नई दिल्ली: भारत में ईयरबड्स, नेक बैंड्स और स्मार्टवॉच जैसे वियरेबल्स आइटम्स (wearable items) की मैन्यूफैक्चरिंग कुछ दिनों में तेजी से बढ़ ही है। भारतीय ब्रांड्स ने भी देश में वियरेबल्स के 75 परसेंट मार्केट पर कब्जा कर लिया है। इससे चीन की एसेंबली लाइन्स पर बुरा असर पड़ रहा है। वहां की फैक्ट्रियों के ऑर्डर में भारी गिरावट आ रही है और देश में एक के बाद एक कई फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं। पिछले साल भारत में करीब 8,000 करोड़ रुपये के वियरेबल आइटम्स की मैन्यूफैक्चरिंग हुई थी। इसकी वजह सरकार का एक फैसला रहा है और सरकार ने पूरी तरह से तैयार वियरलेबल आइटम्स के इम्पोर्ट पर 20 फीसदी बेसिक कस्टम ड्यूटी लगा दी थी। जिसके बाद कंपनियों ने चीन से मंगाने के बजाय देश में ही प्रॉडक्शन करना शुरू कर दिया। आज भारत दुनिया में वियरेबल्स मार्केट का सबसे बड़ा बाजार बनकर उभरा है। जानकारों का कहना है कि बोट (Boat) और गिजमोर (Gizmore) जैसे ब्रांड्स अधिकांश वियरेबल आइटम्स देश में ही बनाना शुरू कर चुके हैं। इन कंपनियों ने ठेके पर आइटम बनाने वाली कंपनी डिक्सन टेक्नोलॉजीज (Dixon Technologies) और ऑप्टीमस इलेक्ट्रॉनिक्स (Optiemus Electronics) के साथ हाथ मिला लिया है।
नोएडा की कंपनी Gizmore के चीफ एग्जीक्यूटिव संजय कलीरोना ने बताया कि वियरेबल्स एसेंबली चीन से भारत में शिफ्ट हो गई। इसलिए चीन की एसेंबलिंग कंपनियों के पास कोई काम नहीं बचा है। पहले हम वहां से पूरी तरह तैयार यूनिट्स (Completely Build-up Units) मंगवाते थे। लेकिन जबसे सरकार ने वियरेबल्स पर कस्टम ड्यूटी लगाई, तबसे हम उन्हें सेमी नॉक-डाउन फॉर्म में मंगवा रहे हैं और यहां उनकी एसेंबलिंग की जा रही है। यही कारण है कि भारत को सप्लाई करने वाली कंपनियों के पास कोई ऑर्डर नहीं आ रहे है। आईडीसी इंडिया (IDC India) के मुताबिक जनवरी से लेकर मार्च के बीच वियरेबल्स के डोमेसिट्क शिपमेंट्स में पिछले साल के मुकाबले 81 फीसदी तेजी आई और यह 2.5 करोड़ यूनिट तक पहुंच गई। इसके साथ ही चीन को पछाड़कर भारत दुनिया में वियरेबल्स का सबसे बड़ा मार्केट बनने जा रहें हैं। बीजिंग का शिपमेंट चार फीसदी की गिरावट के साथ 2.47 करोड़ यूनिट ही रह गया है। आईडीसी इंडिया के मुताबिक 2023 में भारतीय शिपमेंट 13.1 करोड़ पहुंच सकता है जो पिछले साल 10 करोड़ तक सीमित था। हालांकि भारतीय कंपनियां अब भी पार्ट्स के लिए काफी हद तक चीन की कंपनियों पर निर्भर हैं लेकिन देश में स्मार्टफोन के मार्केट में चीन की कंपनियों का दबदबा है और वियरेबल्स इसमें बोट, नॉइस, फायरबोल्ट जैसी भारतीय कंपनियों का दबदबा बन रहा है। वॉल्यूम के हिसाब से देश के 75 फीसदी मार्केट पर देसी कंपनियां अपना दबदबा कायम कर रही है। 2022 के अंत में देश में बिकने वाले 40 परसेंट वियरेबल्स देश में ही बनाए जा रहे थे। अभी यह आंकड़ा 65 फीसदी तक पहुंच गया है और इस साल के अंत तक इसके 80 परसेंट पहुंचने की उम्मीद है। बोट के चीफ एग्जीक्यूटिव समीर मेहता ने बताया कि 75 परसेंट ऑडियो प्रॉडक्ट्स और 95 फीसदी स्मार्टवॉच अब देश में ही बन रही हैं। पिछले साल यह आंकड़ा 20-25 फीसदी ही था। हालत यह हो गई है कि चीन की फैक्ट्रियों में काम आधा ही रह गया है।
मेहता ने कहा कि पिछले डेढ़ साल में भारत में वियरेबल्स की खपत सबसे ज्यादा हो रही है। इसलिए कंपनियों ने मैन्यूफैक्चरिंग को भारत में ही शिफ्ट कर दिया है। यही वजह है कि चीन की फैक्ट्रियों के पास काम ही नहीं बचा है और कई तो बंद हो चुकी हैं और कुछ बंद होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं। बोट इस समय भारत में सात से आठ पार्टनर्स के साथ काम कर रही है। इनमें डिक्सन और वीवीडीएन टेक्नोलॉजीज आदि शामिल है। चीन में कंपनी सिंफनी, मिनामी और छह अन्य कंपनियों के साथ काम कर रही है और सरकार ने अप्रैल 2022 में Phased Manufacturing Programme (PMP) को नोटिफाई किया था। इसके बाद से देश में वियरेबल्स की मैन्यूफैक्चरिंग ने रफ्तार पकड़ ली हैं। भारत ने फाइनेंशियल ईयर 2023 में 8,000 करोड़ रुपये के वियरेबल्स बनाए हैं। जबकि उससे पिछले साल यह आंकड़ा बहुत कम रहा था। सरकार ने अप्रैल 2023 से सीबीयू के इम्पोर्ट पर 20 फीसदी बेसिक कस्टम ड्यूटी लगा दी है। इसको लेकर आईटीसी का कहना है कि इस साल के अंत तक एएसपी 23 से बढ़कर 25 डॉलर तक आ सकता है।