मुरादाबाद : घर में नमाज़ अदा करने पर दर्ज एफ़आईआर रद, जांच में नहीं मिला कोई सबूत

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Moradabad Namaz Offering At Home
मुरादाबाद का दूल्हेपुर गांव, जहां नमाज़ को लेकर एफ़आईआर दर्ज की गई थी.

द लीडर : मॉल, पार्क, सड़क, स्टेशन, स्कूल-कॉलेज, चौक-चौराहे और दूसरे सार्वजनिक स्थलों पर नमाज़ अदा करने पर मचने वाला बखेड़ा अब घरों में घुस गया है. नमाज़ और अजान, जिस पर पिछले दो-ढाई साल से सिलसिलेवार तरीके से विवाद पैदा करने की कोशिश की जा रही है. उसका ताजा घटनाक्रम हैरान करने वाला है. उत्तर प्रदेश के ज़िला मुरादाबाद में छजलैट इलाके का एक गांव है दूल्हेपुर. गिनती की मुस्लिम आबादी है. जहां कुछ लोगों ने घर में नमाज़ पढ़ी, तो उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज हो गया. पांच-छह दिन से मचे हंगामे के बाद पुलिस बैकफुट पर आई और मंगलवार को ये एफ़आईआर ख़ारिज कर दी है. (Moradabad Namaz Offering At Home)

घटनाक्रम 24 अगस्त का है. दूल्हेपुर, अन्यारी उर्फ अलीनगर ग्राम पंचायत का मजरा है. जिसमें मुस्लिम समुदाय के मात्र दो मकान हैं. कोई मस्जिद नहीं है. आमतौर पर लोग घर में ही नमाज़ अदा करते हैं. मुरादाबाद के एसएसपी एसके मीणा के एक बयान के मुताबिक, 24 अगस्त को गांव के एक घर में सामूहिक रूप से नमाज़ अदा करने की शिकायत मिली थी.

गांव के ही चरणपाल सिंह की तहरीर पर पुलिस ने घर में नमाज़ पढ़ने के मामले में 26 लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की. जिसमें 16 नमाज़ियों को नामजद किया और 10 अज्ञात थे. इनके ख़िलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-505-2 के तहत केस रिजस्टर्ड किया था. इस आरोप में कि सामूहिक रूप से नमाज़ पढ़कर लोगों के बीच नफ़रत और दुश्मनी पैदा करने का अपराध किया है. (Moradabad Namaz Offering At Home)

 


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एफआईआर सामने आने के बाद हंगामा मच गया. और पुलिस आलोचना के केंद्र में आ गई. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्​दीन ओवैसी ने कहा-”भारत में मुसलमान अब घरों में भी नमाज़ नहीं पढ़ सकते. क्या नमाज़ पढ़ने के लिए भी अब सरकार और पुलिस की इजाज़त लेनी होगी? प्रधानमंत्री को इसका जवाब देना चाहिए. कब तक मुसलमानों के साथ दूसरे दर्जे के नागरिक का बर्ताव किया जाएगा. समाज में कट्टरपंथ इस हद तक फैल गया है कि अब दूसरों के घरों में नमाज़ पढ़ने से भी लोगों के जज़्बात को ठेस पहुंच जाती है.”

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ”मुझे यकीन है कि अगर पड़ोसियों ने 26 दोस्त और रिश्तेदारों के साथ हवन किया होता तो ये सहज ही स्वीकार्य होता. सामूहिक भीड़ नहीं बल्कि नमाज़ पढ़ना समस्या है.” (Moradabad Namaz Offering At Home)

पिछले तीन-चार दिनों से इस मामले पर मुस्लिम समुदाय के बीच से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही थीं. उन तमाम पुराने विवादों के आगे रखकर कि सार्वजनिक स्थल पर नमाज़ पढ़ने से आपत्ति है और घर पर भी नमाज़ से दिक्कत. इस पूरे विवाद में पुलिस की काफ़ी किरकिरी हुई. हालांकि जांच के बाद पुलिस ने एफआईआर निरस्त कर दी है. इस पर भी ओवैसी की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा-”उचित और वक़्त पर सही फ़ैसला. उम्मीद है कि यूपी पुलिस भीड़ के दबाव में आकर ग़ैर-क़ानूनी एफआईआर दर्ज करना बंद करेगी. और उम्मीद है कि लोग अपने घरों में बिना किसी परेशानी के नमाज़ अदा कर पाएंगे.”


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