Bihar : CM नीतीश के गृह जनपद की नदी में गूंजी शहनाई, नाव पर दूल्हा-दुल्हन और बाराती

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Bihar Nalanda Marriage CM Nitish Kumar Flood In Bihar
नालंदा : नाव से पार होकर पहुंची दुल्हन.

द लीडर : बारिश-बाढ़ और तबाही. ये बिहार की दशकों पुरानी दास्तां हैं. जिसमें अब तक न जाने कितने ही घर उजड़ गए. लेकिन बिहार की जीवट, मेहनतकश अवाम है, जो ठहरती नहीं. हर उजाड़ के बाद फिर आबाद होने की मशक्कत में जुट जाती है. अब मानसून दस्तक देने वाला है. नदियों में उफान दिखने लगा. इसी के साथ तटीय क्षेत्रों में बसे ग्रामीणों की जिंदगी की दुश्वारी भी बढ़ने लगी है. इसके बावजूद वे खुश हैं. और जानकर हैरत होगी कि जो नदी- जलमग्न क्षेत्र,  उनकी मुश्किलों का कारण बने हैं. वे उसी की प्रवाहित धारा पर शहनाई के गीत गाकर झूम रहे हैं.

मामला नालंदा जिले का है. राजगीर विधानसभा क्षेत्र की एक पंचायत है हरगवां. इस पंचायत में नवाजी बिगहा गांव है. ये गांव एक नदी के तट पर बसा है. राष्ट्रीय जनता दल-आरजेडी के मुताबिक उस पार जाने के लिए सड़क नहीं है. आजादी के बाद से गांव वाले सड़क की मांग उठा रहे हैं.

गांव में एक शादी हुई. ग्रामीणों ने नदी में नाव डाली. और इसी पर बैठकर बाजा बजाते हुए दूसरी पार गए. दूसरी नाव पर दुल्हन थी. बाराती भी नाव से नदी पार हुए. शुक्रवार को आरजेडी ने नाव से बारात का वीडियो शेयर किया है.


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और नीतीश सरकार के विकास के दावों पर कटाक्ष किया है. आरजेडी ने अपने ट्वीट में लिखा-, ‘मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जनपद नालंदा के बिहारशरीफ प्रखंड में राजगीर विधानसभा के अंतर्गत हरगवां पंचायत में नवाजी बिगहा गांव. यहा अभागा गांव आजादी से लेकर आज तक नाव के सहारे है. एक नाव पर बाजा बजाते बाराती जा रहे हैं तो दूसरी नाव पर दुल्हन आ रही है. हर चुनाव में गांव वाले सड़क की मांग करते रह जाते हैं.’ इसे भी पढ़ें – पारस के बुझाए ‘चिराग’ से बिहार को रौशन कर सकती तेजस्वी की लालटेन-ये रहा फार्मूला

दरअसल, बाढ़, राज्य में जान-माल के नुकसान का बड़ा और और प्रमुख कारण है. जिससे हर साल राज्य का सामना होता है. सवाल ये है कि इतने अरसे के बाद भी बाढ़ जैसी स्थायी समस्याओं का समाधान आज तक क्यों नहीं हो सका?

नाव पर शहनाई बजाते बाजदार.

देश का सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित राज्य है बिहार

बिहार में हर साल बाढ़ की भारी तबाही का मंजर दिखाई पड़ता है. देश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में बिहार का हिस्सा 16.5 प्रतिशत के आस-पास है. और देश की बाढ़ प्रभावित कुल आबादी में बिहार भागीदारी 22.1 फीसदी है. खासतौर से बिहार का उत्तरी इलाका, सबसे ज्यादा इसकी चपेट में आता है. 2013 की बाढ़ ने करीब 3368 गांवों को और करीब 60 लाख लोगों को प्रभावित किया था. जबकि 2017 की बाढ़ में करीब 1.70 करोड़ की आबादी इसकी जद में आई थी.

राज्य को बाढ़ की चपेट में लाने वाली नदियां

बिहार में बाढ़ का संकट टालने के नाम पर हर साल बेशुमार खर्च किया जाता है. लेकिन नतीजा प्रभावी नहीं निकल पाता. और कोसी, महानंदा, बूढ़ी गंडक, और गंडक नदियां साल-दर साल बाढ़ की तबाही मचाती रहती हैं. इसके अलावा भी तमाम छोटी नदियां भी विभिन्न क्षेत्रों को जलमग्न किये रहती हैं. जिसमें सोन, पुनपुन, फल्गु, बागमती, कमला बलान, अधवारा आदि नदियां शामिल हैं. इसे भी पढ़ें – क्या RJD ने 16 साल के ‘सुशासन’ के आवरण से हटा दी झीनी चुनरी, जो दिखने लगे बदहाली के दाग

38 सालों में 8500 से ज्यादा ने जान गंवाई

राज्य में 1979 से बाढ़ से जान-माल के नुकसान का आंकड़ा दर्ज किया जाना शुरू किया गया. तब से 2017 तक कुल 8331 लोगों ने जान गंवाई है. जबकि तीन सालों का डाटा इसमें शामिल नहीं है. हालांकि वास्तविक जनहानि इससे कई गुना अधिक होने की संभावना जताई जाती रही है. पिछले साल 2020 में राज्य ने दोहरी आपदा का सामना किया. एक बाढ़ और दूसरी संक्रमण. पिछले साल की बाढ़ में करीब 269 लोग मारे गए थे.

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