पंजशीर घाटी की जंग: अब तक क्या पता चला

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पंजशीर घाटी के कथित अधिग्रहण पर अफगानिस्तान में दोतरफा दावे अभी भी मौजूद हैं। तालिबान का कहना है कि उसने इस क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया है, प्रतिरोधी बल पूरा जोर लगाकर हार चुके हैं। तस्वीरें भी सामने आई हैं, जिनमें तालिबान लड़ाके प्रमुख इमारतों के सामने खड़े दिखाई दे रहे हैं।

लेकिन यह जंग खत्म हो चुकी है, ऐसा कहना अभी मुनासिब नहीं है। काबुल के उत्तर में स्थित इस घाटी में विपक्षी समूह के नेता ने सोमवार को तालिबान के खिलाफ “राष्ट्रीय विद्रोह” का आह्वान किया।

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नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट (एनआरएफ) के कमांडर अहमद शाह मसूद ने मीडिया को भेजे एक ऑडियो संदेश में कहा, “आप कहीं भी हों, अंदर या बाहर, मैं आपसे हमारे देश की गरिमा, स्वतंत्रता और समृद्धि के लिए एक राष्ट्रीय विद्रोह शुरू करने का आह्वान करता हूं।”

इससे पहले तालिबान ने एक बयान में कहा कि पंजशीर प्रांत ‘इस्लामिक अमीरात के पूर्ण नियंत्रण’ में आ गया है। यह बयान तब भी आया जब एनआरएफ नेता अहमद मसूद ने कहा कि वह तालिबान के साथ बातचीत के लिए तैयार है।

रणनीतिक तौर पर मजबूती का हवाला देकर एनआरएफ ने तालिबान की घोषणा के बाद कहा, वह लड़ाई जारी रखेगा। “तालिबान और उनके सहयोगियों के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा।”

स्थानीय प्रतिरोध नेताओं का हवाला देते हुए रिपोर्टों में कहा गया है कि पाकिस्तानी ड्रोन ने पंजशीर पर हमला होने की खबर मिली। ड्रोन हमले का मतलब, पाकिस्तान को पंजशीर में प्रतिरोध बलों को हराने में तालिबान की मदद करना है।

इस दरम्यान एनआरएफ के प्रवक्ता फहीम दश्ती और जनरल अब्दुल वुडोद ज़ारा पंजशीर घाटी में लड़ाई के दौरान मारे जा चुके हैं।

प्रतिराेधी बलों के पास एक ही लाभ है, वह है यहां की भौगोलिक बनावट। ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी घाटी में प्रवेश के सीमित रास्ते हैं, जिसकी वजह से हमलावर बलों को निशाना बनाने को ऊंची जगहों को बखूबी इस्तेमाल किया जा सकता है।


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