देश में क्या है महंगाई और बेरोज़गारी दर, जिस पर चौपालें लगाने जा रही कांग्रेस

द लीडर : महंगाई और बेरोज़गारी के साथ ने आम इंसान का हाल बिगाड़ दिया है. मतलब, एक तरफ़ रोज़गार का संकट है तो ऊपर से महंगाई की मार. महामारी ने हालात ज़्यादा ख़राब किए हैं. पांच राज्यों के हालिया विधानसभा चुनावों में बेरोज़गारी पर तो बात हुई लेकिन महंगाई कोई प्रभावी मुद्​दा नहीं बन सकी. अब कांग्रेस ने 17 से 23 अगस्त तक यानी एक सप्ताह तक “महंगाई चौपाल” आयोजित करने का ऐलान किया है. विधानसभावार मंडियों, चौक-चौराहों पर महंगाई पर जनता के साथ बात होगी. और 28 अगस्त को दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस “महंगाई पे हल्ला बोल” रैली निकालेगी. (Congress Protest Inflation Unemployment)

इन दोनों मुद्​दों पर कांग्रेस, केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर है. 5 अगस्त के कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने, जिनमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी से लेकर सीडब्ल्यूसी के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे. ”चलो राष्ट्रपति भवन” मार्च के दौरान राहुल गांधी समेत कई नेताओं को हिरासत में भी लिया गया था और प्रियंका गांधी के पुलिस के साथ संघर्ष की वीडियो काफ़ी चर्चा में रही थी. अगस्त में ही कांग्रेस ने अपने इस अांदोलन को धार देते हुए महंगाई-बेरोज़गारी पर देश के आम लोगों के साथ जन-संवाद का फ़ैसला किया है.

हालांकि सत्तारूढ़ पार्टी के नेता महंगाई पर विपक्ष के दावों और आरोपों को नकाराते रहे हैं. आंकड़ों पर नज़र डालें तो पिछली तिमाही में महंगाई में मामूली सी गिरावट देखी गई थी. जून में महंगाई दर 7.01 फ़ीसदी थी. मई में ये दर 7.97 फ़ीसदी पर थी. मई में सब्जियों के भाव आसमान छू रहे थे. इसलिए क्योंकि तब सब्जियों की महंगाई दर 18.26 फ़ीसदी थी लेकिन जून में थोड़ी राहत मिली, और तब ये दर 17.37 फ़ीसदी थी.


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अभी खाद्य पदार्थ यानी खाने-पीने की चीज़ों के दाम बेभाव हैं. और जनता से त्रस्त है. लेकिन इस बीच एक तथ्य ये भी है कि महामारी के दरम्यान 2020 में सरकार ने राशन कार्ड धारकों को निश्शुल्क राशन मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्न योजना शुरू की थी, जो इस साल अगले महीने सितंबर तक जारी रहेगी. (Congress Protest Inflation Unemployment)

द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक योजना का ये छठा चरण है और इसमें 80 करोड़ राशन कार्ड धारकों को गेहूं, चावल और एक किलो दाल मुफ़्त दी जा रही है. जिस पर अनुमानित 26 हज़ार करोड़ का ख़र्च आंंका गया है. पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सरकार को इसका ज़बरदस्त फ़ायदा भी मिला. जानकारों का मानना है कि इसलिए महंगाई बहुत प्रभावी मुद्​दा नहीं बन सकी थी क्योंकि सरकार 80 करोड़ जनता तक राशन पहुंच रही है. फिर सवाल ये है कि क्या महंगाई अब कोई उतना बड़ा मुद्​दा बन पाएगी, जितनी कांग्रेस आक्रमक नज़र आ रही है?

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने महंगाई पर चर्चा का एक पत्र जारी किया है. जिसमें महंगाई, बेरोज़गारी और मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के ख़िलाफ लड़ाई की बात कही है. कांग्रेस ने प्रेस को जारी बयान में कहा है कि सरकार बढ़ती महंगाई और बेरोज़गारी को कंट्रोल करने में असफल है. और इस राष्ट्रव्यापी विरोध को ”काला जादू” के रूप में कलंकित करने की कोशिश हताशा को ज़ाहिर करती है.

कांग्रेस ने कहा कि भारत के लोग मोदी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन का खामियाजा भुगत रहे हैं. दही, छाछ, पैक्ड फूड पर ज़रूरत से ज़्यादा टैक्स लगाने से महंगाई बढ़ रही है. जबकि सार्वजनिक संपत्ति को मित्र पूंजीपतियों को सौंपने और दिशाहीन अग्निपथ योजना से रोज़गार की स्थिति बद से बदतर हो रही है. (Congress Protest Inflation Unemployment)

बेरोज़गारी पर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO)का पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे यानी (PLFC)का हालिया डाटा कहता है कि महामारी के पहले साल 2019-20 के मुकाबले 2020-21 में बेरोज़गारी दर में गिरावट आई थी. 2019-20 में बेरोज़गारी दर 4.8 फ़ीसदी थी तो 2021-21 में 4.2 फ़ीसदी पर रही है. शहरी इलाके की बेरोज़गारी दर 6.7 फ़ीसदी रही और ग्रामीण हल्कों में 3.3 प्रतिशत. इन आंकड़ों पर सवाल भी खड़े हुए थे. चूंकि इससे पहले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स में भारत में बेरोज़गारी काफ़ी चिंताजनक बताई गई थी.

वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बेरोज़गारी दर 8 फ़ीसदी पर पहुंच गई थी. रिपोर्ट में 2019 और 21 के आंकड़ों से तुलना की गई. जिसके मुताबिक 2019 में महंगाई दर 5.3 प्रतिशत थी, जबकि 2021 में छह फ़ीसदी.

सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड एनालिसिस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जोकि अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन डेटाबेस के आंकड़ों पर आधारित है-उसमें कहा गया कि 2020 में बेरोज़गारी दर 7.11 प्रतिशत हो गई थी.

2020 में बेरोज़गारी को लेकर कई चौंकाने वाले दावे और आंकड़े सामने आए थे. जिसमें कहा गया था कि 1.45 करोड़ लोगों की नौकरियां चली गईं. महामारी के दूसरे दौर में 50 लाख और तीसरे में 18 लाख लोग जॉब से निकाल दिए गए थे. हालांकि सरकारी आंकड़े अभी बेहतर स्थिति की तरफ़ इशारा कर रहे हैं. तो इसी बीच विपक्ष महंगाई और बेरोज़गारी पर सरकार के ख़िलाफ लगातार हमलावर होता जा रहा है. कांग्रेस का महंगाई पर हल्ला बोल और चौपाल लगाने का प्लान ये बताता है कि इस मुद़्दे पर विपक्ष भविष्य में भी सड़क से संसद तक आक्रामक दिखाई दे सकता है. (Congress Protest Inflation Unemployment)


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Ateeq Khan

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