द लीडर, देहरादून : दो दिन से सांस रोके बैठे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र को सोमवार की सुबह दिल्ली से बुलावा आया और वे गैरसैण के सारे कार्यक्रम रद्द कर आलाकमान के सामने हाज़िरी देने रवाना हो गए। क्या एजेंडा है, किस-किस से मुलाकात होनी है , इसका खुलासा नहीं किया जा रहा है। प्रदेश के दो दर्जन विधायक पहले ही दिल्ली में मौजूद हैं और अपनी मंशा बड़े नेताओं को बता रहे हैं। (Uttarakhand Chief Minister Trivendra Delhi)
कल प्रदेश के भाजपा सांसदों से मंथन हो रहा है और यहां केंद्रीय मंत्री निशंक, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, अनिल बलूनी के समर्थकों की ओर से फीलर दिए जा रहे हैं तो कुछ तठस्थ लोग संसद तीरथ सिंह रावत का भी नाम संभावित विकल्प के रूप में ले रहे हैं। प्रदेश के दो मंत्रियों के बारे में चर्चा है कि वे भी खुद को त्रिवेंद्र के विकल्प के रूप में भी परोक्ष रूप से पेश कर रहे हैं। कुल मिला कर उस घटनाक्रम से अस्थिरता का सा माहौल तो बन ही गया है।
त्रिवेंद्र की अगली भूमिका को लेकर भी कयासबाजी शुरू हो गई है। हालांकि प्रदेशाध्यक्ष और त्रिवेंद्र सरकार में कुछ मंत्री अति उत्सुक मीडिया को कह रहे हैं कि कोई बदलाव नहीं होगा। अमित शाह की पसंद होने की वजह से त्रिवेंद्र विरोधी भी सधी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
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सीएम गैरसैण न जाकर 11 बजे दिल्ली के लिए उड़ लिए, उसके बाद उनका संशोधित कार्यक्रम जारी किया गया। दिल्ली एयरपोर्ट से सीएम पुराना किला आवास जाएंगे। शाम को दिल्ली में राज्यों में हो रहे चुनावों को लेकर संसदीय बोर्ड की बैठक है। माना जा रहा है अगले 48 घंटे में उत्त्तराखण्ड के नेतृत्व को लेकर स्थिति काफी हद तक साफ हो जाएगी, भले ही इसका ऐलान कुछ दिन रोका जाय। सभी गुट अपने-अपने तीर कमान दुरस्त करने में जुटे हुए हैं।
उत्त्तराखण्ड भाजपा की जंग को लेकर इससे पूर्व कई मंत्री व विधायक पहले ही दिल्ली पहुंच चुके है। विधायकों के गुट वरिष्ठ नेताओं से गुपचुप मुलाकात कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार चार मंत्रियों समेत 22 से 25 विधायक सत्र स्थगित किये जाने के बाद दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।
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देहरादून में 12 से 14 तक पार्टी का मंथन शिविर औऱ कार्य परिषद की बैठक प्रस्तावित है। उससे पहले इस प्रकरण को सम्मानजक ढंग से अंजाम तक पहुंचाने की कोशिशें हो रही हैं। केंद्रीय पर्यवेक्षक भेजे जाने के बाद जहां त्रिवेंद्र विरोधी मोर्चे ज्यादा एक्टिव हुए हैं, वहीं त्रिवेंद्र भी दिल्ली से नागपुर तक अपना सपोर्ट सिस्टम मजबूत करने में जुटे हैं।
अजय भट्ट भी मुखर
अब तक त्रिवेंद्र के खैरख्वाह माने जाने वाले सांसद अजय भट्ट भी अब उनके खिलाफ मुखर हो गए हैं। गैरसैण को कमिश्नरी बनाने और अल्मोड़ा को उसमें शामिल करने से नाराज भट्ट ने इस फैसले को वापस लेने की मांग रख दी है।