द लीडर : दिल्ली से बिहार लौटने के दौरान 15 साल के मुहम्मद जीशान की बरेली पहुंचने पर ट्रेन में मौत हो गई. बेटे की मौत से मां-बाप बेसुध हो गए. और इस बात पर यकीन करने को राजी नहीं कि अब उनका बेटा दुनिया में नहीं रहा है. तीन डॉक्टरों ने जीशान को मृत घोषित कर दिया. इसके बावजूद पांच घंटे तक पुलिस परिवार को समझाती रही कि बच्चे की मौत हो गई है.
जब परिवार नहीं माना तो पुलिस ने शहर के समाजसेवी नदीम कुरैशी को बुलाया. बच्चे के माता-पिता ने उनसे दरगाह पर ले चलने की गुजारिश की. ये कहते हुए कि बेटा अभी जिंदा है.
नदीम कुरैशी परिवार को शहर के किला स्थित झंडा शरीफ लेकर गए. पुलिस भी साथ गई. बेटे के गम में मां-बाप बिलखते रहे. झंडा शरीफ जाकर परिवार को सब्र आया कि उनका बेटा नहीं रहा. इसके बाद पुलिस उन्हें जिला अस्पताल ले गई और शव को मोर्चरी में रखवा दिया.
नदीम कुरैशी बताते हैं कि मुहम्मद रईस बिहार के रहने वाले हैं. वह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में बेटे का इलाज कराने गए थे. जहां से शनिवार को वापस बिहार लौट रहे थे कि रास्ते में बच्चे की मौत हो गई.
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