आजम खान की गैरमौजूदगी, UP में ओवैसी का 100 सीटों पर लड़ने का ऐलान, MLA आजमी बोले-अफसोसनाक

द लीडर : समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र-प्रदेश अध्यक्ष, MLA अबू आसिम आजमी (Abu Asim Azmi) ने सांसद असदुद्​दीन ओवैसी (MP Asaduddin Owaisi) के उस फैसले पर अफसोस जताया. जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश (UP Assembly Election 2022) की 100 सीटों पर ऑल इंडिया मजलिए-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चुनाव लड़ने का ऐलान किया. आजमी के इस बयान पर सांसद इम्तियाज जलील ( MP Imtiaz Jaleel ) ने पलटवार किया. और उन्हें AIMIM ज्वॉइन करने की दावत दे डाली. यूपी का चुनाव कितना धमकेदार होने जा रहा है. महाराष्ट्र के इन दो नेताओं के वार-पलटवार से आप ये अंदाज सकते हैं.

लेकिन एक सवाल ये उठ रहा है कि बिहार के सीमांचल की तरह क्या यूपी में भी ओवैसी की स्वीकार्यता हो पाएगी? जहां एआइएमआइएम ने 2020 के विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीती थीं. इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां (Maulana Taukeer Raza) के एक बयान से समझाते हैं. जो उन्होंने बंगाल चुनाव के दरम्यान दिया था. ये कहते हुए कि, ‘अगर ओवैसी बंगाल में चुनाव लड़ते हैं, तो आइएमसी हैदराबाद में लड़ने जाएगी.’


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अबू आसिम आजमी ने कहा, ‘ सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि देश के मुसलमानों और सेकुलर अवाम की सलाह को नजरंदाज करते हुए AIMIM का यूपी चुनाव में 100 सीटों पर लड़ने का फैसला अफसोसनाक है. 25 प्रतिशत सीटों पर चुनाव लड़कर भाजपा (BJP) को यूपी में सरकार बनाने से रोकना हरगिज मुमकिन नहीं. इससे सेकुलर वोटों का बंटवारा होगा.’

पूर्वांचल में ओवैसी की पार्टी चुनावी तैयारियों में जुट गई है. ओवैसी भी अधिकारिक रूप से घोषणा कर चुके हैं कि प्रत्याशियों की आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इससे मुस्लिम समाज (Muslim) के ही एक बड़े वर्ग में बेचैनी है. जो यूपी चुनाव में ओवैसी की एंट्री से नाखुश है. दूसरी ओर ओवैसी समर्थक धड़ा है, जो अन्य दलों पर मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगा रहा है.


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इम्तियाज जलील महाराष्ट्र के औरंगाबाद से सांसद हैं. उन्होंने सपा नेता आजमी-जोकि मुंबई के मानखुर्द शिवाजीनगर विधानसभा सीट से विधायक हैं, उनके बयान पर प्रतिक्रिया दी है. ‘ मैं AIMIM की तरफ से अबू आसिम भाई को मजलिस ज्वॉइन करने की दावत देता हूं. हम मिलकर यूपी में सभी जातिवादी पार्टियों का मुकाबला करेंगे. जैसे बीजेपी, कांग्रेस, सपा आदि. सपा से वफादारी का सबूत शायद आजम खान साहब एक अच्छी मिसाल हैं. चलिए सेक्युलरिज्म का नकली नकाब उतारकर एक बार अपनों के लिए लड़ते हैं.’

ओवैसी के सवाल पर चिढ़ जाते आजम खान

रामपुर से सांसद और सपा के कद्​दावर नेता आजम खान, ओवैसी के सवाल पर अक्सर चिढ़ जाया करते. 2017 के चुनाव वह बुलंदशहर के दौरे पर थे. जहां ओवैसी के पोस्टर नजर आने पर उन्होंने ‘हैदराबाद की सड़ी हुई बिरयानी’ जैसी विवादित टिप्पणी की थी. इतना ही नहीं वह ओवैसी पर संघ-भाजपा के एजेंट का भी आरोप लगाते रहे हैं.

आजम खान के जेल में होने से मुस्लिम लीडरशिप का खालीपन

सांसद आजम खान पिछले एक साल से जेल में हैं. अभी उनका लखनऊ में इलाज चल रहा है. लेकिन उनके बंदी होने से राज्य की मुस्लिल लीडरशिप (Muslim Leadership) में खालीपन माना जा रहा है. खासतौर से समाजवादी पार्टी में. ये अलग बात है कि सपा के पास मुस्लिम लीडर्स की एक बड़ी लॉबी है. लेकिन आजम खान की जगह खाली है. जिसकी कोई भरपाई नहीं है.


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आजम खान को लेकर सरकार पर उत्पीड़न का आरोप लगता रहा है. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) पर भी सवाल उठे. वो ये कि अपने नेता को पार्टी ने मजधार में छोड़ दिया. लेकिन आजम खान के परिवार ने इन आरोपों और सवालों को ये कहकर ठंडा कर दिया कि पार्टी उनका भरपूर साथ दे रही है. खासतौर से जब से वह बीमार हुए हैं, तब से पार्टी ने उनके इलाज में जो भूमिका निभाई, उससे समाज के अंदर पनप रही पार्टी के प्रति नाराजगी दूर हुई है.

वौ कौन सी सौ सीट हैं, जिन पर खम खाड़ेंगे ओवैसी

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ओवैसी पूर्वांचल या खासकर उन सीटों पर कैंडिडेट उतारेंगे. जहां मुस्लिम मतों की संख्या अधिक है. ऐसी सीटों पर नहीं लड़ेंगे, जहां मुस्लिम वोटों की संख्या कम हैं. यानी ओवैसी की एंट्री सेक्लुर राजनीति करने वाले दलों को नुकसान पहुंचाएगी. बसपा की बात करें तो यहां मुस्लिम लीडरशिप पहले ही खत्म हो चुकी है. फिर चाहें नसीमुद्​दीन सिद्दीकी हों, अंसारी परिवार, सभी बड़े नेता किनारे कर दिए गए.

 

Ateeq Khan

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