रमज़ान क्या है, ऐसी कुछ बुनियादी बातें-जिनके बारे में थोड़ा-बहुत जान लेना चाहिए

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What Is Ramzan Know
दुआ करते शख़्स.

द लीडर : रमज़ान (Ramzan) क्या है. इसका धार्मिक और दुनियावी महत्व क्या है. रमज़ान की कुछ ऐसी बुनियादी बातें, जिनके बारे में जान लेना चाहिए. इस्लामिक कैलेंडर का 9वां महीना रमज़ान है. इसी महीने में क़ुरान आया. रोज़ा (उपवास) इस्लाम के उन पांच फ़र्जों में से एक है, जो मुसलमानों के अक़ीदे (Faith) का आधार हैं. कलमा, नमाज़ रोज़ा, ज़क़ात और हज. इस तरह इस्लाम के ये पांच पिलर हैं, हर मुसलमान का ये फ़र्ज (कर्तव्य) है कि, वो इनका पालन ज़रूर करे. (What Is Ramzan Know)

पीयू रिसर्च की 2010 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में मुसलमानों की आबादी 1.6 अरब थी, जो अब बढ़कर 1.9 अरब तक पहुंच गई है. इसमें शिया-सुन्नी दोनों हैं. शियाओं की संख्या क़रीब 30.4 करोड़ के आसपास है. मुसलमानों के 72 फिरके हैं और हर फिरके में कई ग्रुप्स हैं. लेकिन पांचों फ़र्ज सभी अदा करते हैं.

इस्लामिक कैलेंडर चांद पर आधारित है. इसमें रमज़ान का महीना सबसे मुबारक़ है. इसका जितना धार्मिक महत्व है, उतना ही दुनियावी भी. रमज़ान में कसरत के साथ इबादत करके, इंसान अल्लाह के नज़दीक पहुंचता है. तो दुनियावी एतबार से इसलिए, क्योंकि रोज़े की भूख-प्यास रोज़ेदार के तौर पर एक व्यक्ति को ग़रीबों की-रोटी, कपड़ा, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बेसिक ज़रूरतों का एहसास कराती है. क्राइम और दूसरे गुनाहों से चाहें वे नैतिक हों या सामाजिक, दोनों से बचाता है.


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रोज़ा हर एडल्ट मुसलमान मर्द और औरत पर फ़र्ज है. सिवाय बचपन, बीमारी, वृद्धावस्था या कुछ दूसरी परिस्थिति में. लेकिन बच्चों में इसको लेकर सबसे ज़्यादा उत्साह देखा जाता है. इस बार रोज़े की मियाद कोई 14 घंटे की है. रोज़ेदार सुबह से शाम तक न तो कुछ खाते हैं न ही पीते हैं. इस तरह एक महीने तक चलने वाला अपनी तरह का सबसे लंबा उपवास है. (What Is Ramzan Know)

रमज़ान का सबसे ज़रूरी पार्ट है जक़ात यानी दान. ज़कात हर उस मुसलमान पर फ़र्ज है, जिसकी आर्थिक स्थिति ठीक-ठाक हो. इस्लाम में ज़क़ात के लिए माली हैसियत का आधार आभूषण से तय किया गया है. मतलब, जिसके पास 7.5 तोला सोना और 52 तोला चांदी है या इस क़ीमत की दूसरी संपत्ति. उस इंसान पर कुल प्रॉपर्टी की 2.5 प्रतिशत ज़क़ात फ़र्ज हो जाती है.

चूंकि इस्लाम इक्वालिटी का पैरोकार है. और ज़क़ात, इसी कांसेप्ट का हिस्सा है. ये 2.50 प्रतिशत ज़क़ात की रक़म, उन लोगों को दी जाती है, जो आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं. इस मदद से ज़रूरतमंद लोग अपना क़ारोबार कर सकते हैं. बच्चों की शिक्षा-स्वास्थ्य या परवरिश पर ख़र्च करते हैं.

मिसाल के तौर पर, दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में सिविल सेवा की तैयारी के लिए जो रेजिडेंशियल कोचिंग चल रही है. वो इसी ज़क़ात के सहयोग से संचालित है, जहां छात्रों को निश्शुल्क सिविल सिर्विसेज की तैयारी कराई जाती है. (What Is Ramzan Know)

धार्मिक आधार पर देखें तो रमज़ान के महीने को तीन अशरों (टुकड़ों) में बांटा गया है. पहला अशरा रहमत का है, दूसरा मग़फिरत यानी अपने गुनाहों से माफी मांगने और तीसरा जहन्नुम से निजात का. तीनों अशरों में रोज़ेदार बड़ी क़सरत के साथ इबादत करते हैं. रमज़ान को अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने सब्र, मतलब पैशेंस का महीना भी कहा है.

ये हमीना सब्र के साथ ही इंसान को ख़ुद पर, अपनी इच्छाओं पर कंट्रोल करना भी सिखाता है. आज रमज़ान का चांद देखा जाएगा. इसके दीदार के साथ ही रोज़े शुरू हो जाएंगे. द लीडर हिंदी की तरफ से आप सभी को रमज़ान की बहुत-बहुत मुबारक़बाद. (What Is Ramzan Know)


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