लोकसभा चुनाव से पहले सपा को बड़ा झटका, नहीं रहे शफ़ीक़ुर्रहमान बर्क़, 93 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

द लीडर हिंदी : उत्तर प्रदेश के ज़िला संभल की बेबाक और निडर ज़ुबां हमेशा के लिये ख़ामोश हो गई. लंबी राजनीतिक पारी खेलने के बाद संभल के सांसद शफ़ीक़ुर्ररहमान बर्क़ ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. एक माह पहले अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें मुरादाबाद के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कुछ दिनों से उनकी हालत में सुधार था. लेकिन मंगलवार 93 साल की उम्र में उन्होंने मुरादाबाद के अपैक्स अस्पताल में आखिरी सांस ली. उनके निधन के बाद राजनीतिक दिग्गज उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दे रहे हैं

हाल ही में उनसे मिलने समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव भी पहुंचे थे. बता दें सपा शफ़ीक़ुर्ररहमान का लोकसभा चुनाव 2024 के लिए टिकट भी घोषित कर चुकी है. वो पांच बार सांसद और चार बार विधायक रहे. शफ़ीक़ुर्ररहमान अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहे.बता दें उन्होंने कभी भी नफ़े-नुक़सान की परवाह नहीं की और वो पार्टी लाइन से हटकर बयान दे देते थे. जो ठीक लगा वही कहा. कौन क्या कहेगा, क्या नहीं कहेगा कभी इसकी परवाह नहीं की.

जेल में बंद समाजवादी पार्टी के क़द्दावर नेता आज़म ख़ान के भी वो ख़ास रहे. मुरादाबाद बेल्ट में सपा के बड़े नेता थे. चुनाव से पहले उनका चला जाना पार्टी के लिए झटका है.मंगलवार को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई. इसके बाद उन्होंने उन्होंने अंतिम सांस ली. चार बार विधायक रहने के बाद 2019 में पांचवीं बार संभल से सांसद चुने गए. उम्र और अनुभव में देश के सबसे वरिष्ठ राजनेता रहे.अपने सियासी तेवरों के कारण उनकी अलग पहचान रही है.

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वह बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक रह चुके थे. मुस्लिमों के मुद्दों को उठाने और वंदेमातरम पर अपने बयानों को लेकर सियासत में चर्चित रहे डा. शफीकुर्रहमान बर्क सपा की सियासत में बड़ा चेहरा बनकर उभरे थे.उनका सियासी सफर 60 वर्ष से भी ज्यादा का था.

अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में रहने वाले शफीकुर्रहमान बर्क़ मुसलमानोंके हितोंको लेकर हमेशा मुखर रहे. शफीकुर्रहमान के बेटे भी समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक हैं.

Abhinav Rastogi

पत्रकारिता में 2013 से हूं. दैनिक जागरण में बतौर उप संपादक सेवा दे चुका हूं. कंटेंट क्रिएट करने से लेकर डिजिटल की विभिन्न विधाओं में पारंगत हूं.

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