द लीडर. इराक़ की राजधानी बग़दाद में हालात बेक़ाबू हो गए हैं. शिया धर्मगुरु मुक़्तदा अल-सद्र के राजनीति छोड़ने का एलान करने से उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए. भारी हंगामे और गोलीबारी के बीच भीड़ राष्ट्रपति भवन (रिपब्लिक पैलेस) में घुस गई है. सुरक्षा बलों ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दाग़े और फायरिंग की है. इसमें 20 लोगों के मरने की ख़बर आ रही है. 300 से ज़्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं. स्थिति पर क़ाबू पाने के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है. हिंसा और भीड़ पर हथियारों का इस्तेमाल रोकने की मांग उठाते हुए भूख हड़ताल शुरू कर दी है.
स्थिति बिगड़ने के पीछे की वजह सियासी गतिरोध है. दरअसल धर्मगुरु मुक़्तदा अल-सद्र की पार्टी ने अक्टूबर के दौरान हुए संसदीय चुनावों में सबसे ज़्यादा सीट जीत ली थीं लेकिन बहुमत आंकड़े तक नहीं पहुंच सके. जब आम सहमति वाली सरकार बनाने के प्रयास शुरू हुए तो सद्र ने ईरान समर्थित शिया प्रतिद्वंद्वियों के साथ बातचीत से इंकार कर दिया था। जुलाई में भी सद्र समर्थकों ने इराक़ में प्रदर्शन के बाद संसद कब्ज़ा ली थी. यह कहते हुए कि प्रधानमंत्री पद के लिए मुहम्मद शिया अल-सुदानी की उम्मीदवारी क़ुबूल नहीं करेंगे, इसलिए क्योंकि वह ईरान के बहुत करीब हैं।
हिंसा के बीच यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने लोगों से संयम की अपील की है। संबंधित अधिकारियों से हिंसा रोकने के लिए फौरन प्रभावी क़दम उठाने का आग्रह किया है। अक्टूबर, 2021 के चुनाव में अल-सद्र गुट ने कुल 329 सीटों में 73 सीटें जीती थीं। संसद में सबसे बड़ा गुट होने के बाद बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाने के सबब अल-सद्र ने पद छोड़ दिया।
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