द लीडर डेस्क
शनिवार को चीन से बड़ी खबर आयी है। अमेरिका, रूस, यूरोपियन यूनियन और भारत के बाद सब चीन ने भी लाल ग्रह मंगल की धरती छू ली है। 23 जुलाई 2020 को धरती से भेजा गया चीनी रोवर जुरोंग (Zhurong Rover) कई दिन तक उपयुक्त जगह की तलाश क़रने के बाद मंगल के उत्तरी गोलार्द्ध की सतह पर उतर कर तस्वीर भेजने लगा।
जुरोंग रोवर ने सात महीने की अंतरिक्ष यात्रा की , तीन महीने तक ऑर्बिट की परिक्रमा की और शनिवार सुबह मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक उतर गया। चीन के नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनएसए) ने शनिवार सुबह इसकी पुष्टि की है।
चीनी यान एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर जुरोंग को लेकर गया था । 10 फरवरी को मंगल की कक्षा में प्रवेश करने के बाद से उसने काफी महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्र की हैं।
चीन से पहले अमेरिका, रूस, यूरोपीय संघ और भारत मंगल ग्रह पर सफलता पूर्वक अपने अंतरिक्ष यान उतार चुके हैं। भारत पहला एशियाई देश है, जिसने 2014 में पहली बार में ही मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यान को उतारने में सफलता हासिल की थी, तब से यह मंगल ग्रह की अहम जानकारियां और तस्वीरें भेज रहा है
कई तस्वीरें भेजी
रोवर चीन के अंतरिक्ष यान ‘तियानवेन-1’ की बेली में चिपक कर लगातार सतह की मैंपिंग कर रहा था। इससे पहले चीन ने तियानवेन-1 प्रोब यान से ली गयी मंगल की तस्वीरें प्रकाशित की थी। ‘हाई रिजोल्यूशन’ वाली इन तस्वीरों में दो ‘पैन्क्रोमैटिक व्यू’ वाली और एक रंगीन तस्वीर है। चीन के अंतरिक्ष यान तियानवेन-1 के हाई रिजोल्यूशन कैमरे से मंगल की सतह से करीब 330 से 350 किलोमीटर की दूरी से ये पैन्क्रोमैटिक तस्वीरें ली गयीं थी। यह मंगल के यूटोपिया प्लेनेशिया समतल तक पहुंचा है जोकि मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध का हिस्सा है। चीन ने इस रोवर में एक प्रोटेक्टिव कैप्सूल, एक पैराशूट और रॉकेट प्लेफॉर्म का इस्तेमाल किया है।
कैसे हुई लैंडिंग
पृथ्वी से मंगल ग्रह तक की दूरी 32 करोड़ किलोमीटर है. इसका मतलब ये है कि मंगल से किसी भी संदेश को पृथ्वी तक पहुंचने में 18 मिनट का समय लगता है।मंगल ग्रह पर एक दिन 24 घंटे 39 मिनट का होता है। ऐसे में सतह तक पहुंचने के हर चरण को इसे खुद स्वतंत्र रूप से करना था। ग्रह के वातावरण में एंट्री, नीचे की ओर बढ़ना और लैंडिंग की रणनीति भी बिल्कुल इसी तरह की थी. वहीं, चुने गए एक निश्चित समय पर एयरोशैल के भीतर बंद किए गए रोवर को Tianwen-1 ऑर्बिटर से रिलीज कर दिया गया और ये सतह की ओर बढ़ने लगा। इस दौरान एयरोशैल कैप्सूल को गर्मी का सामना करना पड़ा, जिसने इसकी रफ्तार को कम कर दिया। फिर एक पैराशूट खुला और उसने इसकी रफ्तार को नियंत्रित करते हुए इसे लैंडिंग वाली जगह की ओर बढ़ाना शुरू कर दिया। आखिरकर ये रोवर धीरे-धीरे सतह पर लैंड किया और फिर एयरोशैल के भीतर से रोवर बाहर निकल आया। बीजिंग इससे पहले चंद्रमा पर दो रोवर्स को लैंड करा चुका है।
कैसा है ये जुरोंग
जुरोंग नाम चीन के अग्नि देवता के नाम पर रखा गया है। इस रोवर के जरिए 90 दिनों तक ग्रह के वातावरण को समझने का प्रयास किया जाएगा। जुरोंग छह पहियों वाला रोवर है। Zhurong रोवर देखने में अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के ‘स्पिरिट एंड अपॉर्चुनिटी’ रोवर की तरह दिखता है. इसका वजन 240 किलोग्राम है और इसे सोलर पैनल के जरिए ऊर्जा मिलती है। रोवर पर लगे कैमरा तस्वीरें लेने और नेविगेशन का काम करेंगे। इसके अलावा, पांच अन्य उपकरण स्थानीय चट्टानों के खनिज विज्ञान और जमीन के नीचे मौजूद बर्फ की तलाश करेंगे।