द लीडर : रोना विल्सन. अमेरिका के मशहूर अखबार ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ के जरिए चर्चा में हैं. वो, प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रचने के आरोप में जेल में बंद हैं. वॉशिंगटन पोस्ट ने अमेरिका की साइबर फोरेंसिक लैब-आर्सेनल कंसलटिंग की जांच के आधार पर एक रिपोर्ट छापी है. जिसमें दावा किया है कि विल्सन के लैपटॉप में पीएम की हत्या की साजिश से जुड़े, जो सबूत मिले हैं-वो प्लांट किए गए थे. (Rona Wilson Imprisoned Terrorism)
इस रिपोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़ी गिरफ्तारियों पर एक बार फिर से बहस खड़ी कर दी है. जिसमें कई जानी-मानी हस्तियां जेलों में बंद हैं-जैसे वकील, प्रोफेसर, सामाजिक कार्यकर्ता. साल 2018 के जनवरी महीने में महाराष्ट्र के पुणे स्थित भीमा कोरेगांव में एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम में हिंसा भड़क गई थी. जिसके बाद पुणे पुलिस ने दिल्ली, मुंबई समेत कई जगहों से गिरफ्तारियां की थीं. रोना विल्सन भी उन में से एक हैं.
कौन हैं रोना विल्सन
केरल के कोल्लम जिले में जन्में रोना विल्सन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) से पढ़ाई की है. पढ़ाई के दौरान ही वे सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हो गए थे. और आतंकवाद जैसे गंभीर आरोपों में जेल की सजा काट रहे बेगुनाहों की रिहाई के लिए आवाज उठाने लगे.
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राजनीतिक कैदियों की रिहाई समिति के सचिव
दिल्ली यूनिवर्सिटी के डाॅ. जाकिर हुसैन कॉलेज के प्रोफेसर रहे एसएआर गिलानी ने एक कमेटी बनाई थी. जिसका नाम है, कमेटी फॉर रिलीज ऑफ पॉलिटिकल प्रिजनर्स (CRPP). रोना विल्सन इस समिति के पब्लिक रिलेशन सचिव हैं. 2001 के संसद हमले में कथित भूमिका के लिए प्रोफेसर गिलानी भी गिरफ्तार हुए थे. हालांकि बाद में वे इस मामले से बरी हो गए थे. उनकी रिहाई के लिए आवाज उठाने वालों में रोना प्रमुख माने जाते हैं.
गिरफ्तारी को लगे आरोप नकारते रहे आरोपी
मानवाधिकार के लिए काम करने वाली अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, आनंद तेलतुंबड़े, कवि वरवरा राव, रोना विल्सन-ये सभी भीमा कोरेगांव प्रकरण में जेल में बंद हैं. और अपने ऊपर लगे गंभीर आरोपों को नकारते हैं. हालांकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) का दावा है कि आरोपियों के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं. बहरहाल, अमेरिका की फोरेंसिक रिपोर्ट ने इस केस की जांच को लेकर एक और सवाल खड़ा कर दिया है.
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वॉशिंगटन पोस्ट की खबर में क्या दावा
वॉशिंगनटन पोस्ट ने रोना विल्सन से जुड़ी जो खबर छापी है. उसमें बताया कि विल्सन के लैपटॉप में एक मैलवेयर डाला गया. इसके जरिेये करीब दो साल तक उनके कंप्यूटर की रैकी की गई. उसी मैलवेयर से आतंकवाद से जुड़े सबूत कंप्यूटर में प्लांट किए गए. लैब में कहा गया कि ये अब तक का सबसे जटिल केस है. इस खबर को अंग्रेजी के अखबारों ने भी प्रकाशित किया है.