द लीडर। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की बेंच को बताया कि, विजय माल्या, मेहुल चौकसी और नीरव मोदी से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में, ईडी ने अदालतों के आदेश के अनुसार उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए लगभग 18,000 करोड़ रुपये जब्त किए हैं।
विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी से लौटाए 18,000 करोड़
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि, विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी से बैंकों को 18,000 करोड़ रुपये लौटा दिए गए हैं। तुषार मेहता ने जस्टिस ए एम खनविलकर की अगुवाई वाली खंडपीठ के समक्ष यह जानकारी दी है।
तीनों को भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत भारत में भगोड़ा अपराधी घोषित किया गया है। सुप्रीम कोर्ट वर्तमान में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों की व्याख्या से संबंधित याचिकाओं के एक बैच की जांच कर रहा है।
विजय माल्या भगोड़ा अपराधी घोषित होने वाला पहला व्यवसायी
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की बेंच को बताया कि, विजय माल्या, मेहुल चौकसी और नीरव मोदी से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में, ईडी ने अदालतों के आदेश के अनुसार उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए लगभग 18,000 करोड़ रुपये जब्त किए हैं।
विजय माल्या भारत में भगोड़ा अपराधी घोषित होने वाला पहला व्यवसायी था, उसके के बाद नीरव मोदी को भी भगोड़ा से घोषित किया गया था।
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धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग में अपनी भूमिका के लिए वांछित विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे हाई प्रोफाइल आर्थिक अपराधियों के प्रत्यर्पण के प्रयास सरकार ने तेज कर दिए हैं। तुषार मेहता ने कहा कि, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा 4,700 पीएमएलए मामलों की जांच की जा रही है।
पांच साल के दौरान ईडी के द्वारा जांच के नये मामले वर्ष 2105-16 के 111 मामले से 2020-21 के 981 मामले के दायरे में हैं। मेहता ने खंडपीठ को जानकारी दी कि वर्ष 2016 से वर्ष 2021 के दौरान ईडी ने जांच के लिए पीएमएलए के सिर्फ 2,086 मामले स्वीकार किए जबकि ऐसे के मामलों के लिए 33 लाख प्राथमिकियां दर्ज थीं।
इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें PMLA के तहत अपराध की आय की तलाशी, जब्ती, जांच और कुर्की के लिए प्रवर्तन निदेशालय ( ED) को उपलब्ध शक्तियों के व्यापक दायरे को चुनौती दी गई है।
इस मामले में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और मुकुल रोहतगी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने हाल के PMLA संशोधनों के संभावित दुरुपयोग से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर SC के समक्ष दलीलें दी हैं।
कड़ी जमानत शर्तों, गिरफ्तारी के आधारों की सूचना ना देना, ECIR (FIR के समान) कॉपी दिए बिना व्यक्तियों की गिरफ्तारी, मनी लॉन्ड्रिंग की व्यापक परिभाषा और अपराध की आय, और जांच के दौरान आरोपी द्वारा दिए गए बयान ट्रायल में बतौर सबूत मानने जैसे कई पहलुओं पर कानून की आलोचना की गई है।
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