अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के 17 एक्टिंग (कार्यरत) प्रोफेसरों की कोविड-19 से मौत हो चुकी है. जरा सोचकर देखिए. ये कोई सामान्य घटना नहीं है. बल्कि असामान्य है. वे प्रोफेसर, जिनकी काबिलियत के बूते एमएमयू का देश-दुनियां में डंका बजता है. उन्हें एक अदृश्य वायरस लील गया. लगातार मौतों से चिंतित एमएयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव को पत्र लिखा है. जिसमें कैंपस और सिविल लाइंस इलाके में फैल रहे कोविड-19 के वैरिएंट का सैंपल भेजकर उसकी जांच की मांग की है.
एएमयू कैंपस में जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज है. इसकी माइक्रोबायोलॉजी लैबोरेटरी ने सिविल लाइंस और कैंपस में मिले कोविड वैरिएंट की जांच इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक एंड इंटैग्रेटेड बायोलॉजी से जांच कराने को कहा है. ये अंदेशा जताया जा रहा है कि कैंपस और इसके नजदीकी मुहल्लों में कोविड का ज्यादा घातक और नया वैरिएंट फैल रहा है, जिससे इतनी अधिक मानवीय क्षति हो रही हैं.
कुलपति ने आइसीएमआर से आग्रह किया है कि हमारी लैब से भेजे गए सैंपल का अध्ययन किया जाए. जिससे ये पता लग सके कि क्या अलीगढ़ में कोविड का कोई नया वैरिएंट तो नहीं फैल रहा है. ताकि संक्रमण की पहचान कर उसकी तीव्रता को थामा जा सके.
एएमयू के प्रोफेसर शकील समदानी और नदवातुल उलमा के उप नाजिम मौलाना मुहम्मद हमजा का इंतकाल
एएमयू कैंपस में संक्रमण की तबाही देश भर में चर्चा का विषय बनी है. शायद ये देश का पहला ऐसा शैक्षिक संस्थान है, जिसमें इतनी ज्यादा जाने गई हैं. अब तक मरने वालों में वर्तमान और रिटायर प्रोफेसरों की संख्या 40 से अधिक है, जिसमें कर्मचारी भी हैं.
हाल ही में लॉ विभाग के डीन प्रोफेसर शकील अहमद समदानी का इंतकाल हो गया था. उनकी मौत की खबर ने शिक्षकों के साथ छात्रों को भी झकझोर कर रख दिया है. छात्रों के मुताबिक कुछ ऐसे प्रोफेसरों की भी इस काल में मौत हुई है, जो पूरी तरह से फिट थे. इसमें अंग्रेजी के एक युवा प्रोफेसर भी शामिल हैं.
सिर्फ कोरोना वायरस नहीं, ये अदृश्य जीव भी ले रहे हर साल सात लाख इंसानों की जान
इन प्रोफेसरों की हो चुकी मौत
-प्रोफेसर शकील समदानी
पूर्व प्रॉक्टर – प्रोफेसर जमेशद सिद्दीकी
उर्दू विभाग के प्रोफेसर मौलाना बख्श अंसारी
सुन्नी थियोलॉजी के प्रोफेसर एहसानउल्ला फहाद
प्रोफेसर मुहम्मद अली खान
प्रोफेसर काजी मुहम्मद जमशेद
प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस सिद्दीकी
इलमुल अदबिया के चेयरमैन गुमरान अहमद
प्रोफेसर साजिद अली खान
प्रोफेसर मुहम्मदद इरफान
प्रोफेसर मुहम्मदद सैयदुज्जमन
प्रोफेसर जिबरैल, प्रोफेसर खालिद बिन यूसुफ
प्रोफेसर मुहम्मद यूसुफ अंसारी शामिल हैं.
16 दिन में 17 की मौत
पिछले एक पखवाड़े से कैंपस में रंजो-गम का आलम है. क्योंकि अमूमन हर एक-दो दिन में किसी की मौत हो जा रही है. बीते 16 दिनों में करीब 17 लोगों की मौत हो चुकी है. लगातार होने वाली कैजुअलटी को देखकर विवि प्रशासन भी हिल गया है और अब उसने कैंपस के वैरिएंट की जांच कराने की पहल की है.
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इस कोविड काल में एएमयू का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई शायद ही कभी हो पाए. प्रोफेसरों की मौत यकीनन उनके परिवार का व्यक्तिगत नुकसान है. लेकिन ये पूरे समाज और देश का भी बड़ा नुकसान है. इसलिए क्योंकि इन्हीं काबिल प्रोफेसरों की बदौलत एएमयू दुनिया में अपना रुतबा बनाए हुए है. बहरहाल, अब और क्षति न हो, इसको लेकर विवि प्रशासन ज्यादा एक्टिव हो गया है.
एएमयू के छात्रों ने अब तक कोविड से मारे जा चुके प्रोफेसरों की एक सूची जारी की है. हालांकि इसकी कोई अधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन छात्रों का तर्क है कि उन्होंने स्वयं ही सूची तैयार की है. ये और सही है.