द लीडर हिंदी : अयोध्या में बन रहे मस्जिद प्रोजेक्ट का नाम मुगल बादशाह बाबर नहीं बल्कि फैजाबाद के स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अहमदुल्लाह शाह फैजाबादी के नाम पर रखा जाएगा।
1857 की क्रांति के बाद दो साल तक अवध को मुक्त रखा
‘160 साल बाद भी नहीं मिली पहचान’
दो हिस्सों में किया था दफन
ब्रिटिशर्स ने भी किया है जिक्र
मस्जिद के ट्रस्टी कैप्टन अफजाल अहमद खान ने कहा, ‘अंग्रेजों को डर था कि मौलवी की मौत भी उनके लिए उतनी ही खतरनाक होगी, जितना वह जिंदा रहते थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भले ही जॉर्ज ब्रूस मैलेसन और थॉमस सीटन जैसे ब्रिटिश अधिकारियों ने उनके साहस, वीरता और संगठनात्मक का उल्लेख किया है लेकिन हमारे स्कूल और कॉलेज की पाठ्यपुस्तकों में उन्हें स्थान नहीं दिया गया।’
इतिहास में फैजाबादी का नाम
फैजाबाद स्थित मस्जिद सराय 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में मौलवी फैजाबादी का ठिकाना था।अब पूरे देश में फैजाबाद स्थित मस्जिद सराय ही अकेली जगह है जो मौलवी फैजाबादी के नाम की शोभा बढ़ाती है और उनकी याद को ताजा करती है। अतहर हुसैन बताते हैं कि अंग्रेज फैजाबादी से इतने डरे हुए थे कि उन्हें पकड़ने के लिए ब्रिटिश एजंट (जासूस) की मदद लेनी पड़ी।
कौन थे मौलवी फैजाबादी
इतिहासकार और शोधकर्ता राम शंकर त्रिपाठी कहते हैं, मौलवी फैजाबादी मुस्लिम भले थे, लेकिन वे मजहबी एकता के बड़े प्रवर्तक थे।फैजाबाद में उन्हें गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक माना जाता था।1857 की आजादी की लड़ाई में कई बड़े राजा मौलवी फैजाबादी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़े।इन राजे-राजवाड़ों में कानपुर के नाना साहिब और बिहार के आरा के कुंअर सिंह का नाम शामिल है।इसी क्रम में मौलवी फैजाबादी शाहजहांपुर के जमींदार राजा जगन्नाथ सिंह से मदद लेना चाहते थे।
वे अंग्रेजों के खिलाफ जगन्नाथ सिंह को तैयार करना चाहते थे। 5 जून 1858 को एक आमंत्रण के आधार पर मौलवी फैजाबादी जगन्नाथ सिंह से उनके किले में मिलने पहुंचे। मौलवी फैजाबादी जैसे किले के दरवाजे पर पहुंचे, उनपर जगन्नाथ सिंह के भाई और कारिंदों ने गोलियों से बौछार कर दी।मौलवी फैजाबादी घटनास्थल पर ही शहीद हो गए।
2019 में सुप्रीम कोर्ट का आया था फैसला
नवंबर 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में मुसलमानों को दी गई पांच एकड़ जमीन पर अयोध्या मस्जिद और अस्पताल परियोजना का निर्माण किया जाएगा। सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा गठित IICF ट्रस्ट ने मुगल बादशाह बाबर के नाम पर मस्जिद का नाम नहीं रखने का फैसला लिया था।