द लीडर हिंदी, नई दिल्ली। कोरोना वायरस की रफ्तार अब देश में कम हो रही है. वहीं तीसरी लहर की भी वैज्ञानिक आशंका जता रहे है. लेकिन कोरोना वायरस को हराने की तैयारी में लगे देश को जल्द नया वैक्सीन रूपी ‘हथियार’ मिल सकता है. इस वैक्सीन से देश के बच्चे भी कोरोना से सुरक्षित हो जाएंगे.
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ZyCoV-D को मिल सकती है आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी
जानकारी के मुताबिक, भारतीय कंपनी जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D को इसी हफ्ते आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है. देश में 12-18 साल के बच्चों को लगाए जाने वाली यह पहली वैक्सीन होगी. इसे डेल्टा वैरिएंट पर भी असरदार बताया जाता है.
कई मायनों में खास है ZyCoV-D
भारतीय कंपनी जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D कई मायनों में खास है. इसकी एक या दो नहीं बल्कि तीन खुराक लेनी होंगी. साथ ही साथ यह नीडललेस है, मतलब इसे सुई से नहीं लगाया जाता. इसकी वजह से साइड इफेक्ट के खतरे भी कम रहते हैं. जायडस कैडिला ने 1 जुलाई को भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) से आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मांगी थी. जायडस का कोरोना टीका 66 फीसदी प्रभावी बताया जाता है.
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फार्माजेट तकनीक से लगाई जाती है जायडस कैडिला की वैक्सीन
जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन पहली पालस्मिड DNA वैक्सीन है. इसके साथ-साथ इसे बिना सुई की मदद से फार्माजेट तकनीक से लगाया जाएगा, जिससे साइड इफेक्ट के खतरे कम होते हैं. बिना सुई वाले इंजेक्शन में दवा भरी जाती है, फिर उसे एक मशीन में लगाकर बांह पर लगाते हैं. मशीन पर लगे बटन को क्लिक करने से टीका की दवा अंदर शरीर में पहुंच जाती है.
ZyCoV-D को 12 से 18 साल के बच्चों के लिए सुरक्षित पाया गया
ZyCoV-D कोरोना वैक्सीन को 12 से 18 साल के बच्चों के लिए सुरक्षित पाया गया है. पहले जानकारी सामने आई थी कि, जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D का तीसरे चरण का ट्रायल हो चुका है. इसमें 28 हजार प्रतिभागियों से हिस्सा लिया था. भारत में किसी वैक्सीन का यह अब तक का सबसे बड़ा ट्रायल था, जिसके नतीजे भी संतोषजनक आए. जायडस कैडिला पहले ही सालाना 10-12 करोड़ कोरोना वैक्सीन खुराक बनाने की बात कह चुकी है.
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जायडस कैडिला की वैक्सीन के साथ क्लोड स्टोरेज का झंझट नहीं
ZyCoV-D के साथ यह झंझट भी नहीं है कि इसे स्टोर करने के लिए बेहद कम तापमान चाहिए. इसकी थर्मोस्टेबिलिटी अच्छी बताई जाती है. मतलब क्लोट चेन, स्टोरेज की टेंशन नहीं रहेगी, जिससे वैक्सीन की बर्बादी भी कम होगी. ZyCoV-D Plasmid आधारित DNA वैक्सीन है. इस वजह से ही इसे 2-8 डिग्री के तापमान में रखा जा सकता है.
क्या है प्लाज्मा DNA वैक्सीन?
आमतौर पर दो तरह की वैक्सीन होती है. पहला DNA और दूसरा RNA. भारत की ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन DNA आधारित वैक्सीन है. जबकि अमेरिका की दोनों वैक्सीन फ़ाइज़र और मॉडर्ना एक mRNA आधारित वैक्सीन है. दोनों तकनीक एक दूसरे से बेहद अलग है. DNA आधारित वैक्सीन एक पुरानी तकनीक है. इसमें आमतौर पर मरे हुए या फिर ज़िंदा वायरस या बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह की वैक्सीन से इंसान के शरीर में वायरस और बैक्टीरिया डाला जाता है. जिससे कि बैक्टीरिया या वायरस से लड़ने के शरीर में एंटीबॉडी बनती है. जायडस कैडिला की वैक्सीन इसी पर आधारित है.
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कितनी असरदार है जाइडस कैडिला की वैक्सीन?
कंपनी ने दावा किया है कि, जिन लोगों को कोरोना के लक्षण हैं उनमें ये वैक्सीन करीब 66.6 फीसदी तक असरदार है. जबकि हल्के लक्षण वाले मरीज़ों में ये सौ फीसदी तक असरदार है. कंपनी ने भी कहा है कि, ये वैक्सीन 12-18 साल के बच्चों पर भी सुरक्षित है.