Block Pramukh Chunav UP : कपड़े रितु सिंह के फटे, नंगी यूपी की सियासत हुई

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ये तस्वीर लखीमपुर की है. जिसमें सही सी नजर आ रहीं सपा प्रत्याशी रितु सिंह अपनी आबरू बचा रही हैं.

अतीक खान


 

– उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि भारत में पुरुषवादी वर्चस्व की जो सियासत (Male Dominated Politics) है. वो हमें विरसे में मिली है. और उसका सबसे आसान निशाना औरतें (Women ) ही हैं. जी-हां, वही औरतें जिन्हें हम, सदियों से देवी के स्वरूप पर भरमाते आए हैं. लेकिन उनके चीरहरण का कोई भी मौका नहीं गंवाते. आज लखीमपुर में ब्लॉक प्रमुख पद की उम्मीदवार (Block Pramukh Chunav Candidate Ritu Singh) रितु सिंह इस मर्दवादी हनक का शिकार बनीं. अफसोस! कपड़े जरूर रितु के फटे. लेकिन नंगी, उत्तर प्रदेश की पूरी सियासत (UP Politics) हो गई. (Block Pramukh Chunav UP)

औरतों के मामले में चाहें कोई भी दल हो या सत्ता. कमोबेश सबका एक जैसा ही नजरिया (Thought) रहा है. यही वजह है कि महिलाओं के दमन की ऐसी ह्रदय विदारक घटनाएं, हर शासनकाल में सामने आती रही हैं. और समाज के पास अफसोस जताने के सिवाय कुछ नहीं रहता.

याद कीजिए. कभी स्वाती सिंह (Swati Sing) की अस्मत पर भी कींचड़ उछाला गया था. स्वाती दूसरे दल की थीं. और कींचड़ उछालने वाले दूसरी पार्टी के. भाजपा (BJP) ने इसे मुद्​दा बनाया. Block Pramukh Chunav UP


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”महिलाओं के सम्मान में भाजपा मैदान में” का नारा देकर सत्ता में आई. बाद में स्वाति सिंह यूपी सरकार में मंत्री बनीं. लेकिन उस घटना के बाद क्या महिलाओं के हालात में कोई बदलाव नजर आ रहा है?

हाथरस से लेकर उन्नाव (Hathras and Unnav case) तक बलात्कार की घटनाओं को पलटर देख लीजिए. और उस पर सत्ता, शासन-प्रशासन का रुख भी. अंदाजा लगा पाएंगे कि महिलाओं के मुद्​दे पर सियासत का चाल-चरित्र और चेहरा कैसा है?

लखीमपुर में समाजवादी पार्टी की ब्लॉक प्रमुख प्रत्याशी के साथ अभद्रता. पुलिस के बीच किस तरह से अपनी आबरू को बचाती सहमी नजर आ रही हैं.

भारत की जनसंख्या (Indian Papulation) करीब 1.30 करोड़ के आस-पास पहुंच गई है. इसमें महिलाओं की आबादी पुरुषों के मुकाबले कोई 4 प्रतिशत कम होगी.

साल 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर भारतीय महिलाओं की एक्टिव राजनीति (Participation of Women’s in Politics) में हिस्सेदारी काफी कम हैं. Block Pramukh Chunav UP

भारतीय राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की रिपोर्ट.

महिलाओं की राजनीतिक स्थिति की रिपोर्ट में 193 देशों में भारत का 141वां स्थान है. यानी दुनिया की मुख्यधारा की राजनीति में महिलआों की भागीदारी 22.6 फीसदी है. जबकि भारत में ये आंकड़ा केवल 12 प्रतिशत है.

यहां तक कि राजनीतिक सक्रियता के मामले में पड़ोसी देश नेपाल भी काफी बेहतर हालत में हैं. नेपाल में 29 फीसदी महिलाएं पॉलिटिक्स में एक्टिव हैं, जबकि अफगानिस्तान में 27.7 प्रतिशत महिलाएं राजनीति में हैं.

ब्लॉक प्रमुखी का पर्चा भरने से रोकने को लेकर हमला

लखीमपुर के पसगवां (Lakhimpur Pasgavan Block) क्षेत्र में रितु सिंह समाजवादी पार्टी की (Samjwadi Candidate Ritu Singh) ब्लॉक प्रमुख प्रत्याशी हैं. गुरुवार को जब वह नामांकन के लिए ब्लॉक पहुंची. Block Pramukh Chunav UP

किसी तरह उनकी आबरू बच पाई. लेकिन इसके बाद जो तस्वीर सामने आई. उसने समाज और पूरे राजनीतिक तंत्र को शर्मसार कर दिया है. रितु सिंह पर्चा न भर पाएं.

इस मदहोशी में चूर विपक्षियों ने उनके कपड़े तक फाड़ डाले. और ये सब पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में हुआ. कपड़े फटने पर रिती सिंह अपनी अस्मत बचाने के लिए सहमकर बैठ गईं. जिसके फोटो भी सामने आए हैं.

मीडियों में घटना की तस्वीरें सामने आने के बाद राज्य सरकार ने दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है. और आरोपियों की गिरफ्तारी की बात सामने आई है.

लेकिन सवाल ये है कि ये सब किसके लिए हो रहा था? क्या भारत में औरतों को चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है?

सुरक्षा के नाम पर पुलिस-प्रशासन की भूमिका क्या है? और राज्य निर्वाचन आयोग क्या रहा है? सोशल मीडिया पर ऐसे सवालों की छड़ी लगी है.

लेकिन इन सवालों का जवाबदेह कौन है. क्या किसी के पास जवाब है? शायद नहीं. एक चुप्पी में सारी बल टल जाएगी. और फिर महिलाओं के सम्मान में, फलां पार्टी मैदान में का शोर गूंजायमान हो उठेगा.

क्या इस घटना के जिम्मेवार सिर्फ दो पुलिसकर्मी ही हैं, जो निलंबित हो गए. इतने भर से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो जाएगी.

समाजवादी पार्टी का आरोप है कि जिला पंचायत के बाद ब्लॉक प्रमुख चुनाव में भाजपा ने धांधली की है. और उसके प्रत्याशियों को पर्चा भरने से रोका गया.

इसके खिलाफ पार्टी ने 11 जुलाई को आंदोलन का आह्वान किया है. पूरे राज्य के जिला स्तर पर राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन स्थानीय प्रशासन को सौंपे जाएंगे. Block Pramukh Chunav UP

(लेखक पत्रकार हैं. और यहां व्यक्त उनके निजी विचार हैं. द लीडर का इससे कोई सरोकार नहीं है.)

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