द लीडर : जमात रजा-ए-मुस्तफा, आला हजरत-इमाम अहमद रजा खां की उन खूबसूरत निशानियों में से एक है, जिसे उन्होंने खुद कायम किया था. आला हजरत ने इसकी स्थापना इस मकसद से की थी कि, ये जमात सूफी विचार की वाहक बने. मुसलमानों के बीच शिक्षा का प्रचार-प्रसार करे. और शरीयत के तहफ्फुज (रक्षा) के लिए डटकर खड़ी रहे. (Jamat Raza E Mustafa)
दरगाह ताजुश्शरिया के सज्जादानशीन और काजी-ए-हिंदुस्तान मुफ्ती असजद रजा कादरी-असजद मियां इसके अध्यक्ष हैं. उनकी सरपरस्ती में दरगाह पर जमात का 105वां स्थापना दिवस मनाया गया है.
जमात के उपाध्यक्ष सलमान हसन खां-बताते हैं कि आला हजरत के जितने भी चाहने वाले हैं, वे सभी जमात से जुड़े हैं. देश में करीब 165 शाखाएं हैं. विदेशों में भी ब्रांच हैं. भारत में एक्टिव वॉलिंटियर्स का कोई अधिकारिक डाटा तो नहीं जुटाया, लेकिन फिर लाखों अकीदतमंद जुड़े हैं.
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सलमान हसन खां कहते हैं कि, जमात शरीयत के मामलों को प्रमुख से उठाती आ रही है. जब भी शरीयत में दखलंदाजी होती है-जमात पूरी ताकत के साथ आवाज उठाती. फिर चाहें कुरान और पैगंबर-ए-इस्लाम को लेकर डासना मंदिर के यति नरसिंहानंद सरस्वती की गलतबयानी हो या फिर सीएए-एनआरसी. कुरान की 26 आयतों को चैलेंज करने और पैगंबर-ए-इस्लाम को लेकर किताब लिखने वाले शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी के खिलाफ भी संगठन मुखर है. (Jamat Raza E Mustafa)
बरेली में जमात का मुख्यालय है. इसके सदर मौलाना सय्यद अजीमुद्दीन अजहरी कहते हैं कि, मुस्लिम समाज की नुमाइंदगी के लिए ही इसका गठन हुआ था. मजहबी मामलों से लेकर समाजी क्षेत्र तक. यहां तक कि समाज में जो विसंगिता पैदा हो रही हैं, उन्हें भी दूर करने का इरादा इसमें शामिल हैं. इस सफर में जमात की कई उपलब्धियां रही हैं.
मौलाना कहते हैं कि, इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक ये जमात 7 रबीउल सानी 1339 हिजरी को बनी थी. इस तरह इसके 105 बरस पूरे हो गए हैं. लेकिन अंग्रेजी तारीख में इसका गठन 1920 है. अंग्रेजी लिहाज से देखेंगे तो 101 बरस होते हैं.
जमात के प्रवक्ता समरान खान ने बताया कि संगठन मुफ्ती-ए-आजम हिंद, मौलाना इब्राहीम रजा खां, ताजुश्शरिया ने भी इसकी कमान संभाली. अभी मुफ्ती असजद मियां की अध्यक्षता में जमात अपनी खिदमत अंजाम दे रही है. जमात के महासचिव फरमान हसन खां की निगरानी में स्थापना दिवस मनाया गया. इस दौरान जरूरतमंदों को कंबल दिए गए.
इस दौरान मोईन खान, अब्दुल्लाह रज़ा खान, मोईन अख्तर, इरफान हुसैन, मुहम्मद अहमद, अब्दुल मुसव्विर, आरिफ रज़ा, अहमर हुसैन, मुहम्मद अहसान, जावेद आलम, महबूब रज़ा, नाजिर हुसैन, तसलीम रज़ा, रियाज़ अहमद आदि मौजूद रहे. (Jamat Raza E Mustafa)