अखिलेश यादव होंगे नेता प्रतिपक्ष, समाजवादी पार्टी का फैसला, शिवपाल हुए नाराज़

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अखिलेश सोलंकी, लखनऊ :  शनिवार को समाजवादी पार्टी विधायक दल की बैठक हुई जिसमें अखिलेश यादव को नेता प्रतिपक्ष चुना गया हालांकि शिवपाल यादव उस बैठक का हिस्सा नहीं बन सके और उसे लेकर उनका दर्द भी छलका है। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी ने जबरदस्त तरीके से सामाजिक समीकरणों पर काम किया। रूठों को उन्होंने मनाया। दूसरे क्षेत्रीय दलों से गठबंधन किया जिसमें अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव का नाम भी खास था। नतीजों के बाद समाजवादी पार्टी के गठबंधन की सीट संख्या तो बढ़ी लेकिन अखिलेश यादव सरकार बना पाने में नाकाम रहे।

‘मुझे विधायकों की बैठक में नहीं बुलाया गया’

पार्टी विधायक दल की बैठक में सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि मुझे पार्टी की बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था। मैंने 2 दिन तक प्रतीक्षा की और इस बैठक के लिए अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए लेकिन मुझे आमंत्रित नहीं किया गया। मैं समाजवादी पार्टी से विधायक हूं लेकिन फिर भी आमंत्रित नहीं किया।


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2017 से टकराव की हुई थी शुरुआत

शिवपाल यादव और अखिलेश यादव की तनातनी पुरानी रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले देश और दुनिया ने इन दोनों शख्सियतों के टकराव को देखा था जिसका असर पार्टी के प्रदर्शन पर पड़ा। धीरे-धीरे शिवपाल यादव सपा से पूरी तरह से अलग हो गये और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया लेकिन 2019 के आम चुनाव में वो कुछ खास नहीं कर सके।

2022 के विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह की कोशिश हुई कि चाचा और भतीजा दोनों एक साथ आएं कोशिश रंग लाई और दोनों एक हुए। समाजवादी पार्टी ने जसवंत नगर सीट से शिवपाल सिंह यादव को चुनावी मैदान में उतारा और उनकी जीत हुई। लेकिन जिस तरह से उन्होंने अपने दर्द का इजहार किया है उससे पता चलता है कि दिल जीत पाने में अखिलेश यादव कामयाब नहीं हुए हैं।

विधानसभा में सपा गठबंधन ने 125 सीटों पर जीत हासिल की

यूपी विधानसभा चुनाव में सपा गठबंधन ने 125 सीटों पर जीत हासिल की। इनमें 111 सीटों पर सपा, 8 सीटें रालोद और 6 अन्य ने जीती थी। सियासी जानकारों का कहना है कि अखिलेश अब पूरी तरह से उत्तर प्रदेश पर फोकस करना चाहते हैं।

इसीलिए, उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दिया। विधानसभा में उनकी मौजूदगी से पार्टी के अन्य विधायकों को ज्यादा मजबूती मिलेगी। वह भाजपा सरकार को सदन से लेकर सड़क तक घेर सकते हैं। इसके अलावा आज़म खान के जेल में बंद होने के चलते और राम गोविंद चौधरी के चुनाव हार जाने की वजह से फिलहाल सपा के पास कोई बड़ा चेहरा भी नेता प्रतिपक्ष पद के लिए नहीं दिख रहा था।

अखिलेश यादव सांसद पद छोड़कर बने विधायक

सपा प्रमुख अखिलेश यादव पहली बार विधायक का चुनाव लड़े और करहल से जीते भी। इसके बाद उन्होंने आजमगढ़ की लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया और करहल के विधायक के तौर पर जिम्मेदारी संभाल ली।

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