द लीडर : राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने 25 साल पहले पोलियो के खिलाफ जनता दल सरकार द्वारा चलाए गए अभियान का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हर देशवासी को निश्शुल्क कोरोना टीका लगाए जाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य के टीके की कीमतें अलग-अलग नहीं होनी चाहिए. राज्यों से ही देश बनता है. और ये केंद्र की जिम्मेदारी है कि देश के हर नागरिक का समुचित व निश्शुल्क टीकाकरण हो.
सोमवार को लालू प्रसाद यादव के ट्वीटर हैंडल पर 1996-97 में देश में पोलियों के खिलाफ लड़ी गई लड़ाई का जिक्र किया गया है. इसमें कहा गया है कि, ‘ 1996-97 में जब हम समाजवादियों की देश में जनता दल सरकार थी. और मैं उसका राष्ट्रीय अध्यक्ष था. तब हमने पोलियो टीकाकरण का विश्व रिकॉर्ड बनाया था.’
लालू प्रसाद यादव के मुताबिक, ‘उस वक्त आज जैसी सुविधाएं और जागरुकता नहींं थी. फरि भी 7 दिसंबर 1996 को 11.74 करोड़ शिशुओं को टीके लगाए गए थे. 18 जनवरी 1997 को 12.37 करोड़ शिशुओं को पोलियों का टीका दिया जा चुका था. वो भारत का विश्व रिकॉर्ड था.’
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उन्होंने कहा कि ‘उस दौर में वैक्सीन के प्रति लोगों में हिचकिचाहट और भ्रांतियां भी थीं. लेकिन जनता दल नीत संयुक्त मोर्चा की समाजवादी सरकार दृढ़ निश्चिय किया था कि पोलियो को जड़ से खत्म करेंगे. और आने वाली नस्लों को इससे मुक्ति दिलाएंगे. आज दुख होता है कि तथाकथित विश्वगुरु सरकार अपने नागरिकों को पैसे लेकर भी टीका उपलब्ध नहीं करा पा रही है.’
लालू प्रसाद यादव ने कहा कि ‘मैं प्रधानमंत्री जी से आग्रह करता हूं कि कोरोना की इस जानलेवा महामारी में सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत पूरे देशवासियों को निश्शुल्क टभ्का देने का ऐलान करें.’
सोमवार को आरजेडी के नेता और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पार्टी के सभी विधायकों के साथ ऑनलाइन संवाद किया. और उनसे आह्वान किया कि महामारी के इस मुश्किल वक्त में अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहकर मतदाताओं, समाज और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करें.
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इसी के साथ तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार को एक बार फिर निशाने पर लिया है. और एक डाटा जारी करते हुए कहा कि पिछले 3 दिनों से एक खेल हो रहा है. एक हजार केस घट रहा है. एक हजार जांच बढ़ रही है. ये गंदा खेल बिहार समझ रहा है.
तेजस्वी के मुताबिक, मैं चुनौती देता हूं कि किसी एक दिन के कुल जांच के वास्तविक प्रतिवेदित नए मरीजों की संख्या बताएं. मेरा दावा है कि जो आंकड़े पेश किए जा रहे हैं, उससे दोगुनी संख्या निकलेगी. दरअसल, बिहार में महामारी काल में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर तेजस्वी नीतीश सरकार पर लगातार हमलावर हैं.
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राज्य सरकार की व्यवस्थाओं पर नाखुशी जताते हुए पटना हाईकोर्ट को ये टिप्पणी तक करनी पड़ गई कि बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं को सेना के हवाले कर देना चाहिए. हालांकि इस सबके बावजूद स्वास्थ्य सेवाओं में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है. और लगातार ऑक्सीजन, दवा के अभाव में लोगों की जाने जा रही हैं.
हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं से संतुष्ट हैं. और वे तेजी से लोगों तक मदद पहुंचाए जाने का दावा कर रहे हैं. लेकिन धरातल पर तस्वीर एक दम जुदा है.