द लीडर : आला हजरत (इमाम अहमद रजा खां) द्वारा स्थापित, जमात रजा-ए-मुस्तफा, संगठन के उपाध्यक्ष सलमान हसन खां की, सीएम योगी आदित्यनाथ से एक मुलाकात पर मुस्लिम हल्क़ों में हंगामा मच गया. पिछले चार दिनों से इस मुद्दे पर आला हजरत घराने से तल्ख सवालों की झड़ी लगी है. मन्नानी मियां की बयानबाजी ने इसे और तूल दे दिया. घर के कुछ मसले भी उछाल डाले. रोज की बदनामी से आजिज़ आकर खानदान वाले आगे आए और इस मसले को सुलझाया. मन्नानी मियां ने अपने कहे पर अफसोस जाहिर किया है. (Dargah Ala Hazrat CM)
दरगाह आला हजरत से देश-दुनिया के करोड़ों लोगों को अकीदत है. बेशुमार मुरीद-चाहने वाले हैं. जिन्हें दरगाह और खानदान के मसलों पर झगड़े से काफी तकलीफ पहुंची है. पढ़िए क्या था पूरा विवाद.
सीएम योगी से मिल आए थे सलमान हसन
मुफ्ती असजद रजा खां, जोकि काजी-ए-हिंदुस्तान और दरगाह ताजुश्शरिया-अजहरी मियां के सज्जादानशीन हैं. सलमान हसन खां, उनके दामाद हैं. पिछले दिनों सलमान हसन ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी. जिसका एक फोटो वायरल हो गया. और उसी पर बखेड़ा खड़ा हो गया. (Dargah Ala Hazrat CM)
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आला हजरत घराने की सबसे बुजुर्ग शख्सियत मन्नानी मियां हैं, जिन्होंने सीएम से मुलाकात को लेकर असजद मियां पर निशाना साधा. उनके परिवार को लेकर तमाम तरीके की अमर्यादित बातें कहीं. जिनसे बचा जा सकता था.
इसका ऑडियो वायरल हो गया. जिसे सुनकर हर कोई दांतों तले अंगुली दबा गया. इसलिए भी क्योंकि मन्नानी मियां, असजद मियां के चाचा हैं. (Dargah Ala Hazrat CM)
मुस्लिम मसाइल को लेकर सीएम से मिले
जमात के उपाध्यक्ष सलमान हसन खां की ओर से कहा गया कि मुस्लिम समाज के कुछ मसले थे. जिनको लेकर सीएम से मुलाकात की है. कोई निजी मामला नहीं था. मेरा फोटो वायरल करने के बाद, पक्ष रखने का भी मौका नहीं मिला और मेरे बारे में एकतरफा राय बना ली गई.
दरअसल, वसीम रिज़वी, स्वामी यति नरसिंहानंद, जो इस्लाम और मुस्लिम समाज को लेकर आए दिन गलतबयानी करते रहते हैं. उन पर अंकुश और कार्रवाई को लेकर हम लोग मिलने गए थे. (Dargah Ala Hazrat CM)
लेकिन मन्नानी मियां ने लगा दिए सौदेबाजी के आरोप
मुलाकात पर सफाई के बाद भी विवाद ठंडा नहीं पड़ा. और सोमवार को मन्नानी मियां ने एक बार फिर प्रेस कांफ्रेंस बुलाई. इसमें सीएम से मुलाकात को सौदेबाजी के इल्जाम के तौर पर बयान किया और मुफ्ती असजद मियां से जवाब मांगा. अपने बयानों में वह ताजुश्शरिया को लेकर भी काफी कुछ बोल गए हैं.
खैर, शाम होने पर दरगाह के कुछ लोग मन्नानी मियां से मिले. उनके बयानों के गलत होने का एहसास कराया. सलमान हसन भी मन्नानी मियां से मिले. तब देर रात मन्नानी मियां का एक ऑडियो जारी हुआ. जिसमें उन्होंने अपनी प्रेस कांफ्रेंस की बातों को रद किए जाने और सुलह की बात कही. (Dargah Ala Hazrat CM)
लेकिन झगड़ा क्या था जो सुलह किया
मन्नानी मियां ने अपने बयानों में फिरकापरस्ती के इल्जाम भी रखे हैं और फिर उन्होंने रात को सुलह और झगड़ा खत्म किए जाने का ऑडियो जारी किया. जोकि दोनों विरोधाभासी हैं. यह सवाल उठ रहा है कि आखिर झगड़ा क्या था?
अगर सलमान हसन खां के सीएम से मिलने पर एतराज था तो इस पर आराम से बैठकर भी बात हो सकती थी? फिर क्यों घर-दरगाह के मामले सड़क पर उछाले गए? क्या दरगाह आला हजरत को केंद्र में रखकर होने वाली बातें मन्नानी मियां का निजी मसला है? ये सवाल भी पूछा जा रहा है. इस पूरे विवाद से किसे क्या हासिल हुआ. इस पर भी बात हो रही है. (Dargah Ala Hazrat CM)
मौलाना तौकीर की हिदायत-सलाह
सीएम से मुलाकात के मसले पर जब मौलाना तौकीर रजा खां से सवाल किया गया तो उन्होंने भी साफ कहा कि दरगाह का नाम सियासत में इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.
मैंने कभी दरगाह का नाम यूज नहीं किया. न किसी और को ऐसा करने की जरूरत है. दूसरी बात अगर लोग सीएम से मिल भी आए हैं तो उनसे बैठकर बात करनी चाहिए थी. समझाया जाना चाहिए. यही बड़ों का फर्ज है. (Dargah Ala Hazrat CM)
इस पूरे विवाद से दरगाह आला हजरत और ताजुश्शरिया के चाहने वालों को गहरा धक्का लगा है. और सहमति-असहमति को लेकर कई लोग धार्मिक संगठन-ग्रुपों से अलग हो गए हैं. बज्में गौस-ए-आजम के महासचिव समरान खान ने महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है.
उन्होंने कहा कि ताजुश्शरिया हमारे पीर हैं. और उनकी शान में गलतबयानी बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. इसी तरह कई अन्य लोगों ने भी उूल-जलूल बयानों को लेकर को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं.
समरान खान जमात रजा-ए-मुस्तफा के प्रवक्ता भी हैं. उन्होंने बताया कि अब मामला शांत हो गया है. इस मामले में जो भी गलतफहमियां पैदा की गई थीं. उन्हें दूर कर लिया गया है.