हफीज किदवई
कंस ने कितने ही मासूम बच्चे आत्मरक्षा के नाम पर मार डाले. फिरऔन ने कितने ही बच्चे आत्मरक्षा के नाम पर क़त्ल कर डाले. इसलिए यह जो शब्द है “आत्मरक्षा” इसको हमेशा सही नही ठहराया जा सकता है. वह धूर्त और मक्कार है, जो इस शब्द की आड़ लेकर हत्याओं, जनसंहार और हमलों को सही ठहरा दें.
आत्मरक्षा के साथ एक मर्यादा भी जुड़ी होती है. जिसका पालन श्रीकृष्ण ने किया और मूसा ने भी किया. यह जो मर्यादा है, वह मानवता और संवेदना के मिश्रण से तैयार होती है. यह जिसमे होती है, वह सही रास्ते पर खड़ा होता है, जिसमे इसका अभाव होता है, वह सदैव कंस और फ़िरऔन के रास्ते पर होता है.

मूसा को मानने वाले फ़िरऔन की जिंदगी को अपनाने लग जाएं तो यह उनकी सबसे बड़ी हार है. श्रीकृष्ण को मानने वाले यदि कंस के बर्ताव को सही ठहराने लग जाएं, तो यह उनके अन्दर के धर्म के मिट जाने का संकेत है.
यह बात हर धर्म के लिए है, हर वर्ग के लिए है. यदि कोई बेगुनाह को क़त्ल करे, उन पर बम बरसाए, गोलियां चलाएं और आड़ आत्मरक्षा की ले, तो यह ज़ुल्म है. और ऐसा करने वाला कोई भी हो, ज़ुल्मी और पापी कहलाएगा.
फिलिस्तीन में कब से आबाद हैं अरब, जिन्होंंने तमाम जंगों और गुलामी के बाद भी अपना वतन नहीं छोड़ा
हम बार बार कहते हैं, शब्दों के फेंके जाल में मत फंसो. वरना कोई भी तुम्हे मूर्ख बनाकर, ज़ुल्म के बाज़ार में बेच आएगा. जब भी देखो, तो पूरा दिमाग लगाकर, हर तरफ सोचकर, देखकर. तब राय कायम करो, वरना कोई भी फिरऔन तुमसे कहेगा कि हम बच्चों को मार रहें. क्योंकि हमारी आत्मरक्षा का सवाल है और इस तरह कभी न मिटने वाले खून के धब्बे तुम्हारे हाथों में दे जाएगा.
जब भी खड़े हो, मानवता और संवेदना से प्रेरित, सत्य से भरपूर न्याय की ओर खड़े हो. केवल एक शब्द की आड़ में तमाम पापों की ढाल मत जाना. और यही सोशलमीडिया के उन धूर्तों से खुद को ज़रूर बचना, जो चुटकी-चुटकी तुम्हारे अंदर की संवेदना को खा रहे हैं. गांधी का नाम लेकर तुम्हारे अंदर का गांधी मार रहे हैं. इतिहास की घटनाओं को आज से जोड़कर तुम्हे कंस का सैनिक बनाने जा रहे हैं.

अपनी अक्ल का इस्तेमाल करना. इससे पहले कोई कथित बौद्धिक धूर्त चालबाज इसका इस्तेमाल कर ले जाए. एक बात कभी मत भूलना. गांधी की उंगली पकड़कर कोई यदि हिंसा को न्यायोचित या आत्मरक्षा के नाम पर ज़ुल्म को सही ठहराए. समझ लेना इस बार गोडसे स्वयं गांधी का ही क्षद्म वेश अपनाकर आया है.
फिलिस्तीन पर महमूद दरवेश की कविता: गाजा शहर
जैसे रावण साधु वेश में आया था. गांधी हिंसा के विरुद्ध बिना अगर-मगर लेकिन वेकिन के दुनिया के सबसे शक्तिशाली हस्ताक्षर हैं. यह डगर बहुत पतली है. सम्भल कर रहना. अपने अन्दर गांधी ढूंढना. अगर किसी दूसरे के अन्दर के गांधी के पीछे चल दिये, तो धोखे के बहुत चांस हैं. सम्भल कर मित्र…
फिलिस्तीन पर इजराइल के जुल्म से दुनिया भर में आक्रोश है. इजराइील शेख जर्राह से फिलिस्तीनियों को बेदखल करने पर तुला है. और इसको लेकर फिलिस्तीन की अवाम का कत्लेआम कर रहा है. गाजा, वेस्ट बैंक समेत कई हिस्सों में हवाई हमले करके 200 के करीब फिलिस्तीनियों को मार चुका है. इसमें महिलाएं, मासूम बच्चे, जवान-सब शामिल हैं.
https://twitter.com/MuzamilSheikhh/status/1394343081412075521?s=20
इजराइल ने अपने इस घिनौने कृत्य को छिपाने के लिए आत्मरक्षा की आड़ ली है. ये कहते हुए कि हमास के हमले के जवाब में वो सैन्य कार्रवाई कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में फिलिस्तीनी और उनके बच्चों के मारे जाने की कड़ी निंदा की गई है. दुनिया के तमाम देशों में इजराइल के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. इसी संदर्भ में हफीज किदवई ने ये आलेख लिखा है. ये इजराइल की आत्मरक्षा के आड़ मासूमों के कत्ल किए जाने और कुछ देश और लोगों द्वारा उसे जायज ठहराए जाने को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में सामने रखते हैं.