लखनऊ। कोरोना और महंगाई की मार झेल रहे प्रदेशवासियों के राहत की बात ये है इस साल बिजली के दामों में बढ़ोतरी नही की जायेगी।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि इस साल बिजली के दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। उन्होंने ऊर्जा विभाग के अधिकारियों से साफ कहा कि इस साल कोरोना महामारी को देखते हुए बिजली के दामों में किसी तरह की कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।
हालांकि राज्य सरकार के नियंत्रण वाली बिजली वितरण कंपनियों ने नियामक आयोग के समक्ष दाखिल 2021-22 के वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) प्रस्ताव के साथ बिजली दरों का प्रस्ताव नहीं दाखिल किया है। अलबत्ता बिजली दरों के मौजूदा 80 स्लैब को घटाकर 53 करने का प्रस्ताव जरूर दिया है।
आशंका जताई जा रही है कि नया स्लैब लागू होने पर छोटे उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ सकता है। एआरआर के साथ चले परिवर्तन का प्रस्ताव भी नियामक आयोग में दाखिल किया है। नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन को नए स्लैब में दरें प्रस्तावित करके देने को कहा है।
फिलहाल पावर कारपोरेशन ने अभी आयोग को अपना जवाब नहीं भेजा है। इस बीच नियामक आयोग नई बिजली दरों को अंतिम रूप देने की कवायद में जुटा है। सरकार के फैसले को देखते हुए अब पावर कॉर्पोरेशन दरों में किसी तरह के हेरफेर के लिए आयोग पर दबाव डालेगा। इसके आसार कम ही नजर आ रहे हैं।
माना जा रहा है कि आयोग जून के पहले पखवारे में टैरिफ ऑर्डर जारी कर देगा। पहले से भी इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि चुनावी वर्ष में सरकार बिजली दरें बढ़ाकर शायद ही जनता की नाराजगी का कोई जोखिम उठाना चाहेगी। अब कोरोना महामारी के बहाने सरकार ने दरें न बढ़ाने का रास्ता निकाल लिया है। इससे जनता के बीच सरकार के प्रति सकारात्मक संदेश भी जाएगा।
गौरतलब है कि विद्युत वितरण कंपनियों की जनसुनवाई में उपभोक्ता संगठनों व उपभोक्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों पर आयोग ने पावर कॉर्पोरेशन से सात दिन में जवाब मांगा था। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर सरकार से कोविड राहत टैरिफ प्रस्ताव को लागू करने के लिए सहयोग का अनुरोध किया था।
आयोग के सचिव संजय कुमार की ओर से पावर कॉर्पोरेशन की रेगुलेटरी अफेयर यूनिट के मुख्य अभियंता को भेजे गए पत्र के साथ उपभोक्ता परिषद द्वारा 13, 16 और 19 मई को दाखिल आपत्तियों की प्रतियां भेजकर बिंदुवार जवाब देने को कहा गया था। जनसुनवाई में रेगुलटेरी सरचार्ज के प्रस्ताव पर आयोग के अध्यक्ष ने जिस तरह से बिजली कंपनियों को आड़े हाथ लिया था उसे देखते हुए इसके खारिज होने की पूरी संभावना जताई जा रही थी।