द लीडर हिंदी : 24-25 मार्च को होली है. जिसका सभी को बेसब्री से इतंजार है. रंगी की होली, फूलों वाली होली, और ब्रज की होली, सभी को लोग धूमधाम से मनाते है.वही इससे पहले इस साल फुलेरा दूज का त्योहार 11 मार्च 2024, सोमवार को मनाया जाएगा. बता दें यह त्योहार हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. वही फुलेरा दूज के दिन से ही मथुरा-वृंदावन सहित पूरे ब्रज में होली शुरू हो जाती है.
फुलेरा दूज का महत्व होली की तरह ही है क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने फूलों की होली मनाई थी. इसके अलावा इस दिन को और भी विशेष माना जाता है क्योंकि इस दिन बहुत से शुभ कार्य किए जाते हैं.वही शादी, नामकरण, नया व्यापार आदि मंगल कार्य इसलिए दिन से शुरू किए जाते हैं. फुलेरा दूज का दिन अबूझ मुहूर्त का माना जाता है. इसका अर्थ यह है कि इस दिन पंचांग में कोई मुहूर्त देखे ही मंगल कार्य किए जाते हैं क्योंकि यह पूरी तिथि ही बहुत शुभ मानी जाती है.
जानिए फुलेरा दूज का महत्व
फुलेरा दूज के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने फूलों की होली खेली थी इसलिए इस दिन राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण पर फूल बरसाए जाते हैं.फूल बरसाने के बाद राधा रानी और श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है. वसंत ऋतु के आगमन की खुशी में भक्त भी एक-दूसरे के साथ फूलों की होली खेलते हैं. फुलेरा दूज के दिन पूरे ब्रज में काफी आनंदित वातावरण रहता है. बता दें लोग फूलों की होली खेलने के साथ इस दिन मिठाइयां और माखन-मिश्री का प्रसाद भी वितरित करते है
जानिए कब है फुलेरा दूज का मुहूर्त
फुलेरा दूज का त्योहार इस साल 11 मार्च 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन सोमवार है
द्वितीया तिथि प्रारम्भ : 11 मार्च सुबह 10:44 बजे से
द्वितीया तिथि समाप्ति : 12 मार्च सुबह 07:13 बजे
फुलेरा दूज पर करें ये उपाय, वैवाहिक पर आई बांधा टलेगी
बता दें किसी कारणवश अगर आपका विवाह नहीं हो रहा है या फिर आपके जीवन में प्यार की कमी है, तो आपके लिए फुलेरा दूज का दिन बहुत महत्व रखता है. आपको इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा-राधी की पूजा करनी चाहिए. आप अगर श्रीकृष्ण और राधा जी को माखन मिश्री का भोग लगाकर उनका फूलों से श्रृंगार करेंगे, तो न सिर्फ आपके जीवन में प्यार का आगमन हो सकता है बल्कि अगर आपके वैवाहिक जीवन में परेशानियां आ रही हैं, तो उसका भी समाधान हो जाएगा. माना जाता है कि जो लोग इस फुलेरा दूज के दिन विवाह करते हैं, उनका रिश्ता मजबूत होता है और वे दम्पति जन्मों-जन्मों के साथी बन जाते हैं.