बिहार में ‘बहार’ नहीं ‘बाढ़’ है.. उफान पर नदियां, डूबे कई इलाकें

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द लीडर हिंदी, पटना। देश के कई इलाके इन दिनों बाढ़ में डूबे हुए है. गंगा और पुनपुन नदी में आए उफान की वजह से बिहार की राजधानी पटना के कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. पटनासिटी का जल्ला क्षेत्र पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है. जनजीवन अस्त व्यस्त है, लेकिन सरकार की ओर से इलाके में अब तक राहत कार्य की शुरुआत नहीं की गई है. इस बात से नाराज पुणाडीह पंचायत के ग्रामीणों ने बुधवार को मोर्चा खोल दिया और पानी में खड़े होकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

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उफान पर नदियां…जनजीवन अस्त व्यस्त

बता दें कि, बिहार के कई जिलों में बीते दो-तीन दिनों से हो रही बारिश के कारण नदियां फिर उफान पर हैं और कई जगह खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं हैं. गंडक, बूढ़ी गंडक, बाया, बागमती समेत पहाड़ी नदियों का कहर बरपा रहीं हैं. कई जगहों पर गंगा खतरे के निशान को पार कर चुकी है, वहीं कोसी का पानी भी कई गांवों में फैल गया है. खगडिय़ा में जमींदारी बांध टूटने के कारण आसपास के इलाकों में बाढ़ का पानी फैल गया है, वहीं पटना से गुजरने वाली पुनपुन नदी श्रीपालपुर में खतरे के निशान से 131 सेमी ऊपर बह रही है।

प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों का प्रदर्शन

वहीं बाढ़ प्रभावित पीड़ितों ने प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. जल्ला क्षेत्र के शुकुलपुर, रायबाग, कसारा, निजामपुर, नत्थाचक सहित कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं. इन सभी जगहों पर हजारों एकड़ में लगी धान और सब्जी की फसल नष्ट हो चुकी है. सड़कों पर बाढ़ का पानी चढ़ जाने की वजह से कई गांवों का आपस में संपर्क टूट गया है. आवागमन के लिए नाव की जरूरत है, लेकिन प्रशासनिक स्तर से अब तक नाव मुहैया नहीं कराया गया है. जिस कारण लोगों में प्रशासन के प्रति खौफ है.

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ग्रामीणों ने प्रशासन से की मांग

बता दें कि, बाढ़ से कई गांव तालाब बन चुके है. रायबाग में कुछ परिवारों ने आंगनवाड़ी केंद्र में शरण ली है. वहीं ग्रामीणों की मांग है कि, बाढ़ पीड़ितों के बीच राशन वितरण किया जाए. साथ ही मुख्य मार्ग तक आवागमन के लिए नाव की व्यवस्था और जानवरों के लिए चारा की व्यवस्था की जाए. इसके साथ ही हजारों एकड़ में लगी फसल, जो बर्बाद हो चुकी है उसका मुआवजा जल्द दिया जाए.

किसी भी अधिकारी ने नहीं किया इलाके का दौरा- ग्रामीण

प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों की मानें तो, अब तक किसी भी अधिकारी ने इलाके का दौरा नहीं किया है. जबकि जल्ला क्षेत्र राजधानी पटना में सब्जी की खेती का मुख्य केंद्र है. इस इलाके की सब्जियां पटना सहित कई जगहों पर जाती हैं. लेकिन, इस वर्ष किसान को खुद भी सब्जी नहीं खा पा रहे.

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मुंगेर में 2018 जैसे हालात की बन रही आशंका

इधर, मुंगेर जिले में गंगा का जलस्तर काफी तेजी से बढ़ रहा है. स्थिति यही रही तो 2018 जैसे हालात का सामना करना पड़ सकता है. अभी तक चार दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है. कई इलाकों के बाढ़ प्रभावित लोग एनएच के किनारे रहने के लिए पहुंच चुके हैं. वहीं, कटिहार के कुरसेला प्रखंड में गंगा व कोसी के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और कई इलाकों में बाढ़ का पानी फैल गया है. खगडिय़ा में भी गंगा और बूढ़ी गंडक उफान पर है.

गंगा और बाया नदी से परेशानी ही परेशानी

उत्तर बिहार में बाढ़ का सर्वाधिक प्रभाव समस्तीपुर के दियारा क्षेत्र में देखा जा रहा है. यहां गंगा और बाया नदी कहर बरपा रही हैं. जिले के तीन प्रखंड प्रभावित हैं. चंपारण में गंडक समेत पहाड़ी नदियों का प्रकोप देखा जा रहा है. गंडक बराज से मंगलवार को 1.15 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. गंडक से पिपरासी, मधुबनी, भितिहां और मसान से लौरिया में कटान हो रहा है। बागमती भी शिवहर, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर में खतरे के निशान पर बह रही है. बूढ़ी गंडक में उफान के कारण मुजफ्फरपुर के निचले इलाकों में लगातार दबाव बना हुआ है.

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