द लीडर : उत्तर प्रदेश के जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा पर समाजवादी पार्टी ने गंभीर आरोप लगाए हैं. वो ये कि, ”भाजपा ने उनके प्रत्याशियों का अपहरण कर लिया. इस कारण वे पंचायत अध्यक्ष चुनाव का नामांकन नहीं करा पाए.” रविवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने एक बयाने में कहा-”जो अलोकतांत्रिक तरीका अपनाकर सपा प्रत्याशियों को नामांकन से रोका गया है, उसने इस चुनाव की निष्पक्षता और पवित्र नष्ट कर दी है.”
पार्टी की ओर से ट्वीटर पर कुछ वीडियो भी पोस्ट किए गए थे. इन वीडियो में समाजवादी पार्टी ने नामांकन के लिए पहुंचे अपने प्रत्याशियों के साथ भाजपाइयों के मारपीट किए जाने दावा किया.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा ने जिस तरह से जिलों में पंचायत अध्यक्षों के नामांकन अलोकतांत्रिक तरीके से रोके हैं उससे इन चुनाव की निष्पक्षता एवं पवित्रता नष्ट हुई है।https://t.co/DSyHXcXexl
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) June 27, 2021
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में मुरादाबाद से डा. शैफाली सिंह, बुलंदशहर से डाॅ. अंतुल तेवतिया, गाजियाबाद से ममता त्यागी, मेरठ से गौरव चौधरी, बलरामपुर से आरती तिवारी, गौतमबुद्ध नगर में अमित चौधरी, मऊ-मनोज राय, गोरखपुर-साधना सिंह, चित्रकूट-अशोक जाटव, झांसी-पवन कुमार गौतम, गोंडा-घनश्याम मिश्र, श्रावस्ती-दद्दन मिश्रा और ललितपुर से कैलाश निरंजन का भाजपा से निर्विरोध जीतना तय हो गया है. क्योंकि इनके खिलाफ सपा या किसी अन्य पार्टी के उम्मीदवार नामांकन नहीं करा पाए.
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समाजवादी पार्टी का आरोप है कि भाजपा ने इन जिलों में उनके प्रत्याशियों का अपहरण करा लिया. उनके साथ जमकर मारपीट की गई और नामांकन न कराने की धमकी दी. इसके कारण सपा के प्रत्याशी 11 जिलों में नामांकन ही नहीं करा सके.
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भाजपा प्रत्याशी संजय चौधरी ने सपा के ज़िला पंचायत सदस्य व प्रस्तावक को खींचकर अपहरण करने का किया प्रयास, घोर निंदनीय।
दंभी सत्ता के अब दिन हैं बचे चार। pic.twitter.com/RfnFEX5iMf
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समाजवादी पार्टी ने इन आरोपों के साथ सोशल मीडिया पर कई पोस्ट और वीडियो डाली हैं. जिसके बाद भाजपा और सपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति तेज हो गई है. बता दें कि उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को इसके सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है. इसलिए भाजपा और सपा दोनों ही दल चुनाव जीतने को पूरा दमखम लगाए हैं.
समाजवादी पार्टी के इन गंभीर आरोपों के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत गरमा गई है. सदस्य पंचायत चुनाव में सपा प्रत्याशियों का नामांकन न करा पाना दो लिहाज से बेहद गंभीर है. जिस पर सवाल उठ रहे हैं.
पहला यह… लोकतंत्र क्या इतना लचर हो गया है कि किसी पार्टी के या निर्दलीय प्रत्याशी को अपनी मर्जी से चुनाव लड़ने का भी अधिकार नहीं मिल पा रहा है. और दूसरा… क्या समाजवादी पार्टी मुख्य विपक्ष के तौर पर इतना कमजोर है कि उसकी जिला इकाइयां प्रत्याशियों का नामांकन कराने में नाकाम हो गई.
अखिलेश ने 11 जिलों के अध्यक्ष हटाए
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सपा के उम्मीदवार पर्चा नहीं भर पाए, इससे पार्टी की साख पर भी प्रभाव पड़ा है. इससे नाराज सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गोरखपुर, मुरादाबाद, गौतमबुद्धनगर, मऊ, बलरामपुर, श्रीवास्ती, भदोही, गोंडा झांसी, आगरा, और ललितपुर के जिलाध्यक्षों को तत्काल प्रभाव से उनके पदों से हटा दिया है.
सपा प्रत्याशियों के नामांकन न होने से खफा पार्टी के नेताओं ने रविवार को प्रयागराज में विरोध-प्रदर्शन किया. और शासन-प्रशासन का पुतला दहन किया है. कुछ अन्य जिलों में भी विरोध जताया गया है.