क्या है मालेगांव ब्लास्ट केस… जिसका 15वां गवाह भी अपने बयान से मुकर गया ? सीएम योगी बोले- पूरे देश से माफी मांगे कांग्रेस

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द लीडर। मालेगांव ब्लास्ट केस में नया मोड़ सामने आया है। साल 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट के एक गवाह ने भी अपना बयान बदल दिया है। जी हां ये 15 वां गवाह है जो पहले दिए गए अपने बयान से मुकर गया है। क्या आप जानते हैं कि, मालेगांव ब्लास्ट में क्या हुआ। और आखिर क्यों अपने ही बयान से गवाह पलट रहे हैं। बता दें कि, साल 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले के एक गवाह ने योगी आदित्यनाथ को लेकर बड़ा दावा कर दिया. मंगलवार 28 दिसंबर को ये गवाह विशेष एनआईए अदालत के सामने पेश हुआ.

सुनवाई के दौरान उसने महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते पर आरोप लगाते हुए कहा कि, उसे इस धमाके के पीछे योगी आदित्यनाथ और चार अन्य आरएसएस नेताओं के नाम लेने को मजबूर किया गया था. जानकारी के अनुसार, इस केस में यह 15वां ऐसा गवाह है जो अपने पिछले बयान से मुकर गया है. ताजा बयान में इस गवाह ने अदालत को बताया कि, तत्कालीन वरिष्ठ एटीएस अधिकारी परमबीर सिंह और एक अन्य अधिकारी ने उसे धमकी देते हुए कहा था कि, वो इस केस में योगी आदित्यनाथ का नाम ले. उस समय योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री नहीं थे. गवाह के मुताबिक, योगी के अलावा ATS ने उसे जिन चार आरएसएस नेताओं के नाम लेने को कहा था, उनमें इंद्रेश कुमार भी शामिल हैं.

मालेगांव केस में गवाह ने क्या कहा ?

सीएम योगी आदित्यनाथ के अलावा गवाह ने बताया कि, इंद्रेश कुमार, देवधर और काकाजी जैसे नेताओं के नाम लेने पर भी मजबूर किया गया था. गवाह की माने तो उसके परिवार को प्रताड़ित किया गया था, जिसके बाद उसने योगी आदित्यनाथ का नाम लिया था. गवाह ने कहा कि, तत्कालीन वरिष्ठ एटीएस अधिकारी परमबीर सिंह और एक अन्य अधिकारी ने उन्हें उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और इंद्रेश कुमार सहित आरएसएस के चार अन्य नेताओं का नाम लेने की धमकी दी थी।


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क्या था मालेगांव ब्लास्ट ?

29 सितंबर 2008 की रात करीब 9 बजकर 35 मिनट पर मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास एक बम धमाका हुआ था. इस धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 101 लोग घायल हुए थे. धमाके के बाद 30 सितंबर 2008 को मालेगांव के आजाद नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज हुआ था. चूंकि यह मामला आतंक से जुड़ा हुआ था, इसलिए महाराष्ट्र सरकार के आदेश के बाद महाराष्ट्र ATS ने इस मामले की जांच अपने पास ली और 21 अक्टूबर 2008 को एफआईआर में UAPA और मकोका (MCOCA) की धारा लगाई गई. बता दें, मालेगांव, महाराष्ट्र के ज़िले नासिक का गांव है। इसके भीकू चौक पर नूरजी मस्जिद के पास 29 सितंबर, 2008 को ये ब्लास्ट तब हुआ, जब लोग नमाज पढ़ने जा रहे थे। ये बम एक मोटरसाइकिल में रखा था। धमाके के पीछे कट्टरपंथी हिंदू संगठनों का हाथ होने की बात सामने आई थी। जिसकी शुरुआती जांच महाराष्ट्री की एटीसी टीम को सौंप दी गई थी। धमाकों में सात लोग मारे गए थे और करीब 101 लोग घायल हुए थे।

20 जनवरी 2009 को ATS ने पहली चार्जशीट की थी दायर

जांच के दौरान 20 जनवरी 2009 को महाराष्ट्र ATS ने मामले में पहली चार्जशीट दायर की थी, जिसमें 11 लोगों को गिरफ्तार और तीन लोगों को फरार दिखाया गया था. मामले में ATS ने 21 अप्रैल 2011 को सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी. वहीं 01 अप्रैल 2011 को केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद मालेगांव बम धमाके की जांच NIA को सौंप दी गई थी. NIA ने अपनी जांच के दौरान 13 मई 2016 को चार्जशीट दायर की, जिसने 6 लोगों के बारे में बताते हुए कहा कि, उनके खिलाफ सबूत नहीं मिले हैं. इनमें प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिव नारायण करसंग्रा, श्याम भंवर लाल साहू, प्रवीण तकलकी, लोकेश शर्मा और धनसिंह चौधरी का नाम था. NIA ने यह भी कहा था कि इस मामले में मकोका नहीं लग सकता. इसके बाद आरोपियों ने जमानत की अर्जी डाली, जिसके बाद कर्नल पुरोहित और प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत दूसरे आरोपियों को जमानत मिल गई. जमानत मिलने के बाद में सभी आरोपियों ने कोर्ट में डिस्चार्ज एप्लिकेशन दायर किया.

27 दिसंबर 2017 को स्पेशल NIA कोर्ट में आरोपियों के डिस्चार्ज एप्लिकेशन पर फैसला सुनाया गया, जिसमें श्याम साहू, शिव नारायण कालसंग्रा और प्रवीण तकलकी को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था. वहीं, राकेश धावड़े और जगदीश म्हात्रे पर से कई धाराएं कोर्ट ने हटाईं और उन दोनों पर सिर्फ आर्म्स एक्ट के तहत ही आरोप तय किए. वहीं प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय रहिकर, सुधाकर चतुर्वेदी, सुधीर द्विवेदी के खिलाफ दायर MCOCA, UAPA की धारा 17, 29, 23 और आर्म्स एक्ट की धाराएं हटा दी गई थीं, लेकिन उन पर से UAPA की धारा 18, हत्या और हत्या की साजिश की धाराएं लगाकर आरोप तय कर दिए गए थे. उसके बाद से ट्रायल चल रहा है.

220 से पूछताछ, 15 गवाह मुकरे

गौरतलब है कि, ATS मालेगांव ब्लास्ट 2008 मामले की जांच शुरू में कर रही थी, तभी इन गवाह की गवाही दर्ज की गई थी. मामले में अब तक 220 गवाहों का बयान अदालत में दर्ज किया गया है. इनमें से आज 15वां गवाह अपनी गवाही से पलट गया. कुमार ने दावा किया कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने तथाकथित भगवा आतंकी मामलों में भाजपा और आरएसएस के नेताओं को घसीटने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन किसी भी प्राथमिकी में हमारे नाम नहीं जोड़ सकी, क्योंकि उनके पास कोई सबूत नहीं था.


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मालेगांव ब्लास्ट पर क्या बोले योगी

वहीं फर्रूखाबद में रैली को संबोधित कर रहे सीएम योगी आदित्यनाथ ने मालेगांव ब्लास्ट मामले पर बोलते हुए कांग्रेस पर हमला बोला। और कहा कि, उन्हें फंसाने की साजिश की जा रही है। कांग्रेस के नेताओं को उनसे माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि, चुनाव को देखते हुए उन्हें झूठे केस में फंसाने की कोशिश की जा रही है। हिंदुओं के प्रति कांग्रेस की नफरत सामने आ रही है।

बीजेपी विधायक बोले- हिंदुओं के खिलाफ बड़ी साजिश

मालेगांव ब्लास्ट मामले में एक बार फिर सियासत गरमा गई है. बीजेपी विधायक राम कदम ने इसे हिंदुओं के खिलाफ बड़ी साजिश बता दिया. उन्होंने कहा कि, अब तो ये साफ हो चुका है कि तब की कांग्रेस सरकार ने हिंदुओं को बदनाम करने का काम किया था. उनकी तरफ से तब हिंदू आतंकवाद तक कहा गया था. इन लोगों ने योगी आदित्यनाथ और दूसरे संघ कार्यकर्ताओं को गलत मामले में फंसाया था. शिवसेना को इस मुद्दे पर अपना स्टैंड स्पष्ट करना चाहिए. अब बीजेपी के हमले के बीच कांग्रेस ने भी गवाह के बयान पर सवाल उठा दिए हैं. कांग्रेस भी कह रही है कि दवाब की वजह से ही गवाह को कोर्ट में अपना बयान बदलना पड़ गया.

झूठे मामलों में फंसाने के लिए गंदी राजनीतिक साजिश- इंद्रेश कुमार

इस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने कांग्रेस के नेताओं पर निशाना साधा है। संघ के नेता ने आरोप लगाया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के कार्यकाल के दौरान उन्हें तथाकथित ‘भगवा आतंकवाद’ के झूठे मामलों में फंसाने के लिए गंदी राजनीतिक साजिश रची गई थी। उन्होंने भाजपा और आरएसएस नेताओं के चरित्र हनन के लिए कांग्रेस नेताओं – पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी, पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद से माफीनामे की मांग की। कुमार ने अब विपक्ष में बैठे अन्य राजनीतिक दलों और उनके नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि, उन्होंने भी एक बड़ा पाप और अपराध किया है, क्योंकि वे कांग्रेस और उसकी गठबंधन सरकार की गंदी राजनीति और झूठी साजिश के साथ खड़े थे, ताकि तथाकथित भगवा आतंकी मामलों में भाजपा और आरएसएस के नेताओं को फंसाया जा सके।


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