तो राफेल सौदे में दी गई 4.39 करोड़ की दलाली!

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गिफ्ट के नाम पर दी रकम,फ्रांस एक न्यूज वेबसाइट ने किया दावा

 

पेरिस।

फ्रांस की समाचार वेबसाइट मीडिया पार्ट ने एक बार फिर राफेल लड़ाकू विमान सौदे में भ्रष्टाचार के जिन्न को बाहर निकाल दिया। फ्रेंच भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी एएफए की जांच रिपोर्ट के हवाले से प्रकाशित खबर के मुताबिक इस जांच पर तीन कड़ियों वाली रिपोर्ट का ये पहला भाग है। असली धमाका तो तीसरी रिपोर्ट में होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक दसॉ एविएशन ने कुछ बोगस नजर आने वाले भुगतान किए हैं। कंपनी के 2017 के खातों के ऑडिट में 5 लाख 8 हजार 925 यूरो (4.39 करोड़ रुपए) क्लाइंट गिफ्ट के नाम पर खर्च दर्शाए गए। जांच में इतनी बड़ी धनराशि का कोई ठोस स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।

जांच एजेंसी के पूछने पर दैसो एविएशन ने बताया कि उसने राफेल विमान के उन्नत किस्म के 50 मॉडल एक भारतीय कंपनी से बनवाए। इन मॉडल के लिए 20 हजार यूरो (17 लाख रुपए) प्रति नग के हिसाब से भुगतान किया गया। हालांकि, यह मॉडल कहां और कैसे इस्तेमाल किए गए इसका कोई प्रमाण नहीं दिया गया। मीडिया पार्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि मॉडल बनाने का काम कथित तौर पर भारत की कंपनी डी एस को दिया गया। यह कंपनी दसॉ की भारत में सब-कॉन्ट्रैक्टर कंपनी के रूप में दर्ज है। इसका स्वामित्व रखने वाले परिवार से जुड़े सुषेण गुप्ता रक्षा सौदों में बिचौलिए रहे और दसॉ के एजेंट भी। गुप्ता को 2019 में अगस्ता-वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर खरीद घोटाले की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार भी किया था। मीडिया रिपार्ट के अनुसार गुप्ता ने ही दसॉ एविएशन को मार्च 2017 में राफेल मॉडल बनाने के काम का बिल दिया था।

फ्रांसीसी वेबसाइट के इस दावे के बाद एक बार फिर राफेल रक्षा सौदों का जिन्न बाहर आ सकता है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल सौदे में हुए भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया था। पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण का मतदान 5 अप्रैल को होना है। जाहिर है कांग्रेस को केंद्र सरकार पर हमला बोलने के लिए तरकश में एक और तीर मिल गया है।

मिल चुकी है कोर्ट की हरी झंडी

कांग्रेस ने राफेल सौदे में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। पार्टी का आरोप था कि जिस लड़ाकू विमान को यूपीए सरकार ने 526 करोड़ रुपए में लिया था उसे एनडीए सरकार ने 1670 करोड़ प्रति विमान की दर से लिया। कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया था कि सरकारी एयरोस्पेस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को इस सौदे में शामिल क्यों नहीं किया गया। इस फैसले के खिलाफ लगाई गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर 2019 को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इस मामले की जांच की जरूरत नहीं है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हमें नहीं लगता है कि राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में किसी एफआईआर या जांच की जरूरत है। अदालत ने 14 दिसंबर 2018 को राफेल सौदे की प्रॉसेस और सरकार के पार्टनर चुनाव में किसी तरह के फेवर के आरोपों को बेबुनियाद बताया था।

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