#CoronaVariant: 29 देशों में मिला कोरोना का लैम्ब्डा वैरिएंट, पेरू में मचा हाहाकार

द लीडर हिंदी, नई दिल्ली। एक तरफ जहां कोरोना के मामलों में कमी आ रही है तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना अलग-अलग रूप लेकर सामने आ रहा है. बता दें कि, 29 देशों में कोविड-19 के नए वैरिएंट लैम्ब्डा की पहचान की गई है. ये जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दी है.

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WHO ने कहा है कि, पहली बार पेरू में पहचाने गए लैम्ब्डा वैरिएंट को साउथ अमेरिका में व्यापक उपस्थिति की वजह से 14 जून को ग्लोबल वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के तौर पर वर्गीकृत किया गया था.

पेरू में लैम्ब्डा वैरिएंट ने मचाया हाहाकार

अधिकारियों ने कहा कि, लैम्ब्डा वैरिएंट पेरू में व्यापत है जहां अप्रैल 2021 से अब तक 81 प्रतिशत कोविड ​​​​-19 मामले इसी से जुड़े हुए मिले हैं. वहीं चिली में पिछले 60 दिनों में सभी सबमिट किए गए सीक्वेंस के 32 प्रतिशत मामलों में इस वैरिएंट की पहचान हुई थी.

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इस वायरस को केवल गामा वैरिएंट द्वारा कमतर आंका गया था. जिसे पहली बार ब्राजील में पहचाना गया था. इसके साथ ही साउथ अमेरिका के अन्य देशों जैसे कि अर्जेंटीना और इक्वाडोर ने भी अपने देश में इस नए कोविड-19 वैरिएंट के फैलने की जानकारी दी है.

कितना प्रभावी है वैरिएंट लैम्बडा

डब्लयूएचओ ने बताया कि, लैम्ब्डा वैरिएंट में म्यूटेशन होते हैं जो संक्रमण को बढ़ा सकते हैं या एंटीबॉडी के लिए वायरस के प्रतिरोध को और मजबूत कर सकते हैं.

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हालांकि जिनेवा बेस्ड ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक ये नया वैरिएंट कितना असरदार होगा इसका प्रमाण फिलहाल बहुत सीमित हैं और लैम्बडा वैरिएंट को बेहतर ढंग से समझने के लिए इस पर ज्यादा से ज्यादा स्टडी किए जाने की जरूरत है.

स्वास्थ्य संगठनों की इस वैरिएंट पर पैनी निगाह

वैरिएंट ऑफ कंसर्न के उल्ट वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट जो पहले दुनिया भर के न्यूजपेपर्स की हेडलाइन बन चुका है, इस वैरिएंट पर स्वास्थ्य संगठनों की पैनी निगाह बनी हुई है लेकिन अभी तक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा साबित नहीं हुआ है.

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वैरिएंट ऑफ कंसर्न एक बड़ा खतरा

वहीं वैरिएंट ऑफ कंसर्न एक बड़े खतरे के तौर पर देखा जा रहा है . इस वैरिएंट में तेजी से फैलने और लोगों को संक्रमित करने की क्षमता है. ताजा उदाहण डेल्टा वैरिएंट है जिसे पहली बार भारत में पहचाना गया था.

11 मई 2021 को पहली बार पहचाना गया वैरिएंट

इसे पहली बार 11 मई 2021 तक वैरिएंट ऑफ कंसर्न के तौर पहचाना गया था. हालांकि दुनियाभर में इसके तेज गति से हुए प्रसार ने डब्लयूएचओ को इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न के तौर पर वर्गीकृत करने के लिए मजबूर किया.

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indra yadav

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