द लीडर हिंदी, लखनऊ | तीन कृषि कानूनों को संसद में पारित होने के बाद किसान आंदोलन को आज एक साल पूरे हो गए हैं. इन्हीं कृषि कानूनों के लेकर पंजाब से शुरू हुआ किसानों का आंदोलन दिल्ली और देश के दूसरे राज्यों तक फैल गया है. गौरतलब है कि आज ही देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन भी है. बीते एक सालों में किसानों ने कई तरीकों से अपनी बात मनवाने के लिए सरकार पर ज़ोर लगाया लेकिन सरकार टस से मस न हुई. कई जगहों पर किसानों पर प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने बल का प्रयोग किया तो कहीं वाटर कैनन से किसानों को पीछे करने की कोशिश की गई. वहीं 15 अगस्त को लाल किले पर हुई हिंसा भी भुलाए नहीं भूलती.
वहीं शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने तीन कृषि कानूनों के अधिनियमन के एक वर्ष पूरा होने पर 17 सितंबर को काला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. दिल्ली में पार्टी कार्यकर्ता किसानों के साथ तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर संसद तक विरोध मार्च निकालेंगे. यह एक साल कृषि प्रदान देश भारत के किसानों के लिए काफी साहसी रहा. आइये एक एक करके जानते हैं कि बीते एक साल में देश के किसानों और सरकार के बीच कितनी बार चर्चा हुई और कितनी बार किसानों ने गुस्से में सरकार के खिलाफ मोर्चे खोले और आवाज़ उठाई.
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क्या हैं तीन कानून ?
- किसान आंदोलन का पहला कानून, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 इसके मुताबिक किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं. बिना किसी रुकावट दूसरे राज्यों में भी फसल बेच और खरीद सकते हैं.
- मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020. देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है. फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी.
- आवश्यक वस्तु संशोधन बिल आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है.
कब-कब क्या-क्या हुआ ?
14 सितंबर, 2020: अध्यादेश संसद में लाया गया.
17 सितंबर, 2020: लोकसभा में अध्यादेश पारित हुआ.
25 नवंबर, 2020: 3 नवंबर को देशव्यापी सड़क नाकेबंदी सहित नए कृषि कानूनों के खिलाफ छिटपुट विरोध के बाद, पंजाब और हरियाणा में किसान संघों ने ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन का आह्वान किया. हालांकि, दिल्ली पुलिस ने कोविड -19 प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए राजधानी शहर तक मार्च करने के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था.
26 नवंबर, 2020: दिल्ली की ओर मार्च कर रहे किसानों को पानी की बौछारों, आंसू गैस का सामना करना पड़ा क्योंकि पुलिस ने उन्हें हरियाणा के अंबाला जिले में तितर-बितर करने की कोशिश की. बाद में, पुलिस ने उन्हें उत्तर-पश्चिम दिल्ली के निरंकारी मैदान में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी
3 दिसंबर, 2020 : किसानों ने नहीं खाया सरकार का दिया खाना
तीसरे दौर की वार्ता में 40 किसान नेता शामिल थे. विज्ञान भवन में हुई इस बैठक में किसानों ने सरकार का दिया हुआ खाना नहीं खाया. किसानों ने अपने लिए सिंधु बॉर्डर से ही भोजन, चाय का प्रबंध किया था. यह बैठक भी बेनतीजा रही. कुछ किसान नेताओं ने कृषि मंत्री से मिलकर बातचीत की.
8 दिसंबर, 2020 : भारत बंद का आह्वान, किसानों ने भारत बंद आयोजित किया. इसका आंशिक असर रहा. पंजाब-हरियाणा में बंद का ज्यादा प्रभाव देखा गया.
7 जनवरी, 2021: सुप्रीम कोर्ट 11 जनवरी को नए कानूनों और विरोध के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमत हुआ. यह तब भी आया जब अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि किसानों और केंद्र के बीच बातचीत “बस काम कर सकती है”.
6 फरवरी, 2021: विरोध करने वाले किसानों ने दोपहर 12 बजे से दोपहर 3 बजे तक तीन घंटे के लिए देशव्यापी ‘चक्का जाम’ या सड़क नाकाबंदी की.
6 मार्च, 2021: दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने पूरे किए 100 दिन.
जुलाई, 2021: लगभग 200 किसानों ने तीन कृषि कानूनों की निंदा करते हुए गुरुवार को यहां संसद भवन के पास किसान संसद के समानांतर “मानसून सत्र” शुरू किया. विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन परिसर के अंदर महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन किया.
9 सितंबर, 2021: किसान बड़ी संख्या में करनाल पहुंचे और मिनी सचिवालय का घेराव किया.
11 सितंबर, 2021: किसानों और करनाल जिला प्रशासन के बीच पांच दिवसीय गतिरोध को समाप्त करते हुए, हरियाणा सरकार ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा 28 अगस्त को किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज की जांच करने पर सहमति व्यक्त की.
15 सितंबर, 2021: किसान आंदोलन के कारण बंद पड़े सिंघु बॉर्डर पर रास्ता खुलवाने के लिए सरकार ने एक प्रदेश स्तरीय समिति का गठन किया था. इसमें दो आईएएस और दो आईपीएस को शामिल किया गया है. हरियाणा गृह विभाग की तरफ से समिति में चार सदस्यों का नाम राज्यपाल को भेजा गया है.
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अकाली दल का ब्लैक फ्राईडे, AAP का कैंडल मार्च
किसान आंदोलन के चलते पंजाब और यूपी की सियासी तपिश भी बढ़ी है. कृषि कानूनों के खिलाफ शुक्रवार को शिरोमणि अकाली दल ‘ब्लैक फ्राइडे प्रोटेस्ट मार्च’ तो आम आदमी पार्टी पंजाब भर में कैंडल मार्च निकाल रही है. कृषि कानूनों को लेकर सबसे ज्यादा पंजाब-हरियाणा और पश्चिम यूपी में देखने को मिल रही है. अगले साल शुरू में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने है, जिसे देखते हुए राजनीतिक दल किसानों को अपने-अपने खेमे में जोड़ने की कवायद में है. यही वजह है कि शिरोमणि अकाली दल ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर कृषि कानूनों को विरोध में शुक्रवार को ‘ब्लैक फ्राइडे प्रोटेस्ट मार्च’ निकाला.
The protest march today will not only symbolise the farmers' dissent but also be remembered as a historic event that struck at roots of tyranny. Let's unite to mark this day as the beginning of a renewed revolt to bring justice for farmers.#KhatirKisaniDatteAkali @Akali_Dal_ pic.twitter.com/XyCGOYGbqn
— Sukhbir Singh Badal (@officeofssbadal) September 17, 2021
‘ब्लैक फ्राइडे प्रोटेस्ट मार्च’ में शामिल होने दिल्ली आ रहे अकाली दल के कार्यकर्ताओं को दिल्ली पुलिस ने बॉर्डर पर ही रोक दिया है. झाड़ोदा कलां बॉर्डर पर दोनों रास्ते किसान आंदोलन की वजह से बंद कर दिया गया है. पंजाब नंबर की सभी गाड़ियों को वापस लौटा दिया गया. अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने विरोध भी जताया, लेकिन सीआरपीएफ और दिल्ली पुलिस के जवानों ने उनकी बात नहीं मानी.
मार्च को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने धारा 144 लागू कर दिया गया है. इसके साथ ही दो मेट्रो स्टेशन भी बंद किए गए है. दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने जानकारी दी है कि पंडित श्रीराम शर्मा और बहादुरगढ़ सिटी मेट्रो स्टेशन के प्रवेश और निकास द्वार को किसान आंदोलन के चलते एहतियातन बंद कर दिया गया है.
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डाइवर्ट किया गया रूट
राउंड अबाउट पुसा से शंकर रोड की तरफ जाने वाला ट्रैफिक पुसा रोड की तरफ डायवर्ट किया गया है. गुरुग्राम से सरदार पटेल मार्ग आने वाले ट्रैफिक और नारायण से लूप पर आने वाले ट्रैफिक को भी रिंग रोड मोती बाग की ओर डायवर्ट किया है जिसके चलते इस मार्ग पर भारी जाम रह सकता है, निकलने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखें.
शंकर रोड पर भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात
शिरोमणि अकाली दल के मार्च को देखते हुए दिल्ली के शंकर मार्ग इलाके में भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात कर दिए गए हैं, ताकि यह मार्च संसद भवन तक न पहुंच सके.
Traffic Alert
राउंड अबाउट पुसा से शंकर रोड की तरफ जाने वाला ट्रैफिक पुसा रोड की तरफ डायवर्ट किया गया हैI
— Delhi Traffic Police (@dtptraffic) September 17, 2021
दो मेट्रो स्टेशन बंद
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने जानकारी दी है कि पंडित श्रीराम शर्मा और बहादुरगढ़ सिटी मेट्रो स्टेशन के प्रवेश और निकास द्वार को किसान आंदोलन के चलते एहतियातन बंद कर दिया गया है.
Security Update
Entry/exit for Pandit Shree Ram Sharma and Bahadurgarh City have been closed.
— Delhi Metro Rail Corporation I कृपया मास्क पहनें😷 (@OfficialDMRC) September 17, 2021
आम आदमी पार्टी का कैंडल मार्च
पंजाब में नंबर दो की हैसियत से उठकर नंबर वन बनने के लिए आम आदमी पार्टी किसानों का दिल जीतने की हरसंभव कोशिश में जुटी है. कृषि कानूनों को लेकर शुरू से आम आदमी पार्टी सख्त तेवर अख्तियार कर रखा है. कृषि कानून के एक साल पूरे होने पर आम आदमी पार्टी शुक्रवार को पंजाब भर में कैंडल मार्च निकालकर आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों को श्रद्धांजलि भेंट करेगी.
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आम आदमी पार्टी के विधायक कुलतार सिंह संधवान ने कहा कि तीनों काले कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर के किसानों में नाराजगी है. इन्हीं कानूनों के विरोध में देश के किसान एक वर्ष से धरने पर डटे हैं और कुर्बानियां दे रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पंजाब की मौजूदा कैप्टन सरकार की सहमति से ही केंद्र की मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानून बनाकर कृषि, किसान और अन्य सभी निर्भर वर्गों की आर्थिक बर्बादी की इबारत लिखी. ऐसे में आम आदमी पार्टी इन कानूनों के विरोध में पंजाब भर में कैंडल मार्च निकालकर अपना विरोध जताएगी.
किसान नेता राकेश टिकैत ने बोला हमला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के साथ-साथ आज शुक्रवार को तीन नए कृषि कानूनों का एक साल भी पूरा हो गया है. इसपर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि आंदोलन को चाहे 10 साल हो जाएं, कृषि कानूनों की वापसी तक वे लोग यहां से नहीं जाएंगे.
पीएम ने नहीं चाहिए कोई गिफ्ट या भीख – टिकैत
टिकैत ने आगे कहा, ‘हमें प्रधानमंत्री से कोई तोहफा थोड़ी चाहिए, हम कोई भीख भी नहीं मांग रहे हैं. जो हमारा हक है वह दे दो. हम जन्मदिन पर दान पुण्य करने की उम्मीद नहीं रख रहे हैं, बस हमें अपना हक दो.’ टिकैत बोले कि जन्मदिन पर पीएम मोदी को कम से कम उन किसानों को याद कर लेना चाहिए जो किसान आंदोलन के दौरान ‘शहीद’ हुए हैं.
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