तख्तापलट से घबराकर भारत में घुसे 8000 हजार म्यांमार के लोग

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म्यांमार की अंदरूनी उथल-पुथल से भारत में भी हलचल है। पहले म्यांमार से हजारों रोहिंग्या मुस्लिम नरसंहार का शिकार होने से बचने को भारत की सीमाओं में दाखिल हुए तो अब उसी म्यांमार से सैन्य तख्तापलट की मार से बचने को हजारों नागरिक पनाह लेने पहुंचे हुए हैं। रक्षा मंत्रालय ने संसद में बयान देकर कहा है कि एक फरवरी को म्यांमार में तख्तापलट के बाद से म्यांमार के आठ हजार से ज्यादा नागरिक भारत आ चुके हैं। साथ ही यह भी कहा कि इनमें से 5500 से ज्यादा को वापस उनकी सीमाओं में भेज दिया गया, जबकि 2500 से ज्यादा अभी भी भारत में ही हैं।

संसद में एक सवाल के जवाब में रक्षा मंत्री अजय भट्ट ने कहा, ‘म्यांमार में एक फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार के 8486 नागरिक भारत में घुसे, जिनमें से 5796 को वापस उनकी सीमाओं में भेज दिया गया, जबकि 2690 शरणार्थी अभी भी भारत में ही हैं।’

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ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत ने पड़ोसी देश से शरणार्थियों की आमद पर विवरण दिया है। म्यांमार में तख्तापलट के बाद भारत के पूर्वोत्तर के कई राज्यों में शरणार्थियों की आमद देखी गई। मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा ने केंद्र से म्यांमार से आने वाले शरणार्थियों को अनुमति देने की भी अपील की थी।

गौरतलब है, भारत 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन और इसके 1967 के प्रोटोकॉल का हिस्सा नहीं है और इस मुद्दे को नई दिल्ली द्वारा प्रशासनिक रूप से निपटाया जाता है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि ‘वह भारतीय कानूनों और मानवीय विचारों के अनुसार स्थिति से निपट रहा था’। म्यांमार की स्थिति के बारे में कई सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘हम हिंसा के किसी भी स्वरूप की निंदा करते हैं। हमारा मानना है कि कानून का शासन कायम होना चाहिए। म्यांमार में हम लोकतंत्र की बहाली के प्रयासों के साथ खड़े हैं।’

उन्होंने नई दिल्ली के रुख को दोहराते हुए कहा कि भारत आसियान के प्रयासों और अंतरराष्ट्रीय वार्ताकारों के साथ मौजूदा हालात दुरुस्त करने की कोशिशों में लगा हुआ है।

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गौर करने लायक बात यह भी है कि म्यांमार से ही रोहिंग्या शरणार्थियों की भी आमद हुई, जिसे सरकार ने औपचारिक तौर पर लगभग 14000 की संख्या माना, जबकि रोहिंग्या पहले से भी भारत में रह रहे हैं। अन्य स्रोत उनकी संख्या 40 हजार तक आंकते हैं। बहरहाल, उनकी मौजूदगी को संदिग्ध मानकर उन्हें सीमा से बाहर करने की कोशिशें जारी हैं।

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