80 साल बाद होगा कुछ ऐसा… पानी में डूब जाएंगे भारते के ये शहर

द लीडर हिंदी। मानव जीवन पर संकट मंडारने लगा है। धरती पर लगातार तापमान बढ़ता जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर भी पिघल रहे हैं। पिघलता हुआ ग्लेशियर भारत के लिए कितना खतरनाक है इस बात का खुलासा अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने किया है। नासा द्वारा पेश की कई रिपोर्ट के अनुसार 80 साल बाद यानी साल 2100 तक भारत के 12 तटीय शहर 3 फीट पानी में डूब जाएं। ऐसा लगातार बढ़ती गर्मी से ध्रुवों पर जमी बर्फ के पिघलने से होगा। ग्लेशियर पिघलेगा तो समुद्र का जलस्तर अपने आप बढ़ने लगेगा जिससे प्रलय का मंजर होगा। ऐसे में भविष्य में इन इलाकों में रह रहे लोगों को यह जगह छोड़नी पड़ सकती है।


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लोगों को झेलनी पड़ेगी भयानक गर्मी

रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल का किडरोपोर इलाका, जहां पिछले साल तक समुद्री जलस्तर के बढ़ने का कोई खतरा महसूस नहीं हो रहा है। वहां पर भी साल 2100 तक आधा फीट पानी बढ़ जाएगा।  रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2100 तक दुनिया का तापमान काफी बढ़ जाएगा। लोगों को भयानक गर्मी झेलनी पड़ेगी। कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण नहीं रोका गया तो तापमान में औसतन 4.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। अगले दो दशक में तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। इस तेजी से पारा चढ़ेगा तो ग्लेशियर भी पिघलेंगे। इनका पानी मैदानी और समुद्री इलाकों में तबाही लेकर आएगा।

नासा ने बनाया सी लेवल प्रोजेक्शन टूल

दरअसल, नासा ने एक सी लेवल प्रोजेक्शन टूल बनाया है। इससे समुद्री तटों पर आने वाली आपदा से वक्त रहते लोगों को निकालने और जरूरी इंतजाम करने में मदद मिलेगी। इस ऑनलाइन टूल के जरिए कोई भी भविष्य में आने वाली आपदा यानी बढ़ते समुद्री जलस्तर का पता कर सकेगा। नासा ने इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कई शहरों के समुद्र में डूब जाने की चेतावनी दी है।


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मैदानी इलाकों और समुद्री इलाकों में मचेगी तबाही

नासा की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2100 तक दुनिया का तापमान काफी बढ़ जाएगा. लोगों को भयानक गर्मी झेलनी पड़ेगी। कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण नहीं रोका गया, तो तापमान में औसतन 4.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। अगले दो दशक में तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा. इस तेजी से पारा चढ़ेगा तो ग्लेशियर भी पिघलेंगे। इनका पानी मैदानी और समुद्री इलाकों में तबाही लेकर आएगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, साल 2100 तक दुनिया का तापमान काफी बढ़ जाएगा। भविष्य में लोगों को प्रचंड गर्मी का सामना करना पड़ेगा। कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण नहीं रोका गया तो तापमान में औसत 4.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। अगले दो दशक में तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा। जब इस तेजी से पारा चढ़ेगा तो ग्लेशियर भी पिघलेंगे। जिसका पानी मैदानी और समुद्री इलाकों में तबाही लेकर आएगा।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक सी लेवल प्रोजेक्शन टूल बनाया है। जिससे समय रहते समुद्री तटों पर आने वाली आपदा से लोगों के जान-माल की हिफाजत की जा सके। इस ऑनलाइन टूल के जरिए कोई भी भविष्य में आने वाली आपदा यानी बढ़ते समुद्री जल स्तर का हाल जान सकेगा। ये टूल दुनिया के उन सभी देशों के समुद्री जलस्तर को माप सकता है, जिनके पास तट हैं।

IPCC की भयावह रिपोर्ट

नासा ने इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कई शहरों के समुद्र में डूब जाने की चेतावनी दोहराई है। IPCC की ये छठी एसेसमेंट रिपोर्ट 9 अगस्त को जारी की गई, जो जलवायु प्रणाली और जलवायु परिवर्तन की स्थितियों को बेहतर तरीके से परिभाषित करती है। IPCC सन 1988 से वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन का आकलन कर रही है। IPCC हर 5 से 7 साल में दुनियाभर में पर्यावरण की स्थिति की रिपोर्ट देता है। इस बार की रिपोर्ट बहुत भयावह है।


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डूब जाएंगे भारत के 12 शहर 

रिपोर्ट के मुताबिक करीब 80 साल बाद यानी साल 2100 तक भारत के 12 तटीय शहर समुद्री जलस्तर बढ़ने से करीब 3 फीट पानी में चले जाएंगे। यानि ओखा, मोरमुगाओ, कंडला, भावनगर, मुंबई, मैंगलोर, चेन्नई, विशाखापट्टनम, तूतीकोरन, कोच्चि, पारादीप और पश्चिम बंगाल के किडरोपोर तटीय इलाके पर पड़ेगा। ऐसे में भविष्य में तटीय इलाकों में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाना होगा। पश्चिम बंगाल का किडरोपोर इलाका जहां पिछले साल तक समुद्री जलस्तर के बढ़ने का कोई खतरा महसूस नहीं हो रहा है। वहां पर भी साल 2100 तक आधा फीट पानी बढ़ जाएगा।

घट जाएगा कई देशों का क्षेत्रफल

नासा के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन ने कहा कि, सी लेवल प्रोजेक्शन टूल दुनियाभर के नेताओं, वैज्ञानिकों को यह बताने के लिए काफी है कि, अगली सदी तक हमारे कई देश जमीनी क्षेत्रफल में कम हो जाएंगे। क्योंकि समुद्री जलस्तर इतनी तेज बढ़ेगा कि उसे संभालना मुश्किल होगा, नहीं तो उदाहरण सबके सामने हैं। कई द्वीप डूब चुके हैं, कई अन्य द्वीपों को समुद्र अपनी लहरों में निगल जाएगा।


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वैश्विक तापमान बढ़ने से होगा ये असर

भारत सहित एशिया महाद्वीप पर भी इसके गहरे प्रभाव देखने को मिल सकते है। हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर लेक्स के बार-बार फटने से निचले तटीय क्षेत्रों में बाढ़ के अलावा अन्य कई बुरे प्रभावों का सामना करना पड़ेगा। देश में अगले कुछ दशकों में सालाना औसत बारिश में इजाफा होगा। खासकर दक्षिणी प्रदेशों में हर साल घनघोर बारिश हो सकती है।

 

indra yadav

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