द लीडर : त्रिपुरा की सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ देश के अल्पसंख्यक समुदाय के बीच से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आ रही है. जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. जिसमें राज्य के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया जा रहा है. उत्तर प्रदेश के बरेली में दरगाह आला हजरत से भी त्रिपुरा के मुसलमान और उनकी इबादतगाहों की हिफाजत के हक में आवाज उठ चुकी है. सोमवार को बरेली के राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने प्रोटेस्ट किया. और राष्ट्रपति को संबोधित मांग पत्र दिया है. (Tripura Violence Bareilly Protest)
नबीरे आला हजरत मौलाना तौकीर रजा खां की इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC)ने दामोदर स्वरूप पार्क में विरोध-प्रदर्शन किया. राष्ट्रपति को संबोधित मांग पत्र, जिला प्रशासन को सौंपा. जिसमें त्रिपुरा के अल्पसंख्यकों पर हमलों की निंदा करते हुए बिप्लब देव सरकार की बर्खास्तगी की मांग उठाई है.
आइएमसी ने कहा कि, राज्य के मुसलमानों को सुनियोजित तरीके से निशाना बनाया गया. मस्जिदों में आगजनी की गई. मकान और दुकानों को जलाया गया. ये बेहद अफसोसनाक है कि इतना सब होने के बाद भी केंद्र और राज्य सरकार खामोश है. आरोपियों के खिलाफ अब तक कोई एक्शन नहीं हुआ है. इससे वहां के अल्पसंख्यक भयभीत हैं.
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हम मांग करते हैं कि राज्य में कानून का राज कायम किया जाए. और हिंसक घटनाओं को अंजाम देने वाले दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. इस दौरान आइएमसी के राष्ट्रीय पव्रक्वता डॉ. नफीस खान, पूर्व जिलाध्यक्ष नदीम खान, मीडिया प्रभारी मुनीर इदरीसी, जिलाध्यक्ष फरहत खां, महानगर अध्यक्ष मिर्जा मखदूम बेग, मंडल अध्यक्ष सलीम नूरानी आदि मौजूद रहे. (Tripura Violence Bareilly Protest)
वहीं, दरगाह आला हजरत से जुड़े और तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने भी जिला प्रशासन को एक मेमोरेंडम दिया है. मौलाना ने कहा कि राज्य की कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. इसलिए वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए.
मौलाना ने कहा कि, त्रिपुरा की मस्जिद और अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं. ताकि हिंसा से जो दहशत का माहौल बना हुआ है. वो खत्म हो सके और राज्य में हालात सामान्य हों.
हिंसा में जिन लोगों का नुकसान हुआ है. सरकार उन्हें उचित मुआवजा दे. इस दौरान मौलाना मुजाहिद, हाजी नाजिम बेग, खलील कादरी, सय्यद तैयब आदि मौजूद रहे. (Tripura Violence Bareilly Protest)
त्रिपुरा में 21 अक्टूबर को हिंसा भड़क गई थी. तब, जब हिंदुत्ववादी संगठन 13 अक्टूबर को बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का विरोध करने उतरे थे. आरोप है कि इसके बाद सिलसिलेवार तरीके से कई रैलियां निकलीं और उसमें शामिल भीड़ ने अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया है.