अंबेडकरनगर में भ्रष्टाचार : ग्राम प्रधान की दबंगई के चलते पीड़ित महिला को नहीं मिल रहा आवास

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द लीडर। केंद्र और प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का दावा करते हुए बिना भेदभाव के सभी को पक्का मकान देने के संकल्प को पूरा करने में जुटी हुई है। लेकिन अम्बेडकरनगर में इसकी जमीनी हकीकत तो कुछ और ही बयां कर रही है। छप्परनुमा आवास में अपने बीमार पति और दो मासूम बच्चों के साथ जीवन बिता रही गरीब महिला ने जब प्रधान की डिमांड नहीं पूरी की तो अधिकारियों की मिलीभगत से प्रधान ने छप्पर को पक्का मकान बताते हुए उसे पीएम आवास योजना से अपात्र घोषित कर दिया गया। अब पीड़िता ब्लॉक और तहसील के चक्कर लगाकर थक चुकी है लेकिन उसका कोई पुरसाहाल नहीं है।


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आवास के लिए भटक रही पीड़ित महिला

बता दें कि, ताजा मामला ब्लॉक और तहसील भीटी के ग्राम पंचायत परवर भारी का है। जहां के ग्राम प्रधान पर आरोप है कि, उन्होंने आवास दिलाने के नाम पर 10 हज़ार रुपये एडवांस की मांग की और मांग पूरी न होने के कारण महिला का नाम पात्रता सूची से गायब कर दिया गया। पीड़िता अनीता देवी के पति राजेश कुमार बीमार रहते हैं। और वो अपने पति और दो मासूम बच्चों के साथ छप्परनुमा घर में जीवन बिताने को मजबूर है। पीड़िता ने बताया कि, उसका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में आया था। बाकायदा राजस्व विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, अनीता छप्परनुमा मकान में रहती है।

दबंग ग्राम प्रधान ने मांगे 10 हजार रुपए

अनीता की स्थिति काफी दयनीय है और वह आवास के पात्र है लेकिन उसके बाद ग्राम प्रधान रोहित यादव ने 10 हज़ार रुपये एडवांस की मांग की। जिसे गरीब महिला नहीं दे सकी। जिसके बाद विकास विभाग से एक रिपोर्ट लगी जिसमें यह दर्शाया गया कि, पीड़ित महिला के पास पक्का मकान है और वह आवास की पात्र नहीं है। और उसी रिपोर्ट को आधार मानकर महिला का नाम पात्रता सूची से काट दिया गया, और उसके छप्परनुमा मकान को पक्का मकान दिखा दिया गया। जबकि मौजूदा समय में भी उसका परिवार छप्परनुमा मकान में रहने पर विवश है।


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जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ

पीड़िता ने ब्लॉक और तहसील से लेकर कलेक्ट्रेट तक की दौड़ लगाई लेकिन ग्राम प्रधान की दबंगई और पहुंच के कारण पीड़िता को हर बार बेईज्जत कर भगा दिया जाता है। वहीं पीड़िता ने जिलाधिकारी से मांग की है कि, उसके आवास और गरीबी की अपने स्तर से जांच करवाएं। और उनके रहने के लिए पक्के मकान की व्यवस्था की जाए। बहरहाल, शासन प्रशासन लाख कोशिश कर आवास योजना का लाभ बिना सुविधा शुल्क के वास्तविक लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा हो लेकिन बीच की कड़ी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में जुटी हुई हैं। जिसके कारण वास्तविक जरूरतमंदों तक शासन की मंशानुसार लाभ नहीं पहुंच रहा पा रहा है।

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