अंतरिक्ष में अरब की ऐतिहासिक उड़ान, लाल ग्रह की कक्षा में स्थापित हुआ अमीरात का सैटेलाइट ‘अमल’

0
848

अरब दुनिया के पहले इंटरप्लेनेटरी मिशन ने सफलतापूर्वक लाल ग्रह कहे जाने वाले मंगल ग्रह की कक्षा में कदम रख दिया।

संयुक्त अरब अमीरात के एक अंतरिक्ष यान को मंगलवार को मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित कर दिया गया। अगले साढ़े तीन सप्ताह में तीन में से पहला खोजी रोबोट मंगल ग्रह पर उतरेगा।


दो वैक्सीन इस्लामिक नज़रिए से मंज़ूर: ब्रिटेन के इमाम


ऑर्बिटर को ‘अमल’ नाम दिया गया है, जिसका अरबी जबान में मतलब ‘उम्मीद’ होता है। इस ‘अमल’ यानी उम्मीद ने लगभग सात महीने में 300 मिलियन मील का सफर किया ऑर्बिट में दाखिले के लिए। यह अब हर मौसम में वातावरण का खाका खींचेगा और अनुमान लगाने में मदद करेगा।

खगोलीय मौसम स्टेशन लंबाई चौड़ाई में 44,000 किलोमीटर और 22,000 किलोमीटर की असाधारण उच्च मार्टियन कक्षा है। जिसमें यूएई का आार्बिटर पहले से मौजूद तीन यूएस, दो यूरोपीय और एक भारतीय अंतरिक्ष यान के साथ शामिल होगा।


सऊदी अरब में जबान खोलने पर लुजैन को पांच साल आठ महीने की कैद


यूएई के लिए यह पृथ्वी की कक्षा से बाहर यह पहला मौका था, जिसने मिशन को खासा राष्ट्रीय गौरव का विषय बना दिया।

कुछ दिनों के लिए धरती के सबसे ऊंचे टॉवर बुर्ज खलीफा समेत यूएई की सभी खास जगहें ‘अमल’ की कामयाबी की खुशी में लाल रंग और रोशनी से जगमगाएंगे।

इस वर्ष देश की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ भी है, इसलिए ‘अमल’ देश की गोल्डन जुबली का तोहफा बतौर पेश किया जा रहा है।


क्या जीसीसी शिखर सम्मेलन खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला सकेगा


बुधवार को मंगल ग्रह पर पहुंचने के लिए चीन का ऑर्बिटर और लैंडर ‘अमल’ के पीेछे कक्षा में पहुंचा। यह रोवर के अलग होने तक मंगल की परिक्रमा करेगा और प्राचीन जीवन के संकेतों को देखने के लिए मई में सतह पर उतरने का प्रयास करेगा।

इस कतार में अमेरिका का रोवर अगले सप्ताह तक शामिल होने को तैयार है, जिसका लक्ष्य 18 फरवरी को मंगल की सतह पर उतरना है।


बेनजीर भुट्टो की बेटी बख्‍तावर का यूएई के बिजनेसमैन से न‍िकाह, ब‍िलावल ने तस्‍वीरें साझा कर ल‍िखा, मशाअल्‍लाह


यह मंगल की चट्टानों को धरती पर लाने को एक दशक से जारी यूएस-यूरोपीय प्रोजेक्ट का पहला चरण होगा। चट्टानों की जांच से सूक्ष्म जीवन का पता लगाने की कोशिश की जाएगी।

मंगल के सभी मिशनों में से लगभग 60 प्रतिशत असफलता, दुर्घटना, सैटेलाइट जलने या तमाम तरह की मुश्किलों और जटिलताओं और मंगल के हल्के वातावरण के चलते खत्म हो चुके हैं।

सब ठीक रहा तो चीन मंगल पर सफलतापूर्वक उतरने वाला दूसरा देश बन जाएगा। अमेरिका ने आठ बार ऐसा किया है, लगभग 45 साल पहले पहली बार। नासा का एक रोवर और लैंडर अभी भी सतह पर काम कर रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here