धन संकट में कांग्रेस, बैंक खाते ‘फ्रीज’, अब 1700 करोड़ रुपये की वसूली का नोटिस….

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द लीडर हिंदी : लोकसभा चुनाव सिर पर है ऐसे में देश की राजनीति में सियासी तुफान आया हुआ है. कांग्रेस में उथलपुथल का माहौल है.बता दें हाईकोर्ट से मिले झटके के बाद कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ गई है. IT डिपार्टमेंट ने 1700 करोड़ रुपये की वसूली का नोटिस भेजा. आयकर अधिकारियों द्वारा 210 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने और उसके बैंक खातों को ‘फ्रीज’ करने के बाद कांग्रेस पहले से ही धन की कमी का सामना कर रही है.

जानकारी के मुताबीक आयकर विभाग ने कांग्रेस पार्टी को लगभग 1,700 करोड़ रुपये का नोटिस जारी किया है, जिससे 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों से पहले उसकी वित्तीय चिंताएं बढ़ गई हैं. यह घटनाक्रम दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा चार मूल्यांकन वर्षों के लिए पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही को चुनौती देने वाली पार्टी की याचिका खारिज करने के बाद आया है. आयकर विभाग ने पिछले वर्षों के टैक्स रिटर्न में हुई कथित विसंगतियों के लिए कांग्रेस को 1,700 करोड़ रुपये का नया नोटिस भेजा है. सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.लोकसभा चुनाव से पहले धन के संकट से जूझ रही पार्टी के लिए यह एक और झटका है.

नई मांग आकलन वर्ष 2017-18 से 2020-21 से संबंधित है और इसमें जुर्माना और ब्याज शामिल है. टीओआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी अब तीन अन्य मूल्यांकन वर्षों के पुनर्मूल्यांकन का इंतजार कर रही है, जो निर्धारित समय सीमा रविवार तक समाप्त होने की उम्मीद है.

बता दें, दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कर अधिकारियों द्वारा चार साल की कर पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू करने को चुनौती देने वाली कांग्रेस द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया. पीठ में शामिल न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और न्यायमूर्ति पुरुषइंद्र कुमार कौरव ने कहा कि एक अतिरिक्त वर्ष के लिए पुनर्मूल्यांकन को फिर से खोलने में हस्तक्षेप करने से परहेज करने के उनके पहले के फैसले के अनुरूप याचिकाएं खारिज कर दी गईं.

मामले का विषय 2017 से 2021 तक मूल्यांकन वर्षों से संबंधित है. एक सप्ताह पहले खारिज की गई पिछली याचिका में, कांग्रेस पार्टी ने मूल्यांकन वर्ष 2014-15 से 2016-17 के संबंध में पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू करने का विरोध किया था. उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि कर प्राधिकरण ने प्रथम दृष्टया ‘पर्याप्त और ठोस’ साक्ष्य एकत्र किए हैं, जिनकी आगे जांच की आवश्यकता है. कर विभाग ने आरोप लगाया कि इन तीन वर्षों के दौरान लगभग 520 करोड़ रुपये की कर चोरी की गई है.

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