महाराष्ट्र में मुसलमानों को 5 प्रतिशत आरक्षण और हेट स्पीच रोकथाम कानून का प्रस्ताव

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5 Percent Reservation Muslims Maharashtra Hate Speech Prevention Law Proposes
प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते प्रकाश आंबेडकर, मंच पर सईद नूरी समेत अन्य पदाधिकारी.

द लीडर : भारत के तन पर कई छोटे-बड़े दंगों के घाव लगे हैं. पिछले साल फरवरी-2020 के दिल्ली दंगा के जख्म अभी हरे हैं. जिसमें 53 लोग मारे गए थे. समाज को बांटने वाली ताकतें हर हथकंडा अपना रही हैं. अफवाह फैलाने, मस्जिद में मांस फेंकने से लेकर भड़काऊ बयानबाजी तक. लेकिन जब जनता इनकी साजिशों को समझने लगी. तब नया तरीका ढूंढ लिया. इसमें पैगंबर-ए-इस्लाम, पवित्र कुरान तो कभी दूसरी धार्मिक शख्सियतों के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया जाने लगा.

इस नासूर को बढ़ने से रोकने के हर मोर्च पर सरकार नाकाम रही है. भारतीय समाज को एकजुट, खुशहाल और स्वस्थ बनाए रखने के लिए जरूरी है कि राज्य और केंद्र सरकारें, हैट स्पीच निषेध-2021 कानून लाएं.

मुंबई की रजा अकादमी और वंचित बहुजन अघाड़ी ने इसका एक मसौदा तैयार किया है. जिसे महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा. और इस बात पर गौर किया जाएगा कि सरकारें किस तरह इस पर काम करती हैं.


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बुधवार को रजा अकादमी और वंचित बहुजन अघाड़ी की एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में ये बयान जारी किया गया है. इसके साथ ही महाराष्ट्र में मुसलमानों को शिक्षा और नौकरियों में 5 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की मांग उठाई गई है.

दोनों संगठनों ने ये कहा कि हाईकोर्ट ने मुस्लिम समुदाय को जो 5 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की बात कही थी, उस पर सरकार द्वारा विचार किया जाना बाकी है. विधानसभा के अगले सत्र में आरक्षण का लाभ दिए जाने की मांग पूरी होने की उम्मीद करते हैं.

हेट स्पीच को लेकर दोनों सगठनों ने कहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा के अगले सत्र में इस विधेयक को पेश किए जाने का प्रस्ताव रखा है. इस बिल के आने के बाद जातीय और धार्मिक भावनाएं उत्पन्न होंगी. लेकिन हमारी कोशिश होगी कि महाराष्ट्र सरकार और भारतीय संसद के सत्रों में इसे पेश किया जाता रहे.

प्रेस कांफ्रेंस में वंचित बहुजन अघाड़ी के नेता पूर्व सांसद प्रकाश आंबेडकर, रजा अकादमी के महासचिव सईद नूरी, अखिल भारतीय सुन्नी जमीअतुल उलमा के अध्यक्ष मोईन मियां, वंचित बहुजन अघाड़ी के राज्य प्रवक्ता फारूक अहमद आदि रहे.


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सईद नूरी ने कहा कि भड़काऊ भाषण समाज में विकट समस्या बनती जा रही है. देश को इस बीमारी से बचाने के लिए सरकारों का इस ओर ध्यान देना जरूरी हो गया है. आए दिन ये देखने को मिलता है कि कोई न कोई धार्मिक शख्सियतों, ग्रंथ-पुस्तकों के बारे में आपत्तिजनक और अमर्यादित भाषा शैली का इस्तेमाल करता नजर आता है.

हाल ही में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं. लेकिन अभी जो कानून हैं-उससे दोषियों को कड़ी सजा नहीं मिल पा रही है. इसलिए जरूरी है कि सरकारें इस पर सख्त कानून लाएं. ताकि समाज को तोड़ने वाली ऐसी कोशिशों को असफल किया जा सके.

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