द लीडर हिंदी : गाजियाबाद के लोनी में बुजुर्ग की पिटाई मामले में ट्वीटर इंडिया समेत 7 लोगों पर मुकदमा दर्ज होने के बाद सरकार पर कार्रवाई को लेकर विपक्षी दलाें की ओर से तमाम सवाल खड़े किए जाने लगे.
इस पर उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने बताया कि सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक पोस्ट, कमेंट करने पर पिछले एक साल में 366 मुकदमें दर्ज किए जा चुके हैं. पूरे प्रदेश में 1 जून 2020 से लेकर 31 मई 2021 के बीच सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने के आरोप में यह कार्रवाई की गई है.
366 FIRs lodged in UP in a year (between June 1, 2020 and May 31, 2021) over allegations of disruption to communal harmony through posts, comments on social media platforms: ADG (Law and Order) Prashant Kumar
— Press Trust of India (@PTI_News) June 16, 2021
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, यूपी के एडीजी लाॅ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 1 जून 2020 से 31 मई 2021 के बीच सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट और कमेंट के जरिये सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने पर 366 एफआईआर दर्ज की गई है.
UP : मुस्लिम बुजुर्ग की दाढ़ी काटने के पीछे का वो सच, जिस पर मच गया सियासी भूचाल, ट्वीटर समेत 7 पर FIR
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले स्थित लोनी में मुस्लिम बुुजुर्ग अब्दुल समद के साथ मारपीट और दाढ़ी काटने की घटना 5 जून को हुई थी. मामले में गाजियाबाद पुलिस ने सांप्रदायिक रंग दिए जाने के आरोप में ट्वीटर और ट्वीटर इंडिया समेत सात के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है. 14 जून को अब्दुल समद के वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो जाते हैं तो कई मीडिया हाउस और एक्टिविस्ट इन्हें गाजियाबाद पुलिस को टैग करके सवाल पूछते हैं. जिस पर पुलिस बताती है कि इस मामले पहले से वाद पंजीकृत है. एक आरोपी को जेल भी भेजा जा चुका है.
मामले के तूल पकड़ने पर पुलिस दो अन्य आरोपियों कल्लू और आदिल को भी गिरफ्तार कर लेती है. 15 जून को पुलिस ने इसका पर्दाफाश करते हुए बताती है कि ‘घटना व्यक्तिगत रंजिश में हुई. प्रवेश गुर्जर के अलावा कल्लू, आदिल, आरिफ और मुशाहिद आदि आरोपी इसमें शामिल थे. बुजुर्ग अब्दुल समद ताबीज बनाते थे. ताबीज से आरोपियों के परिवार पर गलत प्रभाव पड़ा तो उन्होंने उसकी पिटाई लगा दी थी.
जब पूरे मामले को सांप्रदायिक एंगल से जोड़कर देखा जाने लगा तो पुलिस, सरकार और भाजपा तीनों आक्रामक हो गए हैं. राहुल गांधी के एक ट्वीट के जवाब में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद उन्हें कड़ा जवाब दिया था. बाद में पुलिस ने घटना को सांप्रदायिक एंगल देने के आरोप में ट्वीटर समेत सात पर मुकदमा दर्ज किया था. पुलिस के एक्शन के बाद कई लोगों ने अपने पुराने ट्वीट भी डिलीट कर दिए, जो घटना को सांप्रदायिक एंगल से जोड़कर टेक्सट-वीडियो कंटेट के साथ जारी किए गए थे.
पुलिस की सांप्रदायिक एंगल वाली कार्रवाई पर विपक्षी दलों ने सवाल खड़े करने शुरू किए तो यूपी के एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने इससे जुड़ी पिछले एक साल की कार्रवाइयों को डाटा भी पेश करते हुए इसे सही ठहराया है. उनके मुताबिक, यह सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने पर की गई कोई पहली कार्रवाई नहीं है. 1 जून 2020 से 31 मई 2021 के बीच करीब साेशल मीडिया पर पोस्ट व कमेंट के जरिये सांप्रदायिकता बिगाड़ने के मामले में 366 मुकदमें दर्ज किए जा चुके हैं.