बिहार : पानी उतरा तो नदी के बीच मिली 40 साल पुरानी मस्जिद, लोगों ने बताया क़ुदरत का करिश्मा

0
739
Bihar Mosque River Nawada
नवादा की वो मस्जिद, जो नदी के बीच पाई गई है.

द लीडर : तेज़ बहाव वाली एक विशाल नदी की धार के बीच कोई इमारत 40 सालों से महफ़ूज खड़ी रहे, तो अपने आप में ये करिश्मा ही होगा. और ये चमत्कार बिहार के नवादा ज़िले के हरदिया गांव के पास हुआ है. जहां फुलवरिया डैम में सैकड़ों साल पुरानी एक मस्जिद, नदी की धारा के बीचों-बीच सुरक्षित मिली है. डैम का पानी सूखने के बाद जैसे ही ये मस्जिद नज़र आई, बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में चर्चा का केंद्र बन गई है. और आस-पास के गांव वालों में मस्जिद के दीदार की होड़ लगी है. हर कोई इसे क़ुदरत का करिश्मा कह रहा है. (Bihar Mosque River Nawada)

दरअसल, नवादा इन दोनों ज़रदस्त सूखे की चपेट में है. और हालात ये है कि इलाक़े की विशाल नदियों का पानी भी सूख गया है. फुलवरिया डैम भी इनमें से एक है. नदी सूखने के बाद यहां मस्जिद बरामद हुई है.

ये मस्जिद सैकड़ों साल पुरानी बताई जा रही है. मस्जिद की बनावट और सामग्री के आधार पर कुछ रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया जा रहा है. इंडिया टुडे ने स्थानीय लोगों से बातचीत के आधार पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 1984 में फुलवरिया डैम बना था. उससे पहले इस इलाके में गांव आबाद हुआ करते थे, जिन्हें बांध बनाने के लिए खाली कराया गया था. और मस्जिद को यूं ही छोड़ दिया गया. (Bihar Mosque River Nawada)


इसे भी पढ़ें-आला हज़रत के इस उर्स में क्यों बेशुमार भीड़ जुटने का लगाया जा रहा अंदाज़ा, क्या है दरगाह की तैयारी


 

बांध बनने के बाद मस्जिद नदी की धारा में समा गई और दूर से कभी कभार गुंबद का मामूली सिरा दिखाई दिया करता था. आज तीन से ज़्यादा दशक बाद जब नदी का जलस्तर घटा है तो ये मस्जिद वैसे ही महफ़ूज खड़ी दिखाई दी, जैसे वो तामीर हुई थी.

लगातार 40 वर्षों तक पानी में रहने के बावजूद मस्जिद की दरो-दीवारें मज़बूती के साथ टिकी हुई हैं. ज़ाहिर है कि नई पीढ़ी के लिए ये करिश्मा ही है, आम लोगों के लिए भी. आसपास के तमाम गांवों के लोग मस्जिद देखने के लिए नदी में जा रहे हैं. हालांकि अभी यहां कीचड़ है. इसके बावजूद कुछ युवा मस्जिद तक पहुंच गए और वीडियो, तस्वीरों के माध्यम से पूरे देश का ध्यान खींचा है. (Bihar Mosque River Nawada)

मस्जिद सुरक्षित पाए जाने के बाद कुछ लोगों ने यहां नमाज़ अदा करने की ख़्वाहिश भी ज़ाहिर की, लेकिन बुजुर्गों ने इससे मना कर दिया. इस तर्क के साथ कि चूंकि मस्जिद बीच नदी में है और आसपास कोई आबादी भी नहीं है, इसलिए इसे आबाद करने का कोई फ़ायदा नहीं है. दरअसल, जहां मस्जिद पाई गई है वो पहाड़ी और जंगली इलाका है, तो नज़दीक में गांव भी नहीं है. इसलिए बुजुर्गों ने यहां नमाज़ की इजाज़त नहीं दी.

बहरहाल, जिस तरह से इस बार नवादा की नदियों का पानी सूखा है और डैम का जल स्तर लगातार घटता जा रहा है. उससे लोगों में बेचैनी भी देखी जा रही है. इस बात को लेकर कि अगर बारिश नहीं हुई तो इलाके में जलसंकट गहरा सकता है. दरअसल, फुलवरिया डैम से क़रीब 90 गांवों तक पानी पहुंचाया जा जाता है, जो खेतीबाड़ी के काम आता है. लेकिन अगर जलाशय ही सूख जाएंगे तो आगे पानी पहुंचाना मुश्किल हो जाएगा. (Bihar Mosque River Nawada)


(आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)