उसमें राजस्व मंत्री बनाया गया.

बाबूलाल गौर, सीएम बनने के बाद कैबिनेट मंत्री रहे

इस फेहरिस्त में बीजेपी के दिवगंत नेता बाबूलाल गौर का नाम भी है. बाबूलाल गौर भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता थे, जो मध्य प्रदेश के 16वें मुख्यमंत्री रहे थे. दरअसल, कर्नाटक की हुबली अदालत द्वारा 1994 के हुबली दंगा मामले में त्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. गौर उनके बाद 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. 2008 में फिर शिवराज सिंह चौहान सीएम बने और उनके मंत्रिमंडल में बाबूलाल गौर मंत्री रहे थे.

अशोक चव्हाण, बाद में बने पीडब्लूडी मिनिस्टर 

कांग्रेस के नेता अशोक चव्हाण 2008 और 2010 के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर रहे. बाद में 2019 में जब उद्धव ठाकरे की अगुआई में कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन से महाविकास अघाड़ी सरकार सत्ता में आई तो चव्हाण को पीडब्लूडी मिनिस्टर बनाया गया.

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