जब राजीव गांधी सरकार में मंत्री नहीं बने अज़ीज़ कुरैशी- पढ़ें ये गुफ़्तगू

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द लीडर हिंदी : तीन बड़े राज्यों के रह चूके राज्यपाल और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजीज कुरैशी अब हमारे बीच नहीं है. शुक्रवार को भोपाल के एक अस्पताल में 83 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को हमेशा के लिये अलविदा कह दिया. अजीज कुरैशी काफी वक्त से बीमार थे. जिसके चलते कल 1 मार्च को उनका इंतेकाल हो गया.उनकी इस मौत से सियासी गलियारों में दुख और गम की लहर दौड़ गई.उनकी बेबाक बयानबाजी के सभी कायल थे. चलिये जानते है उनकी कुछ अहम बातें.

बरेली आने पर की अपनी ज़िंदगी पर लंबी गुफ़्तगू
30 दिसंबर 2015 यानी नौ साल पहले अज़ीज़ क़ुरैशी बरेली आए थे. बरेली के प्रमुख उद्यमी हाजी शकील क़ुरैशी के बुलावे पर. उन्होंने उस मुशायरे की सदारत की थी, जिसका संचालन कुमार विश्वास कर रहे थे. प्रोफेसर वसीम बरेलवी, मुनव्वर राना और राहत इंदौरी जैसे बड़े शायरों ने कलाम पेश किया था. तब कांग्रेस के बड़े नेता रहे अज़ीज़ क़ुरैशी ने मुलाक़ात के दौरान उन्होंने बेबाक बयानी की वजह से केंद्र में मंत्री नहीं बन पाने का 31 साल पुराना वो राज़ खोला था, जो बहुत कम लोगों का पता है.

मुशायरे में हिस्सा लेने के बाद अज़ीज़ क़ुरैशी ने रात सर्किट हाउस में गुज़ारी थी. दोपहर उनसे लंबी बातचीत हुई. तब हाजी शकील क़ुरैशी और मेरठ के पूर्व सांसद हाजी युसूफ़ क़ुरैशी भी मौजूद थे. बात बेबाकी पर हो रही थी. तब उनके रामपुर में आज़म ख़ान की मौलाना मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक दर्जा वाले विधेयक को मंज़ूरी देने का विवाद खड़ा हो चुका था. इसकी अज़ीज़ क़ुरैशी को क़ीमत भी चुकानी पड़ी थी. तब उन्होंने बताया था कि जब मध्य प्रदेश की सतना सीट से लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बना तो केंद्र में मंत्री बनना तय था. लेकिन राजीव गांधी को लेकर की गई टिप्पणी के चलते ऐसा नहीं हो सका. वो यह बताने ही जा रहे थे कि उन्होंने राजीव गांधी के लिए क्या कह दिया था, तभी सर्किट हाउस में उनसे मिलने के लिए काफी लोग पहुंच गए. उनके राज्यपाल कक्ष में दाख़िल होने से अज़ीज़ क़ुरैशी ने इस दिलचस्प क़िस्से को विराम दे दिया.

यह कहते हुए कि ज़िंदगी ने मोहलत दी तो कभी बात करेंगे. ख़ैर वो मौक़ा फिर नहीं आया. हाजी शकील क़ुरैशी का कहना है कि दिल की ज़ुबां से बोलने वाले अज़ीज़ क़ुरैशी साहब जैसे नेता इक्का-दुक्का ही होंगे. अल्लाह उनकी मग़फ़िरत फ़रमाए. पूर्व राज्यपाल के बरेली में हकीम ख़ुर्शीद से भी क़रीबी रिश्ते थे. हकीम ख़ुर्शीद साहब के बेटे डॉ. अमीद मुराद बताते हैं कि जब भी अज़ीज़ क़ुरैशी साहब से मिला, उन्होंने हमेशा बेटे जैसा लगाव दिखाया. उनसे गुफ़्तगू के बाद हौसला ख़ुद-ब-ख़ुद बढ़ जाता था. अज़ीज़ क़ुरैशी दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन उनकी यादें बरेली से लेकर जहां-जहां उनके चाहने वाले मौजूद हैं, बाक़ी रहेंगी.

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