The Leader. दुनियाभर में सुन्नी बरेलवी मुसलमानों के मरकज़ दरगाह आला हज़रत से भी ईदुल अज़हा (बकरीद) का एलान कर दिया गया. देर इसलिए हुई क्योंकि बरेली और आसपास के ज़िलों में सोमवार को चांद नज़र नहीं आ सका था. हालांकि लखनऊ, गोरखपुर, फतेहपुर वग़ैरा ज़िलों में चांद देख लिया गया था. उस एतबार से वहां ईद का एलान भी किया जा चुका है लेकिन बरेली में चांद की शरई शहादत का इंतज़ार हो रहा था. यह शहादत फ़ैज़ाबाद से आई है. वहां से मरकज़ी दारुल इफ़्ता दरगाह आला हज़रत की रोयत-ए-हिलाल कमेटी से जुड़े उलमा-ए-कराम ने शहादत दी.
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रोयत-ए-हिलाल कमेटी के अध्यक्ष क़ाज़ी-ए-हिंदुस्तान मुफ़्ती मुहम्मद असजद रज़ा क़ादरी असजद मियां को बताया गया कि फ़ैज़ाबाद में मुहम्मद तौफ़ीक़ रज्जब अलीऔर मुहम्मद अशहार रज़ा ने चांद देखा है. इस शहादत की तसदीक़ भी की गई. उसके बाद क़ाज़ी-ए-हिंदुस्तान ने ईद का एलान कर दिया. मंगलवार को ही चांद की पहली तारीख़ मानी गई है. 10 ज़िलहिज्जा यानी 29 जून को ईद होगी. जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा के उपाध्यक्ष सलमान मियां ने ईद के एलान की तस्दीक़ करते हुए क़ुर्बानी के सिलसिले में अपील भी की है. कहा है कि इस ईद पर मुसलमान तीन दिन हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत को अदा करते हैं. तीनों दिन ख़ासतोर से सफ़ाई का ख़्याल रखें. दूसरों का भावनाओं की क़द्र करें. सांप्रदायिक सौहार्द को क़ायम रखा जाए. ईद का असल संदेश भी यही है कि इससे फ़िज़ा में मुहब्बत की सदाएं सुनाई दें.
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बहरहाल बरेली से एलान के बाद साफ हो गया कि देशभर में ईदुल अज़हा एक ही दिन मनाई जाएगी. तीन दिन 29, 30 जून और एक अगस्त को कुर्बानी की जाएगी. उसके लिए प्रमुख मुस्लिम संगठनों की तरफ से अपील भी जारी की गई है कि क़ुर्बानी नियम और क़ानून को सामने रखकर की जाए. इसे लेकर कहीं भी टकराव की स्थिति नहीं बने.रज़ा एकेडमी मुम्बई के महासचिव सईद नूरी ने भी वीडियो के ज़रिये क़ुर्बानी करते वक़्त दूसरे संप्रदाय के लोगों की भावनाओं का आदर किए जाने का आह्वान किया है.