द लीडर। पीएम मोदी ने गुरु पर्व पर किसानों को राहत देते हुए तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया। वहीं जहां एक तरफ विपक्ष ने किसानों को बधाई देते हुए सरकार पर जमकर हमला बोला। वहीं दूसरी तरफ कई लोगों ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुई अपनी मांग भी उठाई। केंद्र सरकार का तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। इस बीच जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का स्वागत किया है।
नागरिकता संशोधन कानून वापस लेने की मांग
मौलाना अरशद मदनी ने किसानों को बधाई देते हुए कहा कि, इसके लिए महान बलिदान दिया गया। किसानों को बांटने की साजिशें भी रची गईं, लेकिन देश के किसान अपने रुख पर अडिग रहे। मौलाना मदनी ने सरकार से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को कृषि कानूनों की तरह वापस लेने की मांग की है।
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मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि, एक बार फिर सच सामने आया है कि, अगर किसी जायज मकसद के लिए ईमानदारी और धैर्य से आंदोलन चलाया जाए तो उसमें सफलता जरूर मिलती है। यह निर्विवाद तथ्य है कि, किसानों ने सीएए के खिलाफ आंदोलन के माध्यम से इतना मजबूत आंदोलन पाया जब महिलाएं भी न्याय के लिए दिन रात सड़कों पर बैठी रहीं। आंदोलन में शामिल होने वालों पर घोर अत्याचार किया गया और कई झूठे आरोपों के तहत गिरफ्तार किए गए, लेकिन आंदोलन को तोड़ा या दबाया नहीं जा सका।
लोकतंत्र और लोगों की शक्ति सर्वोपरि है- मौलाना मदनी
मौलाना मदनी ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि, देश की संरचना लोकतांत्रिक है, इसलिए यह अपनी जगह पर सही है। इसलिए अब पीएम को उन कानूनों पर ध्यान देना चाहिए जो मुसलमानों के संबंध में लाए गए हैं। कृषि कानूनों की तरह ही सीएए भी वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि, इस फैसले ने यह साबित कर दिया कि ,लोकतंत्र और लोगों की शक्ति सर्वोपरि है। जो लोग सोचते हैं कि, सरकार और संसद अधिक शक्तिशाली हैं, वे गलत हैं। जनता ने एक बार फिर किसानों के रूप में अपनी ताकत का परिचय दिया है।
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