किसानों के समर्थन में दुनियाभर में प्रदर्शन, कल मुंबई में उमड़ेगा मजदूर किसानों का जनसैलाब

0
320

भारत के किसान आंदोलन ने एक साल पूरा करके जनांदोलनों के लिए दुनियाभर में नजीर पेश कर दी है, कि कैसे तसल्ली, आत्मअनुशासन, प्रतिज्ञा और इंसाफ के लिए साझी लड़ाई लड़ी जा सकती है। पूरी दुनिया की नजर इस आंदोलन पर है, चाहे वो आंदोलन के पक्ष में हो या विरोध में। यहां से उठने वाले सवालों पर विमर्श उन विकसित देशों में हो रहे हैं, जहां खेतीबाड़ी का ढर्रा ही अलग है।

एक साल पूरा होने पर किसान आंदोलन के समर्थन में देश ही नहीं, विदेश में भी हलचल काफी रही। देश में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम के कई जिलों में विरोध कार्यक्रम हुए। तमिलनाडु में खराब मौसम और भारी बारिश के बावजूद चेन्नई और डिंडीगुल समेत कई जगहों पर प्रदर्शन हुए।

विदेश में, ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग के सामने प्रदर्शन हुआ, अमेरिका में ब्रिटिश कोलंबिया में एक “स्लीप आउट” कार्यक्रम किया गया, इटली और फ्रांस में एकजुटता कार्यक्रम किए गए। कई दूसरे देशों में भी आंदोलन के समर्थन में बैठकें हुईं, भारत के किसानों को शुभकामना और एकजुटता के संदेश भेजे गए।

इस बीच, खाद्य अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक माइकल फाखरी ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले का स्वागत किया और सरकार से किसान आंदोलन के हताहतों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने का आग्रह किया। फाखरी ने 12 नवंबर को तीन कृषि कानूनों के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए भारत सरकार को एक पत्र लिखा था, “ये कानून भारत के किसानों, विशेष रूप से महिलाओं और जो देश में बहुसंख्य छोटे किसान हैं, के भोजन के अधिकार और सभी परस्पर संबंधित मानवाधिकारों में हस्तक्षेप कर सकते हैं”।

संयुक्त किसान मोर्चा की शनिवार शाम सिंघू मोर्चा पर हुई बैठक में 21 नवंबर के पत्र के संदर्भ में प्रधानमंत्री की तरफ से प्रतिक्रिया न होने का संज्ञान लिया और सरकार से संवाद प्रक्रिया को फिर से शुरू करने और अभी भी लंबित मुद्दों पर चर्चा करने का आह्वान किया। मोर्चा ने द्विपक्षीय चर्चाओं को दरकिनार करने और महत्वपूर्ण मुद्दों को अनसुना करने के सरकार के प्रयासों की निंदा की।

एसकेएम ने कहा, “लोकतंत्र में यह चुनी हुई सरकार का कर्तव्य है कि वह विरोध करने वाले किसानों से परामर्श करे और विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल करे”।

तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के बारे में प्रधानमंत्री की घोषणा और कैबिनेट की मंजूरी के बाद मोर्चा ने संसद के लिए ट्रैक्टर मार्च को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उठाई गई छह मांगों को दोहराया, जिसमें C2 + 50% फॉर्मूला के आधार पर सभी उत्पादों के लिए MSP की कानूनी गारंटी, “विद्युत संशोधन विधेयक, 2020/2021” के मसौदे को वापस लेना, “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम 2021” में किसानों पर दंडात्मक प्रावधानों को हटाना, आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ झूठे मामलों की वापसी, गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी, किसान आंदोलन के शहीदों के परिवारों को मुआवजा व पुनर्वास और उनकी स्मृति में सिंघू मोर्चा पर स्मारक निर्माण के लिए भूमि आवंटन हैं।

एसकेएम ने मांग की कि सरकार इन लंबित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बिना किसी देरी के वार्ता प्रक्रिया को फिर से शुरू करे। चार दिसंबर को होने वाली एसकेएम की अगली बैठक में मोर्चा संसद की कार्यवाही समेत आगे के घटनाक्रमों का संज्ञान लेगा और आगे की कार्रवाई पर निर्णय लेगा।

मोर्चा की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि मुंबई के आजाद मैदान में 28 नवंबर को विशाल किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन होगा। संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा (एसएसकेएम) के बैनर तले 100 से अधिक संगठनों के इस कार्यक्रम को एसकेएम के कई प्रमुख नेता संबोधित करेंगे। इसमें किसानों के साथ ही मजदूरों के मुद्दे भी उठाए जाएंगे।

28 नवंबर को महान समाज-सुधारक महात्मा ज्योतिराव फुले की पुण्यतिथि भी है। मुंबई महापंचायत एक महीने से अधिक लंबे कार्यक्रमों का पड़ाव भी है, जो 27 अक्टूबर को पुणे में महात्मा फुले के जन्म स्थान से शहीद कलश यात्रा को हरी झंडी दिखाने के साथ शुरू हुई थी। शहीद कलश यात्रा को महाराष्ट्र के हर जिले में ले जाया गया और लखीमपुर खीरी हत्याकांड में न्याय की मांग करते हुए किसान आंदोलन के संदेश को आम लोगों के बीच फैलाया गया।

शनिवार को ये सभी यात्राएं मुंबई पहुंचीं और शिवाजी पार्क में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा, चैत्य भूमि में डॉ. बीआर अंबेडकर के स्मारक, शहीद बाबू जेनू के स्मारक, जिन्हें 1930 में मुंबई में एक ब्रिटिश संचालित ट्रक द्वारा कुचल दिया गया था जब वे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश कपड़े का विरोध कर रहे थे, और मंत्रालय के पास महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here