हिजाब प्रतिबंध की वजह से 17 हज़ार छात्राएं कर रहीं पढ़ाई-परीक्षा से किनारा-एडवोकेट हुज़ेफ़ा

0
229
Hijab Restriction Karnataka Students
सुप्रीमकोर्ट फ़ाइल फ़ाेटो.

द लीडर : मुस्लिम छात्राएं जो कभी मदरसों तक सीमित थीं. शिक्षा हासिल करने के लिए उन्होंने इस दायरे को लांघकर हिजाब के साथ स्कूल-कॉलेजों में क़दम रखा है. लेकिन हिजाब पर प्रतिबंध उन्हें पीछे ढकेल रहा है. कर्नाटक में हिजाब पर रोक की वजह से क़रीब 17 हज़ार छात्राएं परीक्षा से किनारा कर रही हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता हुज़ेफ़ा अहमदी ने हिजाब मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीमकोर्ट के सामने ये तर्क रखे हैं. (Hijab Restriction Karnataka Students )

जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर सवाल उठाया. और एडवोकेट हुज़ेफ़ा अहमदी से कहा क्या उनके पास ऐसा कोई प्रमाण है कि वास्वत में कितनी छात्राओं ने स्कूल छोड़ा है. बेंच ने कहा हम रिपोर्ट के बारे में कुछ भी कहना नहीं चाहते हैं. हमने इसे स्वीकार नहीं किया है. ड्रॉप आउट का मुद्​दा पहले कभी हाईकोर्ट के सामने नहीं उठाया गया था. आप पहली बार इस पर बहस कर रहे हैं.

एडवोकेट अहमदी ने कहा कि हिजाब पर सरकारी आदेश का असर ये होगा कि जो लड़कियां स्कूल-कॉलेजों में धर्मनिरपेक्ष तालीम ले रही हैं या लेना चाहती हैं. वह दोबारा मदरसा जाने को मज़बूर होंगी. (Hijab Restriction Karnataka Students )


इसे भी पढ़ें-लखीमपुर : दो नाबालिग दलित बहनों की दुष्कर्म के बाद हत्या, तराई में सप्ताह के अंदर दूसरी बार दिल दहले


 

अहमदी ने दलील दी कि किसी को ऐसा क्यों महसूस होना चाहिए कि धार्मक संस्कार किसी भी तरह से धर्मनिरपेक्ष शिक्षा व्यवस्था या यूनिटी में रुकावट बनेंगे. किसी के हिजाब पहनकर स्कूल आने से आख़िर किसी दूसरे को क्यों आपत्ति होनी चाहिए. या छात्रों को इससे क्या समस्या होनी चाहिए या हो सकती है.

हिजाब केस में छात्राओं की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि हिजाब पहनने वालों के साथ धर्म या लिंग की बुनियाद पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है.

कर्नाटक में पिछले साल दिसंबर में हिजाब का मुद्​दा गरमाया था. पहले उड़प्पी कॉलेज ने हिजाब पर रोक लगाई. विवाद बढ़ने के बाद शासन से एक आदेश जारी हुआ. इस मामले में हाईकोर्ट ने हिजाब पर प्रतिबंध को बरक़रार रखा था, तो अब ये मामला सुप्रीमकोर्ट में सुना जा रहा है.

हिजाब को लेकर धार्मिक, क़ानूनी पहलुओं पर अब तक बहस, दलीलें चर्चा का विषय बनी हैं. हिजाब मामले की सुनवाई के दौरान ये तर्क भी आया कि हिजाब की तुलना दूसरे समुदायों के प्रतीकों से नहीं की जा सकती है. ये दलील भी आई कि इस्लाम में नमाज़ अदा करना भी ज़रूरी नहीं है तो फिर हिजाब कैसे. बहरहाल, मामले पर सुनवाई जारी है. और नए तथ्य, तर्क, दलीलों के आधार पर केस सुना जा रहा है. (Hijab Restriction Karnataka Students )


(आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)