द लीडर. अहमदाबाद की आयशा के खुदकशी करने से पहले वे आखिरी अल्फाज जिस किसी ने सुने, उसका वजूद हिल गया. दहेज की खातिर शौहर के हाथों परेशान की गई आयशा की मौत ने समाज के हर तबके को झकझोरा है. सुन्नी बरेलवी मुसलमानों का देशभर में मरकज कही जाने वाली दरगाह आला हजरत भी इस वाकिये से अफसोस में है. सज्जादानशीन मुफ्ती मुहम्मद अहसन रजा कादरी ने इस तरह के मामले में पहली बार दखल देते हुए दरगाह से जुड़े तमाम उलमा के लिए अपील जारी की है. इसमें कहा है कि ऐसी शादियों में हरगिज निकाह न पढ़ाएं, जिनमें दहेज दिया या लिया जा रहा हो.
सज्जादानशीन ने कहा है कि मज़हब-ए-इस्लाम में शादियों में बैंड-बाजा, ढोल-ताशा, डीजे, आतिशबाजी, नाच- गाना, दहेज़ की मांग व फुज़ूलखर्ची को सख्ती से मना फरमाया गया है. हराम करार दिया है. इसका बढ़ता चलन फिक्र का सबब है.
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मुफ्ती अहसन मियां ने फ़िक्र ज़ाहिर करते हुए देशभर के सभी काज़ी व मौलवियों से अपील की कि जिन शादियों में बैंड-बाजा, डीजे व आतिशवाजी हो उनके निकाह हरगिज़ न पढ़ाएं. उन्होंने यह भी कहा कि देखने में आ रहा है कि शादी के नाम पर गैर शरई कामों को अंजाम दिया जा रहा है. लड़की वालों से दहेज़ की मांग खुलेआम होने लगी है. जिसको किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता.
दहेज़ की नुमाइश पर भी रोक लगनी चाहिए. दहेज़ की मांग जैसी बुराई का उदाहरण हाल ही में गुजरात की आयशा के साथ पेश आया हादसा है. दहेज़ की बिना पर गरीब लड़कियां घरों में बैठी हैं अल्लाह के रसूल ने निकाह को आसान करने का हुक्म दिया है. इस हुक्म की रोशनी में ही निकाह होने चाहिए.
दरगाह आला हजरत के मीडिया प्रभारी नासिर क़ुरैशी ने बताया कि सज्जादानशीन की अपील को सोशल मीडिया के जरिये देशभर के उलमा को भेजा गया है । जल्द ही इस मसले पर काज़ी और मौलवियों की एक बैठक दरगाह पर बुलाई जाएगी, जिसमें अपील की जाएगी कि उलमा, काज़ी और मौलवी देश भर में सज्जादानशीन का पैगाम उर्स की महफ़िलों, जलसों व जुमे की नमाज़ में आम लोगो तक पहुंचाए.