भारतीय सेना प्रमुख की चीन को लेकर चिंता, म्यांमार मिलिट्री के साथ चलेगा ‘ऑपरेशन सनराइज’

0
612

चीन की चालाकियों, आक्रामकता और दखलंदाजी को लेकर भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे भी चिंतित हैं। उन्होंने बदमिजाज पड़ोसी की हरकतों और उससे निपटने को लेकर शुक्रवार को असम राइफल्स-यूनाइटेड सर्विसेज संस्था के संयुक्त वार्षिक सेमिनार में खुलकर बात रखी।

सेना प्रमुख ने स्पष्ट कहा, “भारत के पड़ोस में चीन के बढ़ते कदम” और एकतरफा रूप से हमारी विवादित सीमाओं पर यथास्थिति को बदलने के प्रयासों ने टकराव और आपसी अविश्वास का वातावरण बनाया है।”


‘प्रधानमंत्री ने चीन को सौंपी हिंदुस्तान की जमीन’-राहुल के आरोपों पर नकवी की अशोभनीय टिप्पणी


Prime Minister India Land China

उन्होंने कहा, इंडो-पैसिफिक क्षेत्रीय सुरक्षा वातावरण को में चीनी दखल से कई समस्याएं पैदा होने की आशंकाएं हैं, चीन कमजोर देशों को निर्भता के लिए लगातार मुहिम छेड़े हुए है। इस का एक नतीजा यह भी है कि चीन-अमेरिकी प्रतिद्वंद्विता ने क्षेत्रीय असंतुलन और अस्थिरता पैदा की है।

उनकी चीन की मेगा कनेक्टिविटी योजनाओं के खतरों के बारे में कहा, उनका उद्देश्य “क्षेत्रीय निर्भरता पैदा करना” है।

वन बेल्ट वन रोड बीजिंग की वैश्विक बुनियादी ढांचा परियोजना है, जिसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा CPEC (चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) के रूप में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है।

इस परियोजना को दुनिया के कई हिस्सों में ऋण संकट पैदा करने के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से छोटे देश जो इसका भुगतान करने में असमर्थ हैं, अपनी संप्रभुता दांव पर लगाने को मजबूर हो सकते हैं।


इमरान खान बीजिंग पर फिदा, बोले- दुनिया में जिस देश से सीख सकते हैं, वह चीन है


सेना प्रमुख ने कहा, “क्षेत्रीय और आंतरिक कनेक्टिविटी सुरक्षा के लिहाज से जुड़ी हुई चीजे हैं। यह पूर्वोत्तर में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए है।”

पश्चिम में, भारत के पास ईरान में चाबहार बंदरगाह परियोजना है, जो इसे अफगानिस्तान, मध्य एशिया के साथ जोड़ती है, जबकि पूर्व में यह कलादान मल्टीमॉडल परियोजना और म्यांमार में सिटवे बंदरगाह के परिचालन पर केंद्रित है।

2020 एक ऐसा वर्ष था जिसमें चीन आक्रामक रूप में देखा गया, न केवल पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ, बल्कि जापान, ताइवान और आसियान देशों जैसे देशों के साथ भी। दक्षिण चीन सागर में के अलावा कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से भी खिंचाव हुआ, जनरल नरवणे ने कहा।


चीन नेपाल को दान में देगा कोविड वैक्सीन की 5 लाख खुराक


दिलचस्प बात यह है कि नरवणे ने नेपाल को “हमारे पारंपरिक दीर्घकालिक साझेदार” कहा, जहां ” पिछले दिनों बड़ा चीनी निवेश हुआ है” और “राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है।”

बांग्लादेश में “संबंधों में सुधार” की सराहना करते हुए कहा, “गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर मार्च करने वाले बांग्लादेश से आने वाले त्रि-सेवा दल का मेलजोल हमारे भविष्य के संबंधों के लिए अच्छा है।” हालांकि, उन्होंने वहां के समाज में बढ़ते कट्टरपंथीकरण पर “गंभीर चिंता” व्यक्त की।


म्यांमार सैन्य तख्तापलट: भारत समेत पड़ोसी देशों के लिए इसका क्या मतलब है


उन्होंने बताया कि भारत 1971 के युद्ध में बांग्लादेश की मुक्ति के लिए पाकिस्तान पर अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए स्वर्णिम विजय वर्षा मना रहा है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश की आजादी के 50वें वर्षगांठ समारोह में हिस्सा लेने के लिए मार्च में ढाका जाएंगे।

नरवणे ने म्यांमार सेना के साथ आतंकवाद विरोधी अभियानों के बारे में भी बात की, जिसका नाम है – ऑपरेशन सनराइज।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here