भारत-चीन सीमा के पास दबा पड़ा है परमाणु बम बनाने का माल

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लखनऊ | भारत के कई राज्यों में यूरेनियम भंडार की खोज चल रही है। इसी के तहत अरुणाचल प्रदेश में यूरेनियम का विशाल भंडार मिला है। भारत-चीन सीमा से मात्र तीन किलोमीटर दूर है। हालांकि यहां बर्फीली पहाड़ियों की वजह से हेलिबॉर्न की खोज करने की कोई संभावना नहीं थी, लेकिन जांच शुरू करने के लिए वैज्ञानिक पहाड़ियों के ऊपर तक मेचुका घाटी में भारतीय सीमा के सबसे दूर के गांव तक गए। यूरेनियम की खोज के सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद अब खनन शुरू किया जायेगा। भारत के पहाड़ों में यूरेनियम व सोने के अकूत भंडार छिपे हुए हैं, इसलिए चीन की नजर लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश पर है।

मेचुका की भौगोलिक स्थिति

मेचुका या मेन्चुक भारत के अरुणाचल प्रदेश के शि-योमी जिले में मेचुका घाटी में समुद्र तल से 6,000 फीट (1,829 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित एक छोटा शहर है। मेन्चुका के बाद मैकमोहन लाइन भारतीय क्षेत्र और चीनी क्षेत्र को अलग करती है। घाटी में स्थित मेचुका शहर देवदार के पेड़ों और कांटों से घिरा हुआ है। मेचुका की घाटी में यार्यगापु नदी बहती है और भारत-चीन सीमा से केवल 29 किलोमीटर दूर है। निकटतम हवाई अड्डा असम में लीलाबाड़ी है। मेचुका भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य का हिस्सा है। यहां आधुनिक सड़क के निर्माण से पहले गांव तक एकमात्र हवाई पट्टी थी, जिसका उपयोग भारतीय वायु सेना स्थानीय लोगों को माल की आपूर्ति के लिए करती थी। यहां यूरेनियम का भंडार मिलने की संभावनाओं के चलते सरकार ने मेचुका घाटी में खोज की अनुमति दी, जिसके बाद अन्वेषण और अनुसंधान के लिए परमाणु खनिज निदेशालय ने केंद्र सरकार के सहयोग से काम शुरू किया।

जमीनी स्तर से लगभग 619 मीटर गहराई पर भंडार

अन्वेषण और अनुसंधान के लिए परमाणु खनिज निदेशालय के निदेशक डीके सिन्हा का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग जिले के ऐलो में स्थित मेचुका की घाटी में यह खोज जमीनी स्तर से लगभग 619 मीटर गहराई में की गई है। यूरेनियम का उपयोग परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के लिए किया जाता है। अरुणाचल प्रदेश में यूरेनियम की खोजबीन की वजह इसकी यहां उपलब्धता तो है ही, इसके साथ ही राजनीतिक स्थिति ने इस तरह की गतिविधि को और अधिक अनुकूल बना दिया है।

परमाणु ईंधन परिसर के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी दिनेश श्रीवास्तव ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में यूरेनियम की खोज के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। मणिपुर में भी यूरेनियम भंडार की खोजबीन के लिए अनुमति दे दी गई है।

इन राज्यों में भी हो रही है खोज

इसके अलावा असम, नगालैंड, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में भी यूरेनियम भंडार की खोज के लिए काम चल रहा है। अरुणाचल प्रदेश की ऊंची पहाड़ियों पर मिले यूरेनियम स्थल को संरक्षित करके खुदाई शुरू हो चुकी है, जिसमें अच्छे संकेत मिले हैं। अधिकारियों ने बताया कि देश में यह पहली बार है जब यूरेनियम के भंडार की खोज के लिए किसी जगह को रिजर्व किया जा रहा है।

यूरेनियम का कैसे होता है प्रयोग

दुनिया भर में 2015 में यूरेनियम का उत्पादन 60,496 टन हुआ था। पूरी दुनिया में 70 फीसदी यूरेनियम का उत्पादन मात्र तीन देशों कजाकिस्तान, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में होता है। इन तीन देशों के अलावा एक हजार टन उत्पादन करने वाले देशों में निगेर, रूस, नामीबिया, उज्बेकिस्तान, चीन, संयुक्त राष्ट्र और यूक्रेन हैं। खनन से प्राप्त यूरेनियम का लगभग पूरी तरह से परमाणु संयंत्रों में ईंधन के रूप में प्रयोग होता है। यूरेनियम अयस्क सामग्री को पहले पीसा जाता है, जिससे उसके सभी कण एक समान हो जाएं। उसके पश्चात रासायनिक अभिक्रिया के जरिये यूरेनियम को निकाला जाता है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक पीले रंग का शुष्क चूर्ण प्राप्त होता है जिसे यूरेनियम के बाजार में U3O8 के रूप में बेच दिया जाता

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