The Leader. रामनवमी पर जुलूसों में इस बार जमकर हिंसा हुई है. यूपी और गुजरात में छिटपुट जबकि पश्चिम बंगाल, बिहार और महाराष्ट्र में जमकर उपद्रव हुआ. अभी यह जारी भी है. बिहार और बंगाल में हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं. वहां के एडमिनिस्ट्रेशन को जूझना पड़ रहा है. इसे लेकर प्रमुख राजनीतिक दल इस हिंसा को लेकर एक-दूसरे पर आक्रामक हैं. भाषणबाज़ी और तीखे बयान सामने आ रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी हिंसा को लेकर बहस चल रही है.
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जहां तक वजह का सवाल है तो वजह के तौर पर एक ही बात निकलकर आ रही है कि प्रदेशों में चुनाव होने हैं और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की बिसात भी सज चुकी है. उसी का नतीजा है कि राजनीतिक नफ़े और नुक़सान को सामने रखकर हिंसा को भुनाने की कोशिश चल रही है. हिंसा किसके इशारे पर किसने क्यों और कैसे की गई, इन तमाम सवालों को लेकर प्रमुख नेताओं की ज़ुबान से शोले बरस रहे हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तो बिहार पहुंचकर वहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बरस आए हैं.
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इन तमाम बातों के बीच आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लेमीन की तरफ से मुस्तक़बिल में इसे रोकने के लिए अहम सुझाव सामने आया है. एआइएमआइएम चीफ़ बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी ने मस्जिद, दरगाह और मंदिर कमेटियों को सलाह दी है कि वे अपने-अपने यहां हाई रेज़ुलूशन सीसीटीवी कैमरे लगाएं. जब भी कोई जुलूस गुज़रे चाहे वो मीलाद, रामनवमी, हनुमान जयंती का हो, उसका फेसबुक पर लाइव टेलीकास्ट करें. पता लग जाएगा कि पत्थर कौन फेंक रहा है. इससे हमारे बेगुनाह नौजवान जेल भी नहीं जाएंगे. उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेज़ी के साथ वायरल हो रहा है. सच भी यही है कि जब असल दंगाई किसी न किसी वजह से बचते रहेंगे, भविष्य में दंगों की संभावना बनी रहेगी. ऐसे में कोई सटीक उपाय तो करना ही पड़ेगा, वरना हिंसा की आग में रिश्तों के साथ विकास भी सूली चढ़ता रहेगा.